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ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी – Tarasankar Bandyopadhyay Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी – Tarasankar Bandyopadhyay Biography Hindi के बारे में बताएगे।

ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी – Tarasankar Bandyopadhyay Biography Hindi

ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी

(English – Tarasankar Bandyopadhyay)ताराशंकर बंद्योपाध्याय बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

उन्हें प्रसिद्ध उपन्यास ‘गणदेवता’ के लिए 1966 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

1969 में उन्हे ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।

 

 

संक्षिप्त विवरण

नामताराशंकर बंद्योपाध्याय
पूरा नाम, अन्य नाम
ताराशंकर बंद्योपाध्याय, ताराशंकर बनर्जी
जन्म23 जुलाई, 1898
जन्म स्थानलाभपुर, वीरभूमि, बंगाल
पिता का नाम
माता  का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
मृत्यु
14 सितंबर 1971
मृत्यु कारण
कलकत्ता (अब कोलकाता)

जन्म और कार्य – ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी

ताराशंकर बंद्योपाध्याय का जन्म 23 जुलाई, 1898 को बंगाल के वीरभूमि के लाभपुर में हुआ था।

ताराशंकर अपने समय के बंगला उपन्यासकारों में सबसे अधिक प्रसिद्ध रहे।

उनके उपन्यास ‘आरोग्य निकेतन’ और ‘गणदेवता’ को पुरस्कृत किया जा चुका था।

‘आरोग्य निकेतन’ पर 1956 में साहित्य अकादमी की ओर से तथा ‘गणदेवता’ पर 1967 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए थे।

उनकी विशेषता यह थी कि वे प्रादेशिक जीवन को व्यापक रूप में चित्रित करते रहे।

इस काम में उन्हें अच्छी सफलता भी प्राप्त हुई। संभवत: उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण भी यही था।

प्रादेशीय जीवन का चित्रण करते समय ऐसा प्रतीत होता है कि किसी फोटोग्राफर ने चित्र उतारकर रख दिया है।

ताराशंकर जी की कहानी ‘जलसाघर’ पर सत्यजीत रे ने फिल्म भी बनाई थी।

रचनाएँ

सम्मान और पुरस्कार

मृत्यु – ताराशंकर बंद्योपाध्याय की जीवनी

ताराशंकर बंद्योपाध्याय की मृत्यु 14 सितंबर 1971 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ।

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