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विमल प्रसाद चालिहा की जीवनी

विमल प्रसाद चालिहा असम के एक जाने-माने व्यक्ति थे। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में बहुत ही अच्छे अच्छे कार्य किए और वे अपने असम की जनता के लिए बहुत ही लोकप्रिय हो गए थे अपने कार्यों के लिए। विमल प्रसाद चालिहा एक अच्छे रचनात्मक कार्यक्रम आगे होने के साथ-साथ में एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे।

राजनीति के भी रहे हैं। उन्होंने कई महान व्यक्तियों के साथ मिलकर भी बहुत बड़े-बड़े कार्य किए हैं और क्रांतिकारी कार्य में भाग लिया है। तो आइए आज हम इस आर्टिकल में आपको विमल प्रसाद चालिहा की जीवनी के बारे में बताएंगे।

विमल प्रसाद चालिहा की जीवनी

विमल प्रसाद चालिहा की जीवनी
विमल प्रसाद चालिहा की जीवनी

जन्म

विमल प्रसाद चालिहा का जन्म 26 मार्च 1912 को हुआ था।  

शिक्षा

विमल प्रसाद चालिहा ने कोलकाता के कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की ।

योगदान

विमल प्रसाद चालिहा जब कोलकाता के कॉलेज में पढ़ते  थे उस समय गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रभाव में आकर वे उनके सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गए थे। उन्होने 1932 में जेल की यात्रा भी की। विमल प्रसाद चालिहा  ने एक नए तरीके का चरखे का निर्माण किया था। जिसकी गांधी जी ने बहुत ही सराहना की थी। उनका ‘अखिल भारतीय चरखा संघ’ से भी संबंध था। भारत छोड़ो आंदोलन में वे 1942 से 1940 तक नजरबंद रहे थे।

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करियर

विमल प्रसाद चालिहा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में 1962 में चीन ने आक्रमण कर दिया था तो इसका असम पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा था। उन्होंने उन सब परिस्थितियों का बड़े ही धैर्य और राजनीतिज्ञ सूझबूझ के साथ सामना किया था। चालिहा 1957 में संविधान सभा के सदस्य के चुने गए और राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए निर्वाचित पद पर गए थे।

मुख्यमंत्री पद पर उन्होने 1971 तक रहे। उनका मुख्यमंत्री काल असम के लिए एक अर्थ में पूरे देश के लिए बहुत ही घटना पूर्ण रहा।

असम की एक के बाद एक राजनीतियों के क्षेत्रीय दलों ने अपने पृथक राज्य के लिए शस्त्र आंदोलन की शुरुआत कर दी थी। चंद कमी को होते हुए राज्य और केंद्र सरकार ने इनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और असम का विभाजन करके मेघालय, नागालैंड और मिजोरम जैसे नए राज्य की स्थापना कर दी थी।

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