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विद्याचरण शुक्ल की जीवनी – Vidya Charan Shukla Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको विद्याचरण शुक्ल की जीवनी – Vidya Charan Shukla Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

विद्याचरण शुक्ल की जीवनी – Vidya Charan Shukla Biography Hindi

विद्याचरण शुक्ल की जीवनी

विद्याचरण शुक्ल भारतीय राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक है।

उनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल वकील, स्वतंत्रता सेनानी, अनुभवी कांग्रेसी नेता और अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।

विद्याचरण शुक्ल ने 1957 में पहली बार महासमुंद से लोकसभा चुनाव जीते और सबसे युवा सांसद बने।

जन्म

विद्याचरण शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 को रायपुर में हुआ था।

उनके पिता का नाम पंडित रविशंकर शुक्ल था। जो मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।

विद्याचरण शुक्ल के भाई का नाम में श्यामाचरण शुक्ल था।

वे भी मध्यप्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

15 फरवरी 1951 को विद्याचरण शुक्ल की शादी सरला शुक्ला से हुई और उनके तीन बेटियां हैं।

शिक्षा – विद्याचरण शुक्ल की जीवनी

विद्याचरण शुक्ल ने 1951 में  नागपुर के मोरिस कॉलेज से बी.ए. शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद में उन्होंने एक कंपनी भी शुरू की जो सफारी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के एक्सपीडिशन आयोजित करती है।

इसके अलावा उन्होंने मैगजीन और डोलमाइट के खनन का भी काम शुरू किया।

करियर

  • 1957 में पहली बार महासमुंद में से लोकसभा चुनाव जीती और सबसे युवा सांसद बने।  यह उनके खुद में ही रिकॉर्ड था कि वे नौ बार लोकसभा के सांसद रहे। 1966 में पहली बार इंदिरा गांधी कैबिनेट में शामिल हुए। विद्या चरण शुक्ला चंद्रशेखर सरकार में भी विदेश मंत्री रहे।
  • 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने विद्या चरण शुक्ल को महासमुंद सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा। एक बड़े बहुमत के साथ जीत दर्ज कर उन्होंने भारतीय संसद में अपनी जगह बनाई।
  • 1962 मे महासमुंद से दुबारा सांसद बने। वह उस वक्त के युवा सांसदों में से एक थे।
  • 1962 में महासमुंद से और 1971 मे रायपुर से सांसद बने।
  • 1977 मे उन्होने लोकसभा का चुनाव रायपुर से लडा पर आपातकाल से उपजे आक्रोश के कारण वे हार गये। नौ लोकसभा चुनावों में जीतकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी में अपनी जबरदस्त धाक जमाई।
  • 1966 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी, तो उन्होंने विद्या चरण शुक्ल को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया। राजनीतिक सफर के दौरान उन्हें कई बेहद महत्त्वपूर्ण मंत्रालय मिले जैसे दूरसंचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, सूचना एवं प्रसारण, विदेश, संसदीय, जल संसाधन।
  • 1975 से 1977 के दौरान विद्या चरण शुक्ल ने ही ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर कुमार के गाने पर रोक लगा दी थी। तब वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। दरअसल किशोर कुमार ने कांग्रेस के लिए गाने से इनकार कर दिया था। इससे नाराज होकर उन्होंने ये सख्त कदम उठाया था।

मृत्यु

26 मई, 2013 को कांग्रेस की ‘परिवर्तन यात्रा’ पर नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 27 लोग मारे गए और विद्या चरण शुक्ल तथा 31 अन्य लोग जख्मी हो गए थे।

शुक्ल को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती करावाया गया था जहां उनका दुखद निधन हो गया।

उन सबकी मौत पर तीन दिन का राजकीय शोक रखा गया था।

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