रीमा दत्ता की जीवनी – Reema Dutta Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको रीमा दत्ता की जीवनी – Reema Dutta Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

रीमा दत्ता की जीवनी – Reema Dutta Biography Hindi

रीमा दत्ता की जीवनी
रीमा दत्ता की जीवनी

Reema Dutta को ‘राजस्थान की जलपरी’ भी कहा गया है।

एक बेहतरीन तैराक होने के कारण रीमा दत्ता को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

जन्म

रीमा दत्ता का जन्म राजस्थान में हुआ था।

शिक्षा

रीमा दत्ता की शिक्षा सोफिया स्कूल से हुई लेकिन मेयो कॉलेज के स्विमिंग पूल से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय तैराक बनाने के सपने की शुरुआत की। उनके पिता मेयो कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक थे। इसलिए वे मेयो कॉलेज कैंपस में ही पली बढ़ी। मेयो कॉलेज स्विमिंग पूल से ही उन्होंने तैराकी की बारीकियों को सीखा और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए पटियाला और फिर कैलिफोर्निया चली गई।

करियर – रीमा दत्ता की जीवनी

फिलहाल रीमा दत्ता जर्मनी में इंग्लिश टीचर के पद पर कार्यरत है.

नेशनल  से इंटरनेशनल तक का सफर

दिल्ली में 1961 में हुई नेशनल स्पोर्ट्स में हिस्सा लिया तब केवल 11 साल की थी।

1964 में जयपुर में संपन्न नेशनल चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का परिचय देने के बाद 1965 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में उन्होंने अपना पहला मेडल जीता। यहां से रीमा दत्ता के सफलताओं का सिलसिला शुरू हुआ और उन्होंने1966 में राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन ने रीमा दत्ता को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया और इसी वर्ष उन्होंने बैंकॉक में हुई एशियन गेम्स श्रीलंका में आयोजित इंडो श्रीलंका सीरीज में देश का प्रतिनिधित्व किया।

लेकिन बाद में घुटने की इंजरी के कारण उन्होंने तैराकी से अलविदा कह दिया।

हालांकिवे उस समय की बेहतरीन तैराक रही।

बतौर ट्रेनर देश के अच्छेतैराक तैयार कर नहीं कर सकी और पारिवारिक  करणों के चलते विदेश चली गई।

अर्जुन अवॉर्डी स्विमर रीमा दत्ता का मानना है कि भारत की महिला खिलाड़ियों की परिवारिक सहित कई बाधाएं  है जो उन्हे बेहतर खिलाड़ी बनने से रोकती है। जर्मनी में इंग्लिश टीचर रीमा दत्ता का कहना है कि भारत में तैराकी के को लेकर सुविधा का अभाव अब भी है यही कारण है कि देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के तैराक नहीं हो रहे हैं केवल स्विमिंग पूल बनाने से तैराक नहीं मिलता। इसके लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की जरूरत होना भी जरूरी है और इसकी शुरूआत होनी चाहिए।

पुरस्कार – रीमा दत्ता की जीवनी

डॉ जाकिर हुसैन ने 1966 में रीमा दत्ता को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया।

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