जसवंत सिंह की जीवनी – Jaswant Singh Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको जसवंत सिंह की जीवनी – Jaswant Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

जसवंत सिंह की जीवनी – Jaswant Singh Biography Hindi

जसवंत सिंह की जीवनी - Jaswant Singh Biography Hindi

जसवंत सिंह प्रसिद्ध भारतीय राजनेता है। वे 1980 में राज्यसभा के सदस्य बने।जसवंत सिंह वाजपेयी सरकार में वित, विदेश और रक्षा मंत्री रहे।

कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान अफगानिस्तान जाकर अपहरणकर्ताओं से बात की। 2001 में उत्कृष्ट सांसद रहे।

2004 से 2009 तक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।

जिन्ना पर अपनी किताब के कारण भाजपा ने उन्हे पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

2014 में उन्होने बाड़मेर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था।

जन्म

जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को गांव जसोल, जिला बाड़मेर, राजस्थान में हुआ था।

उनके पिता का नाम ‘ठाकुर सरदारा सिंह’ और उनकी माता का नाम ‘कुंवर बाई सा’ थीं।

उनकी पत्नी का नाम शीतल कुमारी उनके बेटे का नाम मानवेंद्र सिंह है।

शिक्षा

जसवंत सिंह ने मेयो कॉलेज अजमेर से बी.ए., बी.एससी. करने के अलावा भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और खड़गवासला से भी सैन्य प्रशिक्षण लिया।

उन्हें संगीत सुनना, शतरंज तथा गोल्फ खेलना भी बहुत पसंद है।

करियर

वे पंद्रह की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह के करीबी जसवंत सिंह 1960 के दशक में भारतीय सेना में अधिकारी थे। वे एक सफल राजनितिज्ञ रहे हैं वे 1980 में राज्यसभा के सदस्य बने।

जसवंत सिंह वाजपेयी सरकार में वित, विदेश और रक्षा मंत्री रहे। कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान अफगानिस्तान जाकर अपहरणकर्ताओं से बात की। 2001 में उत्कृष्ट सांसद रहे।

2004 से 2009 तक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। जिन्ना पर अपनी किताब के कारण भाजपा ने उन्हे पार्टी से निष्कासित कर दिया था। 2014 में उन्होने बाड़मेर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था।

राजनीतिक करियर – जसवंत सिंह की जीवनी

  • 1980 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया।
  • 1986 में उन्हें राज्य सभा के लिए पुनः निर्वाचित (द्वितीय कार्यकाल) किया गया।
  • 1990 में वह 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1991 में वह 10 वीं लोक सभा के द्वितीय कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया।
  • 1991-1996 में उन्होंने Estimate Committee के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
  • 1996 में उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • 1996-1997 में उन्हें 11 वीं लोकसभा (तीसरी अवधि) के लिए पुनः चुना गया।
  • 1998 में उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 1998 में उन्हें राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (तीसरी अवधि) किया गया।
  • 1998-2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश मामलों के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 1999 में वह राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (चौथी अवधि) किए गए।
  • 2001में वह रक्षा मंत्री बने।
  • 2002-2004 में वह दूसरी बार वित्त मंत्री बने।
  • 2004 में उन्हें राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (5 वीं अवधि) किया गया।
  • 2004-2009 में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने।
  • 2009 में उन्हें 15 वीं लोकसभा (चौथी अवधि) के लिए पुनः चुना गया।
  • 2009 में बीजेपी से एक विवाद के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
  • 2010 में वह पुनः बीजेपी में शामिल हुए।
  • 2014 में उन्हें दार्जिलिंग से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुना गया।

विवाद

  • जब उनकी पुस्तक, नेशनल सिक्योरिटी एन आउटलाइन ऑफ कंसर्नस (1996) प्रकाशित हुई, तब जसवंत सिंह को एक विवाद का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया था कि एक जासूस ने यू.एस. स्रोतों को कुछ ख़ुफ़िया जानकारी लीक की थी। उन्होंने दावा किया कि उस समय पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के कार्यालय में जासूसी रही थी। मनमोहन सिंह ने जसवंत को जासूस का नाम बताने के लिए चुनौती दी, जिस पर सिंह ने दावा किया कि जासूस के बारे में उनकी धारणा ‘हंच’ पर आधारित थी।
  • 17 अगस्त 2009 को उनकी एक और पुस्तक जिन्नाः भारत-विभाजन-स्वतंत्रता जारी की गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीकृत नीति भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार थी। इसके अलावा, उनकी पुस्तक ने मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा की। जिससे कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची और इसके चलते उन्हें विवादास्पद पुस्तक के कारण बीजेपी से भी निकाल दिया गया।

पुस्तकें – जसवंत सिंह की जीवनी

  • Defending India (1999)
  • Khankhana Nama (2006)
  • A Call to Honor: In Service of Emergent India (2006)
  • The Audacity of Opinion (2012)

बीमार

7 अगस्त 2014 को जसवंत को अपने घर के शौचालय में फिसलने से सिर में गंभीर चोट लग गई। जब से वह ‘कोमा’ में हैं।

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