गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी – Gopal Singh Nepali Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपकोगोपाल सिंह नेपाली की जीवनी – Gopal Singh Nepali Biography Hindi के बारे में बताएगे।

गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी – Gopal Singh Nepali Biography Hindi

गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी

गोपाल सिंह नेपाली हिन्दी और नेपाली के एक प्रसिद्ध कवि और एक पत्रकार भी थे।

उन्होने “रतलाम टाइम्स“, ‘चित्रपट‘, ‘सुधा‘ तथा ‘योगी‘ नामक चार पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

उन्होने कई बम्बइया हिन्दी फिल्मों के लिये गाने भी लिखे थे।

1962 के चीनी आक्रमण के समय उन्होने कई देशभक्तिपूर्ण गीत और कविताएं भी लिखीं।

जिनमें ‘सावन‘, ‘कल्पना‘, ‘नीलिमा‘, ‘नवीन कल्पना करो‘ आदि काफी प्रसिद्ध हुए ।

जन्म

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त, 1911 को बिहार के पश्चिमी चम्पारन के बेतिया नामक स्थान पर हुआ था।

उनका मूल नाम गोपाल बहादुर सिंह है। उनके बेटे का नाम नकुल सिंह नेपाली था।

करियर

1933 में गोपाल सिंह नेपाली का 62 कविताओं का पहला संग्रह ‘उमंग’ प्रकाशित हुआ था।

पंछी’ ‘रागिनी’ ‘पंचमी’ ‘नवीन’ और ‘हिमालय ने पुकारा’ उनके काव्य और गीत संग्रह हैं।

नेपाली जी ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला के साथ ‘सुध’ मासिक पत्र में और कालांतर में ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्य भूमि’ तथा ‘योगी’ के संपादकीय विभाग में कार्य किया था। मुंबई में रहते हुए नेपाली जी ने तकरीबन चार दर्जन फिल्मों के लिए गीत भी रचा था। उसी दौरान उन्होंने ‘हिमालय फिल्म्स’ और ‘नेपाली पिक्चर्स’ की भी स्थापना की थी। निर्माता-निर्देशक के तौर पर नेपाली जी ने 3 फीचर फिल्मों-नजराना, सनसनी और खुशबू का निर्माण भी किया था।

सितंबर में जेहलूम में पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के एक प्रशिक्षक के रूप में तैनात किया गया था।

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फरवरी 1942 में, उन्हें हवलदार के पद पर पदोन्नत किया गया था। गोपाल सिंह नेपाली एक उत्कृष्ट खिलाड़ी थे, उन्होंने हॉकी, बास्केटबॉल और अंतर-रेजिमेंटल और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में क्रॉस कंट्री रनिंग में अपनी रैजमेंट का प्रतिनिधित्व किया। मई 1945 में उन्हें कंपनी हवलदार प्रमुख में पदोन्नत किया गया था।

उन्होंने अक्टूबर 1945 तक एक प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद उन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल व्यवसाय दल के हिस्से में जापान भेजा गया, जहां उन्होंने सितंबर 1947 तक सेवा दी । 1962 में भारत-चीन युध्द के समय उन्होने कई देशभक्ति की कविताएँ भी लिखीं।

साहित्यिक विशेषताएँ – गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी

उत्तर छायावाद के जिन कवियों ने कविता और गीत को जनता का कंठहार बनाया, गोपाल सिंह ‘नेपाली’ उनमें से एक थे। बगैर नेपाली के उस दौर की लोकप्रिय कविता का जो प्रतिमान बनेगा, वह अधूरा ही होगा।

विशिष्ट प्रसंग

  • गोपाल सिंह नेपाली के पुत्र नकुल सिंह नेपाली ने बम्बई उच्च न्यायालय में स्लमडॉग मिलेनियर के निर्माताओं के विरुद्ध एक याचिका दायर की है, जिसमें यह कहा गया है कि डैनी बॉयल ने ‘दर्शन दो घनश्याम’ गाने के लिए सूरदास को उद्धृत किया है, जो कि बिल्कुल गलत है।
  • याचिका के अनुसार नेपाली ने यह कहा है कि यह गाना उनके कवि पिता ने लिखा था और डैनी बॉयल तथा सेलॉदर फिल्म्स लिमिटेड ने उनके पिता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाया है एवं लेखकीय अधिकारों का उल्लंघन किया है।
  • नेपाली ने मुआवजा के रूप में रु. 5 करोड तथा याचिका दायर होने की तिथि से निर्णय होने तक 21 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का दावा किया है। उन्होंने यह भी मांग की है कि फिल्म के किसी भी भाग में यह दर्शाने के लिए फिल्म निर्माताओं पर रोक लगायी जाए कि उक्त गाने के लेखक सूरदास हैं।

कृतियाँ

कविता संग्रह

  • उमंग,
  • पंछी,
  • रागिनी,
  • नीलिमा,
  • पंचमी,
  • सावन,
  • कल्पना,
  • आँचल,
  • नवीन,
  • रिमझिम,
  • हिमालय ने पुकारा
  • हमारी राष्ट्रवाणी  उनके प्रमुख संग्रह हैं।

‘पंछी’ ‘रागिनी’ ‘पंचमी’ ‘नवीन’ और ‘हिमालय ने पुकारा’ उनके काव्य और गीत संग्रह हैं।

मृत्यु – गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी

17 अप्रैल 1963 को गोपाल सिंह नेपाली जी की मृत्यु हो गई।

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