पंडित मदन मोहन मालवीय की जीवनी – Pandit Madan Mohan Malaviya Biography Hindi

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पंडित मदन मोहन मालवीय की जीवनी – Pandit Madan Mohan Malaviya Biography Hindi

पंडित मदन मोहन मालवीय की जीवनी

इस युग के आदर्श पुरुष माने जाने वाले मदन मोहन मालवीय भारत के प्रथम और आखरी ऐसे व्यक्ति थे

जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से अलंकृत किया गया था.

मालवीय जी सत्य, ब्रह्मचार्य, व्यायाम, देश भक्ति में अद्वितीय थे।

वह ना सिर्फ उपदेश दिया करते थे बल्कि उनका आचरण भी किया करते थे.

मदन मोहन मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे।

जन्म

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म इलाहाबाद में 27 दिसंबर, 1861 ई. को हुआ था।

उनके पिता का नाम पंडित बृज नाथ और माता का नाम मुन्नी देवी था.

पंडित मदन मोहन मालवीय सहित वह कुल सात भाई बहन थे.

मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि महात्मा गांधी ने दी.

शिक्षा – पंडित मदन मोहन मालवीय की जीवनी

5 वर्ष की आयु में उनके माता पिता ने उन्हें संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए प्रारंभिक शिक्षा हेतु पंडित हरिदेव धर्म ज्ञान उपदेश स्कूल में भर्ती करवाया और वहां से शिक्षा प्राप्त करने के बाद में उन्हें उच्च शिक्षा के लिए दूसरे स्कूल में भेज दिया गया.

उसके बाद में उन्हें इलाहाबाद जिला के स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया जहां पर उन्होंने मकरंद के नाम से कविताएं लिखनी आरंभ कर दी.

कार्यक्षेत्र और योगदान

1902 में वे संयुक्त प्रांत की विधान परिषद के लिए निर्वाचित किए गए तथा 1910 ई. से 1920 ई. तक केंद्रीय विधान सभा के सदस्य रहे। उन्होने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन जोकि लंदन में आयोजित हुआ था में भाग लिया था।

वे देश भक्ति को धर्म का एक अंग मानते थे तथा भारत के पिछड़ेपन का कारण भारतीयों की निरक्षता को मानते थे, उन्होंने भारतीयों की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया। इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना इसी उद्देश्य के साथ की।

निधन

उनका निधन 12 नवम्बर 1946 में 85 वर्ष की आयु में बनारस में हुआ.

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