आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की जीवनी – Shivmangal Singh Suman Biography Hindi के बारे में बताएंगे
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की जीवनी – Shivmangal Singh Suman Biography Hindi
डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद थे।
हिंदी कविता की वाचिक परंपरा उनकी लोकप्रियता के साक्षी है।
वे देशभर के काव्य प्रेमियों को अपने गीतों की रवानी से अचंभित कर देते थे।
जन्म
शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था।
शिक्षा – डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की जीवनी
शिवमंगल सुमन ने प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश, उन्नाव से ही पूरी की।
ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से बी .ए. और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एम. ए., पी.एच.डी.1950 में डी.लिट. उपाधि के साथ भी सम्मानित किया गया।
ग्वालियर, इंदौर और उज्जैन में भी उन्होंने अध्यापन कार्य किया
कार्य क्षेत्र
शिवमंगल सिंह सुमन का कार्य क्षेत्र अधिक़तर शिक्षा जगत से ही संबंधित रहा है। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में हिंदी के प्रवक्ता, माधव महाविद्यालय, उज्जैन के प्राचार्य और फिर कुलपति रहे।
अध्यापन के अलावा उन्होंने कई महत्वपूर्ण संस्थाओं और प्रतिष्ठानों से जुड़कर हिंदी साहित्य में एक साथ वृद्धि की। सुमन जी एक प्रिय अध्यापक, कुशल शासक और प्रखर चिंतक और विचारक भी थे।
वह साहित्य को बोझ नहीं मानते थे और अपनी सहजता में गंभीरता को छुपाए रखते थे। शिवमंगल सिंह साहित्य प्रेमियों में ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों में भी काफी लोकप्रिय थे।
शहर में किसी भी अज्ञात-अजनबी व्यक्ति के लिए रिक्शे वाले को यह बताना काफी था कि उसे सुमन जी के घर जाना है। रिक्शावाला बिना किसी पूछताछ किए आगंतुक उनके घर तक छोड़ आता था।
- सुमन जी ने 1968-78 के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति के रूप में कार्य किया.
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के उपराष्ट्रपति.
- 1956-61 के दौरान प्रेस और सांस्कृतिक अटैच भारतीय दूतावास, काठमांडू( नेपाल) में.
- और 1977 से 78 के दौरान भारतीय विश्वविद्यालय संघ , (नई दिल्ली) में अध्यक्ष के तौर पर रहे।
- शिवमंगल सिंह ‘सुमन जी कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे।
रचनाएं
कविता संग्रह
हिल्लोल-(1939) में | जीवन के गान-(1942) में | युग का मोल-(1945 में |
प्रलय सृजन-(1950) में | विश्वास बढ़ता ही गया-(1948) में | विध्य हिमालय-(1960) में |
मिट्टी की बारात-(1972) में | वाणी की व्यथा-(1980) में | कटे अँगूठों की वंदनवारें-(1991) में |
गद्य रचनाएं
- महादेवी की काव्य साधना
- गीति काव्य: उद्यम और विकास
नाटक
- प्रकृति पुरुष कालिदास
पुरस्कार – डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की जीवनी
- 1974 में ‘मिट्टी की बारात’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1993 में ‘मिट्टी की बारात’ के लिए ‘भारत भारती पुरस्कार’ से सम्मानित।
- 1974 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित।
- 1999 में पद्म भूषण से नवाजा गया
- 1958 में देवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1974 में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- 1993 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शिखर सम्मान पुरस्कार से नवाजा गया।
मृत्यु
27 नवंबर 2002 को दिल का दौरा पड़ने के कारण शिव मंगल सुमन जी का निधन हो गया।
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