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स्मिता पाटिल की जीवनी – Smita Patil Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको स्मिता पाटिल की जीवनी – Smita Patil Biography Hindi के बारे में बताएगे।

स्मिता पाटिल की जीवनी – Smita Patil Biography Hindi

स्मिता पाटिल की जीवनी - Smita Patil Biography Hindi

स्मिता पाटिल हिन्दी फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री थीं।

उन्होने अपने सशक्त अभिनय से अपनी पहचान बनाई।

पहली बार 1970 में दूरदर्शन से बतौर प्रस्तुतकर्ता पर्दे पर दिखी।

उनकी खोज का श्रेय श्याम बेनेगल को जाता है।

फिल्म चरणदास चोर से हिन्दी सिनेमा में डेब्यू  किया।

स्मिता समानांतर सिनेमा आंदोलन का अहम चेहरा थी।

उन्होने मंथन, भूमिका, आक्रोश, चक्र.चिदंबरम और मिर्च मसाला जैसी फिल्मों में काम किया।

वह सिर्फ अभिनेत्री ही नहीं, मुखर नारीवादी भी थी।

1977 में पहला नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

जन्म

स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर, 1955 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था।

स्मिता पाटिल एक राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखती थीं।

उनके पिता का नाम शिवाजी राय पाटिल था वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे, जबकि उनकी माँ समाज सेविका थी।

स्मिता पाटिल  ने भारतीय अभिनेता  राज बब्बर के साथ शादी की।

28 नवंबर 1986 को स्मिता ने बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया।

शिक्षा – स्मिता पाटिल की जीवनी

स्मिता पाटिल ने  अपनी स्कूल की पढ़ाई महाराष्ट्र से ही पूरी की थी।

उन्होंने ‘फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया’, पुणे से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।

करियर

1970 से 1977 तक

स्मिता पाटिल के करियर की शुरुआत बतौर न्यूज रीडर हुई थी। साल 1970 में उन्होंने दूरदर्शन के लिए एंकर के रूप में कार्य करना शुरू किया था। 1974 में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद स्मिता पाटिल ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह उनकी दमदार ऐक्टिंग का ही कमाल था कि वह कुछ ही सालों में न सिर्फ हिंदी बल्कि मराठी सिनेमा का भी नामी चेहरा बन गईं।

कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्मिता ने मराठी टेलीविजन में बतौर समाचार वाचिका काम किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात जाने माने फ़िल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई। श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फ़िल्म ‘चरणदास चोर’ (1975) बनाने की तैयारी में थे।

भारतीय सिनेमा जगत में ‘चरणदास चोर’ को ऐतिहासिक फ़िल्म के तौर पर याद किया जाता है, क्योंकि इसी फ़िल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल और स्मिता पाटिल के रूप में कलात्मक फ़िल्मों के दो दिग्गजों का आगमन हुआ। श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल के बारे में एक बार कहा था कि “मैंने पहली नजर में ही समझ लिया था कि स्मिता पाटिल में गजब की स्क्रीन उपस्थिति है और जिसका उपयोग रूपहले पर्दे पर किया जा सकता है।” फ़िल्म ‘चरणदास चोर’ हालांकि बाल फ़िल्म थी, लेकिन इस फ़िल्म के जरिए स्मिता पाटिल ने बता दिया कि हिन्दी फ़िल्मों में ख़ासकर यथार्थवादी सिनेमा में एक नया नाम स्मिता पाटिल के रूप में जुड़ गया है।

इसके बाद वर्ष 1975 में श्याम बेनेगल द्वारा ही निर्मित फ़िल्म ‘निशांत’ में स्मिता को काम करने का मौका मिला। 1977 स्मिता पाटिल के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ।

1977 से 1987 तक

सन 1977 में ही स्मिता की ‘भूमिका’ भी प्रदर्शित हुई, जिसमें उन्होंने 30-40 के दशक में मराठी रंगमच की अभिनेत्री हंसा वाडेकर की निजी ज़िंदगी को रूपहले पर्दे पर बहुत अच्छी तरह साकार किया। फ़िल्म ‘भूमिका’ में अपने दमदार अभिनय के लिए उन्हें 1978 में ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया। ‘मंथन’ और ‘भूमिका’ जैसी फ़िल्मों में उन्होंने कलात्मक फ़िल्मों के महारथी नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, अमोल पालेकर और अमरीश पुरी जैसे कलाकारो के साथ काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर अपना सिक्का जमाने में कामयाब हुईं।

स्मिता पाटिल को महान् फ़िल्मकार सत्यजीत रे के साथ भी काम करने का मौका मिला।

मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित टेलीफ़िल्म ‘सदगति’ उनके द्वारा अभिनीत श्रेष्ठ फ़िल्मों में आज भी याद की जाती है।स्मिता पाटिल ने 1980 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘चक्र’ में झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाली महिला के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इसके साथ ही फ़िल्म ‘चक्र’ के लिए वह दूसरी बार ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ से सम्मानित की गईं। अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रुख़ कर लिया।

इस दौरान उन्हें सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ ‘नमक हलाल’ और ‘शक्ति (1982 फ़िल्मजैसी फ़िल्मों में काम करने का अवसर मिला, जिसकी सफलता ने स्मिता पाटिल को व्यावसायिक सिनेमा में भी स्थापित कर दिया। अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने व्यावसायिक सिनेमा के साथ-साथ समानांतर सिनेमा में भी अपना सामंजस्य बनाये रखा।

इस दौरान उनकी ‘सुबह’ (1981), ‘बाज़ार’, ‘भींगी पलकें’, ‘अर्थ’ (1982), ‘अ‌र्द्धसत्य’ और ‘मंडी’ (1983) जैसी कलात्मक फ़िल्में और ‘दर्द का रिश्ता’ (1982), ‘कसम पैदा करने वाले की’ (1984), ‘आखिर क्यों’, ‘ग़ुलामी’, ‘अमृत’ (1985), ‘नजराना’ और ‘डांस-डांस’ (1987) जैसी व्यावसायिक फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिसमें स्मिता पाटिल के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले।

सशक्त अभिनय

1985 में स्मिता पाटिल की फ़िल्म ‘मिर्च-मसाला’ प्रदर्शित हुई।

सौराष्ट्र की आज़ादी के पूर्व की पृष्ठभूमि पर बनी इस फ़िल्म ने निर्देशक केतन मेंहता को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।

यह फ़िल्म सांमतवादी व्यवस्था के बीच पिसती औरत की संघर्ष की कहानी बयां करती है।

यह फ़िल्म आज भी स्मिता पाटिल के सशक्त अभिनय के लिए याद की जाती है।

प्रमुख फिल्में

1989 गलियों का बादशाह1988 वारिस1988 हम फ़रिश्ते नहीं1988 आकर्षण
1987 ठिकाना1987 राही1987 डांस डांस1987 शेर शिवाजी
1987 सूत्रधार1987 आवाम1987 नज़राना1987 एहसान
1987 इंसानियत के दुश्मन1986 आप के साथ1986 काँच की दीवार1986 अमृत
1986 अनोखा रिश्ता1986 तीसरा किनारा1986 अंगारे1986 दहलीज़
1986 दिलवाला1985 मेरा घर मेरे बच्चे1985 आखिर क्यों?1985 जवाब
1985 गुलामी1985 मिर्च मसाला1984 रावण1984 मेरा दोस्त मेरा दुश्मन
1984 तरंग1984 गिद्ध1984 पेट प्यार और पाप1984 कसम पैदा करने वाले की
1984 फ़रिश्ता1984 आनन्द और आनन्द1984 शराबी1983 मंडी
1983 अर्द्ध सत्य1983 हादसा1982 सितम1982 बाज़ार
1982 भीगी पलकें1982 दर्द का रिश्ता1982 नादान1982 शक्ति
1982 बदले की आग1982 अर्थ1982 नमक हलाल1981 तजुर्बा
1981 सद्गति1981 चक्र1980 भवनी भवाई1980 अलबर्ट पिन्टो को गुस्सा क्यों आता है
1980 द नक्सेलाइटस1980 आक्रोश1978 कोन्दुरा1977 भूमिका
1976 मंथन1975 निशांत1952 घुंघरू

पुरस्कार – स्मिता पाटिल की जीवनी

महज 10 साल के करियर में उन्होंने करीब 80 फिल्में की, जिनमें से ज्यादातर हिट रहीं। करियर शुरू करने के महज चार सालों के अंदर ही उन्होंने अपना पहला नेशनल अवॉर्ड जीत लिया था।

1977 में पहला नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 1977 में उन्हें फिल्म ‘भूमिका’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला, वहीं साल 1980 में फिल्म ‘चक्र’ ने उन्हें दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला। साल 1985 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।

मृत्यु

31 वर्ष की उम्र में 13 दिसंबर, 1986 को स्मिता पाटिल इस दुनिया को अलविदा कह गई।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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