आज इस आर्टिकल में हम आपको हबीब तनवीर की जीवनी – Habib Tanvir Biography Hindi के बारे में बताएगे।
हबीब तनवीर की जीवनी – Habib Tanvir Biography Hindi
(English – Habib Tanvir) हबीब तनवीर मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे।
1955 में तनवीर इग्लैंड गए और रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट्स – राडा में प्रशिक्षण लिया।
उनका नाटक ‘चरणदास चोर’ एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल 1982 में पुरस्कृत होने वाला पहला भारतीय नाटक था।
2002 में उन्हे पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | हबीब तनवीर |
पूरा नाम | हबीब तनवीर |
जन्म | 1 सितंबर, 1923 |
जन्म स्थान | रायपुर, छत्तीसगढ़ |
पिता का नाम | हफ़ीज अहमद खान |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | मुस्लिम |
जाति | – |
जन्म
Habib Tanvir का जन्म 1 सितंबर 1923 को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम हफ़ीज अहमद खान था।
दिल्ली में तनवीर की मुलाकात अभिनेत्री मोनिका मिश्रा से हुई जो बाद में उन दोनों ने शादी कर ली । यहीं उन्होंने अपना पहला महत्त्वपूर्ण नाटक ‘आगरा बाज़ार’ किया।
1955 में तनवीर इग्लैंड गए और रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट्स (राडा) में प्रशिक्षण लिया। यह वह समय था जब उन्होंने यूरोप का दौरा करने के साथ वहाँ के थिएटर को क़रीब से देखा और समझा।
शिक्षा – हबीब तनवीर की जीवनी
Habib Tanvir ने अपनी शुरुआती शिक्षा रायपुर से प्राप्त की। इसके बाद उन्होने अपनी बी.ए. नागपुर के मौरिस कॉलेज से करने के बाद वे एम.ए. करने अलीगढ़ गए।
हबीब तनवीर ने अपने कॉलेज के समय के दौरान कविताएँ लिखना आरंभ कर दिया था और उसी दौरान उपनाम ‘तनवीर’ उनके साथ जुडा। 1945 में वे मुंबई गए और ऑल इंडिया रेडियो से बतौर निर्माता जुड़ गए। उसी दौरान उन्होंने कुछ फ़िल्मों में गीत लिखने के साथ अभिनय भी किया।
मुंबई में तनवीर प्रगतिशील लेखक संघ और बाद में इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) से जुड़े। ब्रिटिशकाल में जब इप्टा से जुड़े तब अधिकांश वरिष्ठ रंगकर्मी जेल में थे। उनसे इस संस्थान को संभालने के लिए भी कहा गया था।
1954 में उन्होंने दिल्ली का रुख़ किया और वहाँ कुदेसिया जैदी के हिंदुस्तान थिएटर के साथ काम किया। इसी दौरान उन्होंने बच्चों के लिए भी कुछ नाटक किए।
करियर
50 वर्षों की लंबी रंग यात्रा में हबीब जी ने 100 से अधिक नाटकों का मंचन व सर्जन किया। उनका कला जीवन बहुआयामी था। वे जितने अच्छे अभिनेता, निर्देशक व नाट्य लेखक थे उतने ही श्रेष्ठ गीतकार, कवि, गायक व संगीतकार भी थे। फ़िल्मों व नाटकों की बहुत अच्छी समीक्षायें भी की।
उनकी नाट्य प्रस्तुतियों में लोकगीतों, लोक धुनों, लोक संगीत व नृत्य का सुन्दर प्रयोग सर्वत्र मिलता है। उन्होंने कई वर्षों तक देश भर ग्रामीण अंचलों में घूम-घूमकर लोक संस्कृति व लोक नाट्य शैलियों का गहन अध्ययन किया और लोक गीतों का संकलन भी किया।
नया थियेटर की स्थापना
छठवें दशक की शुरुआत में नई दिल्ली में हबीब तनवीर की नाट्य संस्था ‘नया थियेटर’ और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना लगभग एक समय ही हुई।
यह उल्लेखनीय है कि देश के सर्वश्रेष्ठ नाट्य संस्था राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पास आज जितने अच्छे लोकप्रिय व मधुर गीतों का संकलन है उससे कहीं ज्यादा संकलन ‘नया थियेटर’ के पास मौजूद हैं।
एच.एम.वी. जैसी बड़ी संगीत कंपनियों ने हबीब तनवीर के नाटकों के गीतों के कई आडियो कैसेट भी तैयार किये जो बहुत लोकप्रिय हुए।
हिन्दी रंगमंच का विकास
आजादी से पहले हिन्दी रंगकर्म पर पारसी थियेटर की पारम्परिक शैली का गहरा प्रभाव था। साथ ही हिन्दुस्तान के नगरों और महानगरों में पाश्चात्य रंग विधान के अनुसार नाटक खेले जाते थे।
आजादी के बाद भी अंग्रेज़ी और दूसरे यूरोपीय भाषाओं के अनुदित नाटक और पाश्चात्य शैली हिन्दी रंगकर्म को जकड़े हुए थी।
उच्च और मध्य वर्ग के अभिजात्यपन ने पाश्चात्य प्रभावित रुढिय़ों से हिन्दी रंगमंच के स्वाभाविक विकास को अवरुद्ध कर रखा था और हिन्दी का समकालीन रंगमंच नाट्य प्रेमियों की इच्छाओं को संतुष्ट करने में अक्षम था।
हबीब तनवीर ने इन्हीं रंग परिदृश्य को परिवर्तित करने एक नए और क्रांतिकारी रंग आंदोलन का विकास किया।
कृतियाँ – हबीब तनवीर की जीवनी
नाटक
आगरा बाज़ार – 1954 | शतरंज के मोहरे – 1954 | लाला शोहरत राय – 1954 |
मिट्टी की गाड़ी – 1958 | गाँव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद – 1973 | चरणदास चोर – 1975 |
पोंगा पण्डित | द ब्रोकन ब्रिज – 1995 | ज़हरीली हवा – 2002 |
राज रक्त – 2006 |
फ़िल्म
फ़ुट पाथ – 1953 | राही – 1953 | चरणदास चोर – 1975 |
गाँधी – 1982 | ये वो मंज़िल तो नहीं – 1987 | हीरो हीरालाल – 1988 |
प्रहार – 1991 | द बर्निंग सीजन – 1993 | द राइज़िंग: मंगल पांडे – 2005 |
ब्लैक & व्हाइट – 2008 |
पुरस्कार
- Habib Tanvir को 1969 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उन्हे 1983 में पद्मश्री से नवाजा गया।
- 1996 में संगीत नाटक एकादमी फेलोशिप
- 1990 में उन्हे कालिदास सम्मान से सम्मानित किया गया।
- 1972 से 1978 तक भारतीय संसद के उच्च सदन में राज्यसभा सदस्य भी रहे।
- उनका नाटक ‘चरणदास चोर’ एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल (1982) में पुरस्कृत होने वाला पहला भारतीय नाटक था।
- Habib Tanvir को 20002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
मृत्यु – हबीब तनवीर की जीवनी
Habib Tanvir की मृत्यु 8 जून 2009 को भोपाल, मध्य प्रदेश में हुई थी ।
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