आज इस आर्टिकल में हम आपको श्री प्रेमानंद महाराज की जीवनी के बारे में बताने जा रहे है। श्री प्रेमानंद महाराज राधा रानी के बहुत बड़े भक्त हैं इनकी जीवनी निम्न प्रकार से है-
बचपन का नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडे |
जन्म स्थल | अखरी गांव, सरसोल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश |
माता-पिता का नाम | माता रमा देवी और पिता श्री शंभू पाण्डेय |
घर त्यागा | 13 साल की उम्र में |
महाराज जी के गुरु | श्री गौरंगी शरण जी महाराज |
गुरु की सेवा | 10 वर्षो तक |
महाराज की उम्र (age) | 60 वर्ष लगभग |
जन्म –
कठिन तपस्या
ईश्वर को पाने के लिए कठिन तपस्या की और ठान लिया की तब से उनका सारा जीवन भगवान् की भक्ति में समर्पित हो गया है। अब वे अपना ज्यादा समय अकेले में बिताना पसंद करते है।
भोजन पाने के लिए भिक्षा मांगते और कई दिनों तक उपवास करते और हमेशा भगवान की लीला में मग्न रहते थे। प्रेमानंद जी ने शारीरिक चेतना से ऊपर उठ कर मोह-माया को छोड़ कर, पूर्ण त्याग का जीवन व्यतीत किया। उसके बाद उन्होंने आकासवृत्ति को स्वीकार किया यानी बिना किसी व्यक्तिगत प्रयास के केवल वही स्वीकार करना जो भगवान का दिया गया हो और किसी चीज़ की उम्मीद नहीं करना।
समय बिताना
सन्यासी के रूप में उनका अधिकांश समय गंगा नदी के किनारे बीतता था क्योकि महाराज ने कभी भी आश्रम के पदानुक्रमित जीवन को स्वीकार नहीं किया उन्होंने सब कुछ त्याग दिया था।
ज्यादा समय गंगा नदी के साथ बिताने से उन्होंने गंगा नदी को अपनी दूसरी माँ के रूप में स्वीकार कर लिया। वे खाना, मौसम और कपडे की परवाह किये बिना ही वाराणसी और हरिद्वार नदी के घाटों पर घूमते रहे।
उनकी दिनचर्या कभी नहीं बदलती थी फिर चाहे कितनी भी ठण्ड क्यों न हो वे हमेशा गंगा नदी में 3 बार स्नान जरूर करते थे उपवास लेने के लिए उन्होंने कई दिनों तक भोजन को त्याग दिया था।
ठंडा मौसम होने की वजह से उनका शरीर काँपने लग गया था क्योंकि वे भगवन के ध्यान में लगे हुए थे इसलिए उनको कुछ अहसास नहीं हुआ। सन्यास और आस्था के कुछ वर्षों बाद उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिल गया।
प्रेमानन्द जी महाराज की उम्र 60 वर्ष लगभग है।
जब महाराज जी 9 वी कक्षा यानी 13 साल के थे तब उन्होंने भगवान की शरण में जाने वाले मार्ग की खोज की और अपना पूरा तन-मन आध्यात्मिक जीवन पर लगाया।
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