ज़ैल सिंह सिख धर्म के विद्वान् पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके थे। वे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, सत्यनिष्ठा के राजनीतिक कठिन रास्तों को पार करते हुए भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुँचे और 1982 में भारत के गौरवमयी राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए। 1987 तक के अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘ब्लूस्टार ऑपरेशन’ और इंदिरा गांधी की हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको जैल सिंह की जीवनी – Zail Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।
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जैल सिंह की जीवनी – Zail Singh Biography Hindi
जन्म
ज़ैल सिंह का जन्म 5 मई, 1916 को पंजाब में फरीदकोट ज़िले के संधवा नामक गाँव में हुआ था। ज़ैल सिंह का बचपन का नाम जरनैल सिंह था। उनके पिता खेती करते थे और वे एक किसान के बेटे थे जिसने हल चलाया, फसल काटी, पशु चराए और खेती के कई काम करते थे, एक दिन भारत का राष्ट्रपति बन गये। यह बहुत ही असाधारण बात है और इसे सिद्ध कर दिखाया और ज़ैल सिंह देश के आठवें राष्ट्रपति बन गये।
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शिक्षा
ज़ैल सिंह की स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं हो पाई थी कि उन्होंने उर्दू सीखन आरंभ किया, फिर पिता की राय से गुरुमुखी पढ़ने लगे। इसी बीच में वे एक परमहंस साधु के संपर्क में आए। अढाई वर्ष तक उससे बहुत कुछ सीखने-पढ़ने को मिला। फिर गाना-बजाना सीखने की धुन सवार हुई तो एक हारमोनियम बजाने वाले के कपड़े धोकर, उसका खाना बनाकर हारमोनियम बजाना सीखने लगे। पिता ने राय दी कि तुम्हें गाना आता है तो कीर्तन करो, गुरुवाणी का पाठ करो। इस पर जरनैल सिंह ने ‘ग्रंथी’ बनने का निर्णय किया और स्कूली शिक्षा छूट गई। वे गुरुग्रंथ साहब के ‘व्यावसायिक वाचक’ बन गए। इसी से उन्हे ‘ज्ञानी’ की उपाधि मिली। अंग्रेजों द्वारा कृपाण पर रोक लगाने के विरोध में ज़ैल सिंह को भी जेल जाना पड़ा था। वहां उन्होंने अपना नाम जैल सिंह लिखवा दिया। छूटने पर यही से जैल सिंह नाम प्रसिद्ध हो गया।
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करियर
ज़ैल सिंह क्रांतिकारियों के भी संपर्क में आए और उन्होंने ‘प्रजामंडल’ का गठन किया। वे मास्टर तारासिंह के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें फिर पढ़ने के लिए भेज दिया। वहां पर वे ज्यादा समय नहीं टिके और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में नौकरी कर ली। स्वतंत्रता की भावना और राष्ट्रीय विचार उनके अंदर शुरू से ही थे। 1946 में जब फरीदकोट में अफसरों ने तिरंगा झंडा नहीं फहराने दिया तो उन्होने नेहरू जी को निमंत्रित कर लिया। इस अवसर पर पूरे फरीदकोट को जैल सिंह के पीछे खड़ा देखकर नेहरू जी ने उनके प्रभाव का अनुभव किया और जैल सिंह उनके निकट आ गए। 1969 में उनकी इंदिरा जी से राजनीतिक निकटता बढ़ी। 1972 से 1977 तकजैल सिंह जी पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। 1980 में जब इंदिरा जी दोबारा सत्ता में आईं तो उन्होंने जैल सिंह जी को देश का गृहमंत्री बनाया।
1982 में श्री नीलम संजीव रेड्डी का कार्यकाल समाप्त होनेके बाद जैल सिंह जी देश के आठवें राष्ट्रपति चुने गए। 25 जुलाई, 1982 को उन्होंने पद की शपथ ली। उनके कार्यकाल में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या मुख्य घटनाएं हैं। इंदिरा जी की हत्या के बाद राजीव गांधी को उन्होने ही प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। लेकिन आखिरी दिनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के संबंधों में खिंचाव के समाचार आने लगे थे, पर जैल सिंह जी अपना संतुलन बनाए रहे। 25 जुलाई, 1987 में उनका कार्यकाल पूरा हुआ था।
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मृत्यु
ज़ैल सिंह की मृत्यु 25 दिसंबर, 1994 को चंडीगढ़ में एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के कारण हुई थी ।