जतरा भगत की जीवनी – Jatra Tana Bhagat Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको जतरा भगत की जीवनी – Jatra Tana Bhagat Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

जतरा भगत की जीवनी – Jatra Tana Bhagat Biography Hindi

जतरा भगत की जीवनी
जतरा भगत की जीवनी

Jatra Tana Bhagat धार्मिक और सुधारवादी आंदोलन की शुरुआत की थी.

इसके लिए वे 1913 से ही लगतार दिन-रात गांव-गांव घूमकर लोगों को जगा रहे थे.

जतरा भगत छोटा नागपुर में 1913-14  मे टाना भगत आंदोलन के मुख्य सूत्रधार थे।

धर्मेश ने उनसे कहा है कि अंग्रेजों और जमींदारों का राज खत्म कर दो.

उन्हें देश की धरती से खींच कर बाहर निकाल दो.

अंग्रेज, महाजन, जमींदार, दिकू लोग भूत हैं, इनको टानो, खींचों अपनी धरती से.

जन्म – जतरा भगत की जीवनी

जतरा भगत उर्फ जतरा उरांव का जन्म सितंबर,1888 में झारखंड के गुमला जिला के बिशनुपुर थाना के चिंगरी नवाटोली गांव में हुआ था।

उनके पिता का नाम कोदल उरांव और माँ का नाम लिबरी था।

योगदान

1912-14 में उन्होंने ब्रिटिश राज और जमींदारों के खिलाफ अहिंसक असहयोग का आंदोलन को छेड़ा और लगान, सरकारी टैक्स आदि भरने तथा ‘कुली’ के रूप में मजदूरी करने से मना कर दिया। यह 1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुए ‘उलगुलान’ से प्रेरित औपनिवेशिक और सामंत विरोधी धार्मिक सुधारवादी आंदोलन था। आदिवासी लेखकों का दावा है कि अहिंसक सत्याग्रह की व्यवहारिक समझ गांधी ने झारखंड के टाना भगत आंदोलन से ही ली थी।

1940 के दशक में टाना भगत आंदोलनकारियों का बड़ा हिस्सा गांधी के सत्याग्रह से जुड़कर राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुआ। इसलिए  वे 1913 से ही लगतार दिन-रात गांव-गांव घूमकर लोगों को जगा रहे थे.जतरा भगत छोटा नागपुर में 1913-14  मे ताना भगत आंदोलन के मुख्य सूत्रधार थे। धर्मेश ने उनसे कहा है कि अंग्रेजों और जमींदारों का राज खत्म कर दो. उन्हें देश की धरती से खींच कर बाहर निकाल दो. अंग्रेज, महाजन, जमींदार, दिकू लोग भूत हैं, इनको टानो, खींचों अपनी धरती से.

टन-टन टाना, टाना बाबा टाना, भूत-भूतनी के टाना
टाना बाबा टाना, कोना-कुची भूत-भूतनी के टाना
टाना बाबा टाना, लुकल-छिपल भूत-भूतनी के टाना

(मतलब ओ पिता! ओ माता! देश की जान लेने वाले, आदिवासियों को लूटने-मारने वाले सभी तरह के भूत-भूतनियों को खींच कर देश से बाहर करने में हमारी मदद करो)

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सम्मान  – जतरा भगत की जीवनी

आज भी टाना भगत आदिवासियों की दिनचर्या राष्ट्रीय ध्वज के नमन से होती है।

मृत्यु

जतरा भगत की मृत्यु 1915 में हुई थी।

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