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उदयभानु हंस की जीवनी – Uday Bhanu Hans Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको उदयभानु हंस की जीवनी – Uday Bhanu Hans Biography Hindi के बारे में बताएगे।

उदयभानु हंस की जीवनी – Uday Bhanu Hans Biography Hindi

Uday Bhanu Hans हरियाणा के राज्य-कवि हैं और हिंदी में ‘रुबाई’ के प्रवर्तक कवि हैं जो ‘रुबाई सम्राट’ के रूप में लोकप्रिय हैं।

उदयभानु हंस की ‘हिंदी रुबाइयां’ 1952 में प्रकाशित हुई थीं जो नि:संदेह हिंदी में एक ‘नया’ और निराला प्रयोग था।

उन्होने हिंदी साहित्य को अपने गीतों, दोहों, कविताओं व ग़ज़लों से समृद्ध किया है।

जन्म

उदयभानु हंस का जन्म 2 अगस्त 1926 को पाकिस्तान के दीन पनाह गाँव में हुआ था

बचपन में उनकी छोटी कद काठी के कारण उनके साथी उन्हे ‘बटुक’ कहते थे।

उनके पिता हिन्दी और संस्कृत  के विद्वान थे और इसके साथ ही वे एक कवि भी थे।

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शिक्षा

उदयभानु हंस ने 8वीं कक्षा तक उर्दू -फारसी पढ़ी और वे घर में अपने पिताजी से हिन्दी और संस्कृत पढ़ते थे।

उदयभानु हंस ने सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज ,मूलतान और रामजस कॉलेज दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की थी।

राज्यकवि उदयभानु हंस को 6 भाषाओं की जानकारी थी।

हिन्दी,अंग्रेजी,सिरायकी, उर्दू और हरियाणवी में उन्होने साहित्य की रचना की है।

हंस जी ने अपने पिता जी के द्वारा लिखित सिरायकी दास रामायण का संपादन भी किया था।

करियर – उदयभानु हंस की जीवनी

उदयभानु हंस जी आजीवन शिक्षक बने रहे। पाकिस्तान से आने के बाद उन्होने दिल्ली में प्रभाकर शिक्षक के तौर पर अपनी नौकरी शुरू की। इसके बाद में वे हिन्दी प्राध्यापक के रूप गवर्नमेंट कॉलेज हिसार आए और वे भिवानी में बतौर प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। इसके बाद गवर्नमेंट कॉलेज हिसार में उन्होने शिक्षक जीवन के बाकी दिनों को जिया। यहा पर वे प्राध्यापक के रूप रहे । सेवानिवृत के बाद भी वे अध्यापन से विमुख नहीं हुये वे यहाँ के लोगों को साहित्य सृजन के मार्गदर्शक बनकर लोगों को साहित्य ज्ञान बांटते रहे ।

उनकी एक रुबाई कुछ इस प्रकार से है –

साधु से मै आलाप भी कर लेता हूँ

मंदिर में कुछ जाप भी कर लेता हूँ

मानव कही देव न बन जाऊँ मै

यह सोच के कुछ पाप भी कर लेता हूँ

प्रसिद्ध गीतकार ‘नीरज’ तो हंस को मूल रूप से गीतकार मानते हैं, वे कहते हैं, “नि:संदेह हंस की रुबाइयाँ हिंदी साहित्य में बेजोड़ कही जा सकती हैं, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति का प्रमुख क्षेत्र गीत ही है।”

सुप्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन ‘हंस’ जी को को हिंदी कविता की एक विशेष प्रवृति का पोषक मानते थे।

यह ‘हंस’ जी की क़लम ही है, जो माटी के दर्द को भी वाणी दे सकती है:

“कौन अब सुनाएगा, दर्द हमको माटी का,
‘प्रेमचंद’ गूंगा है, लापता ‘निराला’ है।”

प्रकाशन

”उदयभानु हंस रचनावली” दो खण्ड ( कविता), दो खण्ड ( गद्य)

साहित्यिक उपलब्धियाँ :

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मृत्यु – उदयभानु हंस की जीवनी

लंबी बीमारी के चलते 26 फरवरी 2019 को उनकी मृत्यु हो गई।

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