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सुनीता जैन की जीवनी – Sunita Jain Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको सुनीता जैन की जीवनी – Sunita Jain Biography Hindi के बारे में बताएगे।

सुनीता जैन की जीवनी – Sunita Jain Biography Hindi

सुनीता जैन की जीवनी
सुनीता जैन की जीवनी

(English – Sunita Jain) सुनीता जैन एक भारतीय विद्वान, उपन्यासकार, लघु-कथा लेखिका और अंग्रेजी और हिंदी साहित्य की कवयित्री हैं।

वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में एक पूर्व प्रोफेसर और मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं।

उन्होंने 60 से अधिक पुस्तकों को अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित किया, इसके अलावा कई जैन लेखन को अंग्रेजी में अनुवाद किया।

भारत सरकार ने उन्हें 2004 में पद्मश्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।

संक्षिप्त विवरण

 

नाम  सुनीता जैन
पूरा नाम, वास्तविक नाम
 सुनीता जैन
जन्म 13 जुलाई 1941
जन्म स्थान अम्बाला, पंजाब
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म – सुनीता जैन की जीवनी

Sunita Jain का जन्म 13 जुलाई 1941 को अम्बाला, पंजाब में हुआ था।

शिक्षा

सुनीता जैन ने ‘स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयार्क’ से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया था। इसके बाद उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ नेब्रास्का’ से पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा और साहित्य का ‘पद्मश्री’ अलंकरण प्राप्त करने वाली सुनीता जैन, अंग्रेज़ी और हिन्दी में बेहतरीन कविताएँ लिखतीं है।

करियर

1972 में इंद्रप्रस्थ कॉलेज और अरबिंदो कॉलेज में एक छोटे से शिक्षण के बाद, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में शामिल हो गईं और मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रमुख बन गईं, जहां से उन्होंने 2002 में प्रोफेसर के रूप में पदभार ग्रहण किया।

आईआईटी, दिल्ली में रहते हुए, उन्होंने मानविकी विभाग के विस्तार को प्रोत्साहित किया और मास्टर्स और पीएचडी कार्यक्रम को शामिल करने के लिए डिग्री कार्यक्रमों को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रचना कार्य

सुनीता जैन के साहित्यिक अवदान की केंद्रीयता में उनकी कविता ही है। उनका प्रथम कविता-संग्रह ‘हो जाने दो मुक्त’ 1978 में आया था। उनकी अन्य रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

उनके संग्रह जिस रूप में आए हैं, वह विस्मित करने के लिए पर्याप्त है। सुंदर चित्रों तथा रेखांकनों के लिए उनके ‘गान्धर्व पर्व’, ‘दूसरे दिन’, ‘तरु-तरु की डाल पर’, ‘क्षमा’, संग्रह विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। सुंदर मुद्रण के लिए ‘दूसरे दिन’ तथा ‘जाने लड़की पगली’ को देखा जा सकता है।

रचनाएँ

ऋण फूलों-साफागुनज़रा-ज़रा -सासुबह-सुबह यह पक्षी
लकड़हाराखंडहर के पक्षीअच्छा लगता हैचम्पा
छुआ किसनेसरसों का खेत मेरा मनकितने वर्षों बादखोल दी खिड़की कोई
रास्ताकल तक तो यह तन थातन जो मेरा पानी-पानीयह कविता का काँटा

पुरस्कार – सुनीता जैन की जीवनी

मृत्यु

Sunita Jain  की मृत्यु 11 दिसंबर 2017 को नई दिल्ली में हुई।

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