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योगेश्वर दत्त की जीवनी – Yogeshwar Dutt Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको योगेश्वर दत्त की जीवनी – Yogeshwar Dutt Biography Hindi के बारे में बताएगे।

योगेश्वर दत्त की जीवनी – Yogeshwar Dutt Biography Hindi

योगेश्वर दत्त की जीवनी

( English – Yogeshwar Dutt) योगेश्वर दत्त भारत के प्रसिद्ध पहलवान तथा कुश्ती के खिलाड़ी हैं।

उन्होंने 2012 में ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कुश्ती की 60 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल प्रतियोगिता में देश के लिए काँस्य पदक जीता था।

उनकी खेल उपलब्धियों पर भारत सरकार ने उन्हें ‘राजीव गाँधी खेल रत्न’ से सम्मानित किया था।

वर्तमान में वे  हरियाणा पुलिस में एक उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) हैं।

संक्षिप्त विवरण

 

नाम योगेश्वर दत्त
पूरा नाम

अन्य नाम

 योगेश्वर दत्त

योगी, पहलवान जी

जन्म2 नवंबर, 1982
जन्म स्थानभैंसवाल, गोहाना सोनीपत, हरियाणा
पिता का नामराम मेहर
माता का नामसुशीला देवी
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म – योगेश्वर दत्त की जीवनी

योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवंबर 1982 को भैंसवाल कलाँ नामक स्थान पर, गोहाना, ज़िला सोनीपत, हरियाणा राज्य में हुआ था।

उनके पिता का नाम राम मेहर तथा उनकी माता का नाम सुशीला देवी है।

लंदन ओलम्पिक के काँस्य विजेता

योगेश्वर दत्त भारत की ओर से कुश्ती में मेडल जीतने वाले तीसरे पहलवान हैं।

सबसे पहले 1952 के ओलम्पिक खेलों में भारत के खाशाबा जाधव ने काँस्य पदक जीता था।

फिर 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में पहलवान सुशील कुमार काँस्य जीतने में कामयाब रहे थे।

लंदन ओलम्पिक में एक समय ऐसा लग रहा था कि योगश्वर दत्त मेडल नहीं जीत पाएंगे और 60 कि.ग्रा. भार वर्ग में अंतिम 8 के मुकाबले में रूस के पहलवान से हार गए थे, लेकिन वह भाग्यशाली रहे कि उन्हें कुश्ती के एक नियम का फायदा मिला।

उन्हें हराने वाला रूसी पहलवान फ़ाइनल में पहुंच गया और योगेश्वर को रेपचेज राउंड में मौका मिल गया।

इसमें उन्हें दो मैच खेलने पड़े। सबसे पहले उन्होंने प्यूर्टोरिको के पहलवान को हराया, फिर दूसरे मुकाबले में ईरान के पहलवान को हराकर काँस्य पर कब्जा कर लिया।

रियो का कोटा

योगेश्वर दत्त ने एशियन क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में 65 कि.ग्रा. फ्रीस्टाइल में ओलम्पिक का कोटा हासिल किया था।

उन्होंने पहले दौर में कोरिया के जु सोंग किम को 8-1 से हराया था।

इसके बाद वियतनाम के जुआन डिंह न्गुयेन को क्वार्टर फ़ाइनल में तकनीकी वर्चस्व के आधार पर हराया।

सेमीफ़ाइनल में योगेश्वर ने कोरिया के सेयुंगचुल ली को 7-2 से मात दी थी।

इसी के साथ उन्होंने ओलम्पिक में अपनी जगह पक्की कर ली। गौरतलब है कि हर श्रेणी में से शीर्ष दो खिलाड़ियों को ओलम्पिक में जाने का मौका मिलना था, इसी नियम के तहत योगेश्वर को इसका टिकट मिला था।

कुश्ती से लगाव

योगेश्वर दत्त को कुश्ती के गुर स्वर्गीय मास्टर सतबीर भैंसवालिया ने सिखाए थे। सतबीर पेशे से पीटीआई थे और रिटायर होने के बाद वह अखाड़ा चलाने लगे थे। योगेश्वर दत्त को अपने कॅरियर के दौरान कई बार चोट लगी है। वास्तव में वह बचपन से ही चोट का शिकार रहे हैं, लेकिन उन्होंने कुश्ती के प्रति अपने लगाव को कम नहीं होने दिया।

उन्होंने 8 साल की उम्र से ही कुश्ती से नाता जोड़ लिया था और अब उनकी सफलता से तो हर कोई परिचित ही है। सोनीपत, हरियाणा के योगेश्वर ने अपनी तैयारी किसी और के साथ नहीं बल्कि वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में मेडल विजेता रहे बजरंग के साथ की है।

पदक और पुरस्कार

विवाद – योगेश्वर दत्त की जीवनी

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