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ओ.पी. नैयर की जीवनी – O.P. Nayyar Biography Hindi

O.P. Nayyar

आज इस आरिकताल में हम आपको ओ.पी. नैयर की जीवनी – O.P. Nayyar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

ओ.पी. नैयर की जीवनी – O.P. Nayyar Biography Hindi

ओ.पी. नैयर की जीवनी - O.P. Nayyar Biography Hindi

Omkar Prasad Nayyar हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गायक-गीतकार, संगीत निर्माता और संगीतकार थे।

उन्होने संगीत निर्देशक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1949 में कनीज फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कंपोज करके की।

गुरुदत्त की फिल्म आर – पार ने उन्हे संगीतकारों की पहली पंक्ति में पहुंचाया।

नौ साल पहले गुजर चुके नैयर ने अपनी शर्तो पर जिंदगी गुजारी। वे अपने सिग्नेचर स्टाइल के लिए भी काफी चर्चित रहे। ओपी नैयर अंग्रेजी फिल्में देखते थे और वे हमेशा काली हेट पहनते थे। उन्होने फिल्म एक लाख रुपये शुल्क लेने वाले शुरुआती संगीत निर्देशकों में से एक रहे।

जन्म

O.P. Nayyar का जन्म 16 जनवरी 1926 को लाहौर(पाकिस्तान) में हुआ था।

उनका पूरा नाम ओंकार प्रसाद नैय्यर था।

शिक्षा

भारत विभाजन के पश्चात् उनका पूरा परिवार लाहौर छोड़कर अमृतसर चला आया। ओंकार प्रसाद ने संगीत की सेवा करने के लिए अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी। अपने संगीत के सफ़र की शुरूआत इन्होंने आल इंडिया रेडियो से की।

करियर – ओ.पी. नैयर की जीवनी

उन्होने संगीत निर्देशक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1949 में कनीज फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कंपोज करके की। गुरुदत्त की फिल्म आर – पार ने उन्हे संगीतकारों की पहली पंक्ति में पहुंचाया।

1951 में अपने एक मित्र के कहने पर वह मुंबई से दिल्ली चले गये और बाद में उसी मित्र के कहने पर उन्होंने निर्माता पंचोली से मुलाकात की जो उन दिनों फ़िल्म नगीना का निर्माण कर रहे थे। बतौर संगीतकार उन्होंने फ़िल्म ‘आसमान’ से अपने सिने कैरियर की शुरूआत की। इस फ़िल्म के लिये उन्होंने सी. एच. आत्मा की आवाज में अपना पहला गाना रिकार्ड करवाया।

गाने के बोल कुछ इस प्रकार थे ‘इस बेवफा जहां में वफा ढूंढते हैं’ । इस बीच उनकी छमा छम छम और बाज जैसी फ़िल्में भी प्रदर्शित हुई लेकिन इन फ़िल्मों के असफल होने से उन्हें गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री छोड़ वापस अमृतसर जाने का निर्णय कर लिया। 1953 पार्श्वगायिका गीता दत्त ने ओ.पी. नैय्यर को गुरुदत्त से मिलने की सलाह दी।

वर्ष 1954 में गुरुदत्त ने अपनी निर्माण संस्था शुरू की और अपनी फ़िल्म आरपार के संगीत निर्देशन की जिम्मेदारी O.P. Nayyar को सौंप दी। फ़िल्म आरपार के ओ .पी.नैय्यर के निर्देशन में संगीतबद्ध गीत सुपरहिट हुए और इस सफलता के बाद ओ. पी. नैय्यर अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये।

उन्होंने वापस अपने घर जाने का इरादा छोड दिया। इसके बाद गुरुदत्त की ही फ़िल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ के लिये भी ओ.पी. नैय्यर ने संगीत दिया। फ़िल्म में उनके संगीत निर्देशन में बने गाने ‘जाने कहां मेरा जिगर गया जी’ और ‘ठंडी हवा काली घटा’ काफ़ी लोकप्रिय हुए। ओपी नैयर अंग्रेजी फिल्में देखते थे और वे हमेशा काली हेट पहनते थे।

O.P. Nayyar ने फिल्म एक लाख रुपये शुल्क लेने वाले शुरुआती संगीत निर्देशकों में से एक रहे।

गीत

  • बाबूजी धीरे चलना प्यार में ज़रा संभलना
  • ये लो मैं हारी पिया
  • कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
  • लेके पहला पहला प्यार
  • ये देश है वीर जवानों का
  • उड़े जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी
  • रेशमी सलवार कुर्ता जाली का
  • इक परदेसी मेरा दिल ले गया
  • मेरा नाम चिन चिन चू
  • दीवाना हुआ बादल
  • इशारों इशारों में दिल लेने वाले
  • ये चांद-सा रोशन चेहरा
  • चल अकेला
  • ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अंधेरा ना घबराइये
  • आपके हसीन रूख़ पे आज नया नूर है
  • मेरा बाबू छैल छबीला
  • दमादम मस्त कलंदर

फिल्में

आर-पारनया दौरतुमसा नहीं देखा
कश्मीर की कलीमेरे सनमप्राण जाए पर वचन ना जाए
बहारें फिर भी आयेंगीसंबंधसोने की चिड़िया
एक मुसाफिर एक हसीनाफिर वो ही दिल लाया हूँसी. आई. डी
सावन की घटारागिनीकिस्मत
फागुनहावड़ा ब्रिजकहीं दिन कहीं रात
ये रात फिर ना आयेगीमि. & मिसेज 55नया अन्दाज़

पुरस्कार – ओ.पी. नैयर की जीवनी

  • उन्हे 1958 में फिल्म नया दौर के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 1989 में ओपी नैयर को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का नंदी पुरस्कार से नवाजा गया।

मृत्यु

O.P. Nayyar की मृत्यु 28 जनवरी 2007 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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