आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ आत्माराम की जीवनी – Dr. Atmaram Biography Hindi के बारे में बताएगे।
डॉ आत्माराम की जीवनी – Dr. Atmaram Biography Hindi
(English – Dr. Atmaram)डॉ आत्माराम प्रसिद्ध वैज्ञानिक और औद्यौगिक अनुसंधानशालाओं के महानिदेशक थे।
जिनका चश्मे के काँच के निर्माण में सराहनीय योगदान रहा था।
आत्माराम जी विज्ञान की शिक्षा अपनी भाषा में देने पर जोर देते थे।
उनके जीवन में इतनी सादगी थी कि लोग सम्मान के साथ उन्हें गांधीवादी विज्ञानी कहा करते थे।
उनकी याद में ‘केन्द्रीय हिन्दी संस्थान’ द्वारा ‘आत्माराम पुरस्कार’ दिया जाता है।
संक्षिप्त विवरण
नाम | आत्माराम |
पूरा नाम,अन्य नाम |
डॉ. आत्माराम |
जन्म | 12 अक्टूबर, 1908 |
जन्म स्थान | पीलना, बिजनौर, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु |
6 फरवरी, 1983 |
मृत्यु स्थान |
दिल्ली, भारत |
जन्म – डॉ आत्माराम की जीवनी
डॉ. आत्माराम का जन्म 12 अक्टूबर 1908 में पीलना, बिजनौर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
उनके पिता का नाम लाला भगवानदास एक साधारण पटवारी थे।
शिक्षा
Dr. Atmaram ने अपनी शिक्षा के अंतर्गत बी.एससी. की डिग्री कानपुर से तथा एम.एससी. और पी.एचडी. इलाहाबाद से की।
शोध कार्य और करियर
विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आत्माराम ने कांच और सेरोमिक्स पर शोध आरंभ किया।
ऑप्टिकल कांच अत्यंत शुद्ध कांच होता है और उसका उपयोग सूक्ष्मदर्शी और विविध प्रकार के सैन्य उपकरण बनाने में किया जाता है। भारत में यह कांच जर्मनी से आयात होता था।
इस पर प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा व्यय होती थी। डॉ. आत्माराम ने बड़ी लगन के साथ शोध करके भारत में ही ऐसा कांच बनाने की विधि का अविष्कार कर लिया।
इससे न केवल देश की आत्मनिर्भरता बढ़ी वरन् औद्योगिक क्षेत्र में उसके सम्मान में भी वृद्धि हुई। वे केन्द्रीय कांच एवं सिरामिक अनुसन्धान संस्थान के निदेशक रहे तथा 21 अगस्त 1966 को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक का पद संभाला।
हिंदी के पक्षधर
डॉ. आत्माराम विज्ञान की शिक्षा अपनी भाषा में देने पर जोर देते थे। उन्होंने स्वयं लिखा था-
“विद्यार्थि जीवन में अंग्रेज़ी का अभ्यास कम होने के कारण कैमिस्ट्री मेरी समझ में नहीं आती थी, परंतु जब एक बार डॉ. फूलदेव सहाय वर्मा ने रसायन विज्ञान की मूल बातें हिंदी में समझा दीं तो मेरी गाड़ी चल पड़ी।”
पुरस्कार और उपाधि – डॉ आत्माराम की जीवनी
- 1959 में उन्हे शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- भारत सरकार ने 1959 में डॉ. आत्माराम को पद्म श्री से नवाजा गया।
- उनके अनुसंधान को देखते हुए सोवियत रूस के टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ़ टेक्नोलोजी’ की उपाधि दी थी।
- डॉ. आत्माराम के जीवन में इतनी सादगी थी कि लोग सम्मान के साथ उन्हें ‘गांधीवादी विज्ञानी’ कहा करते थे
आत्माराम पुरस्कार
‘आत्माराम पुरस्कार’ भारत का एक प्रतिष्ठित सम्मान है, जो प्रसिद्ध वैज्ञानिक आत्माराम की याद में दिया जाता है। यह पुरस्कार ‘केन्द्रीय हिन्दी संस्थान’ द्वारा प्रदान किये जाने वाले प्रमुख पुरस्कारों में से एक है।
यह पुरस्कार वैज्ञानिक एवं तकनीकी साहित्य तथा उपकरण विकास के क्षेत्र में व्यक्ति के उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। ‘आत्माराम पुरस्कार’ ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’, भारत सरकार के ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’ द्वारा प्रदान किया जाता है।
इस पुरस्कार के अंतर्गत सम्मानित व्यक्ति को एक लाख रुपये की राशि उसके सम्मान स्वरूप प्रदान की जाती है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दो लोगों को प्रदान किया जाता है।
मृत्यु
डॉ. आत्माराम की मृत्यु 6 फरवरी, 1983 ई. को हुई।
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