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सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी – Subhadra Kumari Chauhan Biography

आज इस आर्टिकल में हम आपको सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी – Subhadra Kumari Chauhan Biography Hindi के बारे में बताएंगे

सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी – Subhadra Kumari Chauhan Biography Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी

सुभद्रा कुमारी हिंदी की प्रसिद्ध कवियत्री और लेखिका थी।

उनके दो कविता संग्रह और 3 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन उनकी ये प्रसिद्ध झांसी की रानी कविता के कारण मिली है। राष्ट्रीय चेतना के एक सच्चे कवित्री रही लेकिन उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में कई बार जेल यातनाएँ सहने के बाद अपनी अनुभूति को कहानी के रूप में अभिव्यक्त किया और उनकी कहानियों में वातावरण चित्रण प्रधान से ली कविता और कहानियों की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है इस कारण इनकी रचना को सादगी दिल को छूती है

जन्म

कुमारी चौहान 16 अगस्त 1904 में निहालपुर, इलाहाबाद,भारत में हुआ था।

उनके पिता का नाम रामनाथ सिंह था और वह एक जमीदार परिवार से थी।

वे बाल्यकाल से ही वे कविता रचने लगी थी। उनकी रचनाएं राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण है।

सुभद्रा कुमारी चौहान  चार बहने और दो भाई थे।

1919 में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ विवाह के बाद में जबलपुर चली गई।

शिक्षा

सुभद्रा कुमारी के पिता रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्हीं की देखरेख में उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी हुई।

पहली महिला – सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी

1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला थी। जिसके लिए उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा। सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी उनकी पुत्री सुधा चौहान से ‘मिला तेज से तेज’ नामक पुस्तक में लिखी है। इसे हंस प्रकाशन, इलाहाबाद ने प्रकाशित कियागया था। वे एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं। डॉo मंगला अनुजा की पुस्तक सुभद्रा कुमारी चौहान उनके साहित्यिक व स्वाधीनता संघर्ष के जीवन पर प्रकाश डालती है। साथ ही स्वाधीनता आंदोलन में उनके कविता के जरिए नेतृत्व को भी रेखांकित करती है।

कथा साहित्य

‘बिखरे मोती’ उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष,होली, पापी पेट, मंझलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोधग्रामीणा कुल 15 कहानियां इन कहानियों के भाषण सरल बोलचाल की भाषा में है। उनकी अधिकतर कहानियां नारी विचार पर केंद्रित हैं! उन्मादिनी शीर्षक से उनका दूसरा कथा संग्रह जिसे1934 में छपा। इस में उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग और वेश्या की लड़की कुल 9 कहानियां हैं।

इन सब कहानियों की मुख्य टिप्पणी पारिवारिक सामाज के पूरे दृश्य को द्र्शती है। ‘सीधे साधे चित्र’ सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व आखिरी कथा संग्रह है। इसमें कुल14 कहानियां हैं। रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला – 8 कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजसे जुड़ी हुई समस्यायें हैं। हींगवाला, राही, तांगे वाला, और गुलाबसिंह कहानियां राष्ट्रीय विषयों पर आधारित हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल 46 कहानियां लिखी और अपनी व्यापक कथा दृष्टि से वे एक  लोकप्रिय कथाकार के रूप में हिन्दी साहित्य जगत में काफी प्र्सिद्द हैं’।

कृतियाँ – सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी

कहानी संग्रह

  •  1932 में बिखरे मोती
  •  1934 में उन्मादिनी
  •  1947 में सीधे साधे चित्र

कविता संग्रह

  • मुकुल
  • त्रिधारा
  • प्रसिद्ध पंक्तियाँ

“यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।  मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥”

“सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी था”।

“मुझे छोड़ कर तुम्हें प्राणधन सुख या शांति नहीं होगी यही बात तुम भी कहते थे  सोचो, भ्रान्ति नहीं होगी”।

जीवनी

  • मिला तेज से तेज

सम्मान

  • भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल 2006 को सुभद्रा कुमारी चौहान की राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम दिया है।
  •  सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में भारतीय डाकतार विभाग ने 6 अगस्त 1976 को 25 पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया है।

मृत्यु

15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया था.

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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