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घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी – Ghanshyam Das Birla Biography Hindi

श्री घनश्याम दास बिड़ला  भारत के आदरणीय औद्योगिक समूह बी.के.के.एम. बिड़ला समूह के संस्थापक थे। इनके परिसंपत्तियां लगभग 195 अरब रुपये से भी अधिक है। वे एक स्वतन्त्रता सेनानी भी थे, तथा बिड़ला परिवार के प्रभावशाली सदस्य थे। बिड़ला समूह का मुख्य व्यवसाय कपड़ा ,विस्कट फिलामेंट यार्न, सीमेंट, रासायनिक पदार्थ, बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, वित्तीय सेवा और एलमुनियम क्षेत्र में है, जबकि इनकी अग्रणी कंपनियां “ग्रासिम इंडस्ट्रीज”और “सेंचुरी टेक्सटाइल” है। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी – Ghanshyam Das Birla Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी – Ghanshyam Das Birla Biography Hindi

घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी

जन्म

घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 में पिलानी, राजस्थान में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम बलदेव दास बिड़ला और उनकी माता का नाम योगेश्वरी देवी था। बी.डी. बिडला की चार संताने थी जिनके नाम इस प्रकार हैं- जुगल किशोर बिड़ला, रामेश्वर दास बिड़ला, घनश्याम दास बिड़ला ,ब्रजमोहन दास बिड़ला थे। उनके दादा शिव नारायण बिड़ला ने मारवाड़ी समुदाय के पारंपरिक व्यवसाय ‘साहूकारी/गिरवी’ से हटकर अलग क्षेत्रों में व्यापार का विकास किया था। घनश्यामदास के पिता बलदेवदास (जो नवलगढ़ बिरला परिवार से गोद लिए हुए दत्तक पुत्र थे) ने अपने भतीजे फूलचंद सोधानी के साथ मिलकर अफीम के व्यवसाय में पैसा कमाया था। इसी व्यवसाय में घनश्यामदास के बड़े भाई जुगल किशोर ने भी नाम कमाया।

घनश्यामदास का विवाह सन 1905 में दुर्गा देवी के साथ करा दिया गया। दुर्गा देवी महादेव सोमानी की पुत्री थीं जो पिलानी के पास के चिरावा गांव के निवासी थे। बिड़ला परिवार की भांति घनश्यामदास के ससुर महादेव सोमानी भी व्यवसाय के लिए कोलकाता चले गए थे। सन 1909 में दुर्गा देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम लक्ष्मी निवास रखा गया। लगभग इसी समय दुर्गा देवी टी.बी. से पीड़ित हो चुकी थीं और सन 1910 में इस रोग से उनकी मृत्यु हो गयी।

शिक्षा और कार्यक्षेत्र

  • स्थानीय गुरु से अंक गणित और हिंदी की आरंभिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद उन्होंने अपने पिता बड़े बिड़ला की प्रेरणा व सहयोग से घनश्याम दास बिड़ला ने कोलकाता में व्यापार जगत में प्रवेश किया। 1912 में किशोरावस्था में ही घनश्याम दास बिड़ला ने अपने ससुर एम. सोमानी की मदद से दलाली का व्यवसाय शुरू कर दिया
  • 1918 में घनश्याम दास “बिड़ला ब्रदर्स” की स्थापना की और कुछ ही समय बाद घनश्याम दास बिड़ला दिल्ली की कपड़ा मिल खरीद ली, उद्योगपतियों के रूप में घनश्याम दास का यह पहला अनुभव था।
  • 1919 में घनश्याम दास बिड़ला ने जूट उद्योग में भी कदम रखा।
  • 1921 में ग्वालियर में कपड़ा मिल की स्थापना की और 1923 से 1924 में उन्होंने केसोराम कॉटन मिल खरीदी
  • 1928 में ये पूंजीपति संघटन “भारतीय वाणिज्य उद्योग महामंडल” के अध्यक्ष बने।
  • 30 वर्ष की आयु तक पहुंचने तक घनश्याम बिड़ला ने औद्योगिक साम्राज्य पर अपनी जड़े जमा चुके थे। बिड़ला एक स्व-निर्मित व्यक्ति थे और अपनी सच्चरित्र था तथा ईमानदारी के लिए जान जाते थे।
  • उन्होंने अपने पैतृक स्थान पिलानी में भारत के सर्वश्रेष्ठ निजी “तकनीकी संस्थान बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान पिलानी” की स्थापना की और इसके अलावा हिंदुस्तान टाइम्स और हिंदुस्तान मोटर्स की सन 1942 में नींव रखी।
  • कुछ उद्योगपतियों के साथ मिलकर उन्होंने “इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री” की स्थापना की ।
  • घनश्याम दास बिड़ला एक सच्चे स्वदेशी और स्वतंत्रता आंदोलन के कट्टर समर्थक थे और महात्मा गांधी की गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहते थे।  इन्होंने पूंजीपतियों से राष्ट्रीय आंदोलन का समर्थन करने और कांग्रेस के हाथ मजबूत करने की अपील की।
  •  घनश्याम दास ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया और राष्ट्रीय आंदोलन मेंआर्थिक सहायता दी।
  • घनश्याम बिड़ला ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया और 1932 में हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष बने।

रचनाएं

  • रुपए की कहानी
  • बापू
  • जमनालाल बजाज
  • Paths to Prosperity
  • In the Shadow of the Mahatma

पुरस्कार

1967 में इन्हें पदम विभूषण से नवाजा गया.

मृत्यु

11 जून 1983 को मुंबई ,महाराष्ट्र में घनश्याम दास बिड़ला की मृत्यु हुई।

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