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तलत महमूद की जीवनी – Talat Mahmood Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको तलत महमूद की जीवनी – Talat Mahmood Biography Hindi के बारे में बताएगे।

तलत महमूद की जीवनी – Talat Mahmood Biography Hindi

तलत महमूद की जीवनी
तलत महमूद की जीवनी

 English – Talat Mahmood तलत महमूद भारत के प्रसिद्ध पार्श्वगायक और फ़िल्म अभिनेता थे। 1939 में वे ऑल इंडिया रेडियो के लिए गजल गाने लगे।

1941 में एचएमवी ने पहली डिस्क के लिए कांट्रेक्ट किया।

उनकी 1944 में गैर फिल्मी गीतों की एक लाख कॉपियाँ बिकी।

उन्होने 1949 में बॉलीवुड में  काम करना शुरू किया।

तलत महमूद को 1992 में पद्मभूषण से नवाजा गया।

संक्षिप्त विवरण

 

नामतलत महमूद, तपन कुमार
पूरा नामतलत महमूद
जन्म24 फरवरी 1924
जन्म स्थानलखनऊ, उत्तर प्रदेश
पिता का नाममंजूर महमूद
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म मुस्लिम
जाति

जन्म

Talat Mahmood का जन्म 24 फरवरी 1924 को लखनऊ उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे एक खानदानी मुस्लिम परिवार थे।

उनके पिता का नाम मंजूर महमूद था।

शिक्षा – तलत महमूद की जीवनी

घर में संगीत और कला का सुसंस्कृत परिवेश इन्हें मिला। इनकी बुआ को तलत की आवाज़ की ‘लरजिश’  पसंद थी। भतीजे तलत महमूद बुआ से प्रोत्साहन पाकर गायन के प्रति आकर्षित होने लगे। इसी रुझान के चलते उन्होने ‘मोरिस संगीत विद्यालय’, वर्तमान में ‘भातखंडे संगीत विद्यालय’, में दाखिला लिया।

करियर

शुरुआत में तलत महमूद ने लखनऊ आकाशवाणी से गाना शुरू किया। उन्होंने सोलह साल की उम्र में ही पहली बार आकाशवाणी के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड करवाया था। इस गाने को लखनऊ शहर में काफ़ी प्रसिद्धि मिली।

इसके बाद प्रसिद्ध संगीत कम्पनी एचएमवी की एक टीम लखनऊ आई और इस गाने के साथ-साथ तीन और गाने तलत से गवाए गए। इस सफलता से तलत की किस्मत चमक गई। यह वह दौर था, जब सुरीले गायन और आकर्षक व्यक्तित्व वाले युवा हीरो बनने के ख्वाब सँजोया करते थे।

तलत महमूद गायक और अभिनेता बनने की चाहत लिए 1944 में कोलकाता चले गए। उन्होंने शुरुआत में तपन कुमार के नाम से गाने गाए, जिनमें कई बंगाली गाने भी थे। वास्तव में कैमरे के सामने आते ही तलत महमूद तनाव में आ जाते थे, जबकि गायन में सहज महसूस करते थे।

कोलकाता में बनी फ़िल्म ‘स्वयंसिद्धा’ 1945 में पहली बार उन्होंने पार्श्वगायन किया। अपनी सफलता से प्रेरित होकर बाद में तलत मुंबई आ गए और संगीतकार अनिल विश्वास से मिले।

तलत जी ने हिन्दी फ़िल्मों में आखिरी बार ‘जहाँआरा’ के लिए गाया। इस फ़िल्म का संगीत मदन मोहन ने दिया था।

उन्होने लगभग 12 भाषाओं में करीब 750 गाने गाये।

योगदान

‘ग़ज़ल’ गायकी को तलत महमूद ने सम्माननीय ऊँचाईयाँ प्रदान कीं। हमेशा उत्कृष्ट शब्दावली की गजलें ही चयनित कीं। सस्ते बोलों वाले गीतों से उन्हें हमेशा परहेज रहा। यहाँ तक कि गीतकार और संगीतकार उन्हें रचना देने से पहले इस बात को लेकर आशंकित रहते थे कि तलत उसे पसंद करेंगे या नहीं। ग़ज़ल के आधुनिक स्वरूप से वे काफ़ी निराश थे। विशेषकर बीच में सुनाए जाने वाले चुटकुलों पर उन्हें सख्त एतराज था। बतौर तलत महमूद के कथनानुसार- “ग़ज़ल प्रेम का गीत होती है, हम उसे बाज़ारू क्यों बना रहे हैं। इसकी पवित्रता को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।” मदन मोहन, अनिल विश्वास और खय्याम की धुनों पर सजे उनके तराने बरबस ही दिल मोह लेते हैं। मुश्किल से मुश्किल बंदिशों को सूक्ष्मता से तराश कर पेश करना उनकी ख़ासियत थी।

नौशाद का कथन

1986 में तलत महमूद ने आखिरी रिकार्डिंग ग़ज़ल एल्बम ‘आखिरी साज उठाओ’ के लिए की थी। संगीत निदेशक नौशाद ने एक बार कहा था कि “तलत महमूद के बारे में मेरी राय बहुत ऊँची है। उनकी गायिकी का अंदाज अलग है। जब वह अपनी मखमली आवाज़ से अनोखे अंदाज में ग़ज़ल गाते हैं, तो ग़ज़ल की असली मिठास का अहसास होता है। उनकी भाषा पर अच्छी पकड़ है और उन्हें पता है कि किस शब्द पर ज़ोर देना है। तलत के होंठो से निकले किसी शब्द को समझने में कठिनाई नहीं होती।

इंटरव्यू – तलत महमूद की जीवनी

गायकी के अलावा तलत साहब ने 15 के करीब हिंदी फिल्मों में एक्टिंग भी की। उन्होंने नूतन, माला सिन्हा और सुरैया जैसी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ काम किया. मगर एक्टिंग में उनका मामला जमा नहीं और उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी। 1985 में एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे उनके एक्टिंग करियर के बारे में पूछा गया तो तलत का जवाब था, ”जनाब, क्या आप उस गलती को भूल नहीं सकते? हमने भी खता की है. कौन है जिसकी ख्वाहिश नहीं है कि वो भी दिलीप कुमार बने. ”

तलत महमूद किसी भी गाने को गाने से पहले उनके बोलों को सुनिश्चित कर लेते थे. अगर गाने में उन्हें कहीं से भी चीपनेस नजर आती थी तो वे उस गाने को गाने से तौबा कर लेते थे. उन्होंने हमसे आया ना गया, जाएं तो जाएं कहां, इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा, जलते हैं जिसके लिए, फिर वही शाम वही गम और ऐ मेरे दिल कहीं और चल शामिल हैं.

प्रसिद्ध नगमें

  • जाएँ तो जाएँ कहाँ – टैक्सी ड्राइवर
  • सब कुछ लुटा के होश – एक साल
  • फिर वही शाम, वही गम – जहाँआरा
  • मेरा करार ले जा – आशियाना
  • शाम-ए-ग़म की कसम – फुटपाथ
  • हमसे आया न गया – देख कबीरा रोया
  • प्यार पर बस तो नहीं – सोने की चिड़िया
  • ज़िंदगी देने वाले सुन – दिल-ए-नादान
  • अंधे जहान के अंधे रास्ते – पतिता
  • इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा – छाया
  • आहा रिमझिम के ये – उसने कहा था
  • दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है – मिर्ज़ा ग़ालिब

फ़िल्मी सफर

  • मालिक – 1958
  • सोने की चिड़िया – 1958
  • एक गाँव की कहानी – 1957
  • दीवाली की रात – 1956
  • रफ़्तार – 1955
  • डाक बाबू – 1954
  • वारिस- 1954
  • दिल-ए-नादान – 1953
  • आराम – 1951
  • सम्पत्ति – 1949
  • तुम और मैं – 1947
  • राजलक्ष्मी – 1945

पुरस्कार – तलत महमूद की जीवनी

मृत्यु

Talat Mahmood  की मृत्यु 9 मई 1998 को मुंबई में हुई।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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