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सुरैया की जीवनी – Suraiya Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपकोसुरैया की जीवनी – Suraiya Biography Hindi के बारे में बताएगे।

सुरैया की जीवनी – Suraiya Biography Hindi

सुरैया हिन्दी फ़िल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और गायिका थीं।

उन्होने 40वें और 50वें दशक में हिन्दी सिनेमा में अपना  मुख्य योगदान दिया।

सुरैया जी ने अदाओं में नज़ाकत, गायकी में नफ़ासत की मलिका ने अपने हुस्न
और हुनर से हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक नई इबारत लिखी।

सुरैया की दादी देव आनंद साहब को पसंद नहीं करती थी।

इसलिए उन्होने ताउम्र शादी नहीं करने का फैसला किया।

जन्म

सुरैया का जन्म 15 जून, 1929 को गुजरांवाला, पंजाब में हुआ था ।

वे अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं। उनका पूरा नाम सुरैया जमाल शेख़ था।

सुरैया नाज़ों से पली सुरैया ने हालांकि संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन आगे चलकर उनकी पहचान एक बेहतरीन अदाकारा के साथ एक अच्छी गायिका के रूप में भी बनी।सुरैया की जीवनी – Suraiya Biography Hindi

सुरैया ने अपने अभिनय और गायकी से हर कदम पर खुद को साबित किया है।

करियर – सुरैया की जीवनी

सुरैया के फ़िल्मी करियर की शुरुआत बड़े रोचक तरीक़े के साथ हुई।

मशहूर खलनायक जहूर जी सुरैया के चाचा थे और उनकी वजह से 1937 में उन्हें फ़िल्म ‘उसने क्या सोचा’
में पहली बार बाल कलाकार के रूप में अभिनय करने की मौका मिला।

1941 में स्कूल की छुट्टियों के दौरान वे मोहन स्टूडियो में फ़िल्म ‘ताजमहल’ की शूटिंग देखने गईं तो निर्देशक नानूभाई वकील की नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने सुरैया को एक ही नज़र में मुमताज़ महल के बचपन के रोल के लिए चुन लिया।इसी तरह संगीतकार नौशाद ने भी जब पहली बार ऑल इंडिया रेडियो पर सुरैया की आवाज़ सुनी और उन्हें फ़िल्म ‘शारदा’ में गवाया।

एक वक़्त था, जब रोमांटिक हीरो देव आनंद सुरैया के दीवाने हुआ करते थे।

लेकिन आखिर में भी यह जोड़ी वास्तविक जीवन में जोड़ी नहीं पाई।

क्योंकि सुरैया की दादी देव साहब पसंद नहीं करती थी।

लेकिन सुरैया ने भी अपने जीवन में देव साहब की जगह किसी और को नहीं आने दिया।

ताउम्र उन्होंने शादी नहीं की और मुंबई के मरीनलाइन में स्थित अपने फ्लैट में अकेले ही ज़िंदगी व्यतीत करती रही।

देव आनंद के साथ उनकी फ़िल्में ‘जीत’ (1949) और ‘दो सितारे’ (1951) काफी प्र्सिध रही ।

ये फ़िल्में इसलिए भी यादों में ताजा रहीं क्योंकि फ़िल्म ‘जीत’ के सेट पर ही देव आनंद ने सुरैया से अपने प्यार का इजहार किया था, और ‘दो सितारे’उन दोनों की आख़िरी फ़िल्म थी।खुद देव आनंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में सुरैया के साथ अपने रिश्ते की बात कबूली है।

वह लिखते हैं कि सुरैया की आंखें बहुत ख़ूबसूरत थीं।

वे इसके साथ ही एक बड़ी गायिका भी थीं। हां, मैंने उनसे प्यार किया था।

इसे मैं अपने जीवन का पहला मासूम प्यार कहना चाहूंगा।

 फ़िल्में

 1961 में ‘शमा’ 1961 में ‘शमा’ 1954 में ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’
1951 में ‘दो सितारे’1950 में ‘खिलाड़ी’1951 में ‘सनम’
1950 में ‘कमल के फूल’1940 में ‘शायर’1949 में ‘जीत’
1948  में ‘विद्या’1946 में ‘अनमोल घड़ी’1943 में ‘हमारी बात’

गायन कला

अभिनय के अतिरिक्त सुरैया ने कई यादगार गीत भी गाए, जो अब भी काफ़ी लोकप्रिय है।

इन गीतों में, सोचा था क्या मैं दिल में दर्द बसा लाई, तेरे नैनों ने चोरी किया, ओ दूर जाने वाले, वो पास रहे या दूर रहे, तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी, मुरली वाले मुरली बजा आदि शामिल हैं।

अन्य जानकारी – सुरैया की जीवनी

मृत्यु

31 जनवरी, 2004 को मुंबई, भारत में सुरैया की मृत्यु हो गई ।

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