Biography Hindi

विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी – Vishnu Sakharam Khandekar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी – Vishnu Sakharam Khandekar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी – Vishnu Sakharam Khandekar Biography Hindi

विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी
विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी

(English – Vishnu Sakharam Khandekar)विष्णु सखाराम खांडेकर मराठी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे।

उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अतिरिक्त नाटक, निबन्ध तथा आलोचनात्मक निबन्ध आदि लिखे थे।

उनको ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मभूषण’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (1974) से भी सम्मानित किया गया था।

संक्षिप्त विवरण

 

नामविष्णु सखाराम खांडेकर
पूरा नाम, वास्तविक नाम
विष्णु सखाराम खांडेकर
जन्म19 जनवरी 1978
जन्म स्थानसांगली, महाराष्ट्र,भारत
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म – विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी

Vishnu Sakharam Khandekar का जन्म 19 जनवरी, 1898 को महाराष्ट्र के सांगली ज़िले में हुआ था। विष्णु सखाराम खांडेकर का ‘मनु मनेरीकर’ से विवाह हुआ।

मनु शिक्षित नहीं थीं, साहित्य के प्रति किसी प्रकार की रुचि भी उनमें न थी; पर वह कुशल गृहिणी थीं। 1933 में एक विषैले सांप द्वारा डसे जाने पर खांडेकर को बहुत कष्ट सहना पड़ा और इसका प्रभाव उनके चेहरे पर बाद तक बना रहा।

शिक्षा

1913 में बंबई विश्वविद्यालय से मैट्रिक में अच्छे अंकों से वे उत्तीर्ण हुए थे।

बाद में पुणे जाकर उन्होंने ‘फ़र्ग्युसन कॉलेज’ में प्रवेश लिया, लेकिन इस बीच उनके पिता दिवगंत हो गए और उनके चाचा ने उन्हें गोद ले लिया।

चाचा को उनके शिक्षण पर ख़र्च करना बेकार लगा, इसलिए कॉलेज छोड़कर विष्णु सखाराम खांडेकर को घर पर वापस लौटना पड़ा। तीन वर्ष वह गंभीर रोगों से पीड़ित रहे और स्वस्थ होने पर 1920 में घर से लगभग 24 कि.मी. दूर ‘शिरोद’ नामक गांव के एक स्कूल में अध्यापकके रूप में कार्य किया।

पटकथा लेखन

शिरोद से Vishnu Sakharam Khandekar 1938 में कोल्हापुर आ गए और उसके बाद से वहीं रहकर प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक, अभिनेता मास्टर विनायक के लिए फ़िल्मी पटकथा लिखने में लग गए। कुछ वर्ष बाद मास्टर विनायक की असमय मृत्यु हो जाने पर पटकथा लेखन से उनकी रुचि हट गई और फिर वह अपने लेखन-कार्य में संलग्न हो गए।

1941 में विष्णु सखाराम खांडेकर को ‘मराठी साहित्य सम्मेलन’ का अध्यक्ष चुना गया। उनकी रचनाओं पर मराठी में ‘छाया’, ‘ज्वाला’, ‘देवता’, ‘अमृत’, ‘धर्मपत्नी’ और ‘परदेशी’ आदि फ़िल्में भी बनीं। इन सब फ़िल्मों में से ‘ज्वाला’, ‘अमृत’ और ‘धर्मपत्नी’ नाम से हिन्दी भाषा में भी फ़िल्में बनाई गईं। उन्होंने मराठी फ़िल्म ‘लग्न पहावे करून’ की पटकथा और संवाद लेखन का कार्य भी किया था।

लेखन – विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी

खांडेकर को प्रतिकूल स्वास्थ्य के कारण जीवन भर कष्ट भोगने पड़े ।

उनकी दृष्टि तक चली गई, मगर 78 वर्ष की आयु में भी वह प्रमुख मराठी पत्र-पत्रिकाओं को नियमित रचना-सहयोग दिया करते और साहित्य जगत की प्रत्येक नई गतिविधि से संपर्क बनाए रखते।

रचनाएँ

प्रमुख कृतियां:-

उपन्यास-

  • देवयानी
  • ययाति
  • शर्मिष्ठा
  • कचदेव

पुरस्कार

  • ‘ययाति’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी ने भी पुरस्कृत किया और बाद में फ़ेलोशिप भी प्रदान की।
  • भारत सरकार ने साहित्यिक सेवाओं के लिए ‘पद्मभूषण’ उपाधि से अलंकृत किया।
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार द्वारा सम्मानित होने वाले वह प्रथम मराठी साहित्यकार थे।
  • भारत सरकार ने विष्णु सखाराम खांडेकर के सम्मान में 1998 में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था।

निधन – विष्णु सखाराम खांडेकर की जीवनी

विष्णु सखाराम खांडेकर का निधन 2 सितंबर, 1976 को हुआ।

इसे भी पढ़े – 19 जनवरी का इतिहास – 19 January History Hindi

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close