त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल की जीवनी – Tribhuvandas Kishibhai Patel Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल की जीवनी – Tribhuvandas Kishibhai Patel Biography Hindi के बारे में बताएगे।

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल की जीवनी – Tribhuvandas Kishibhai Patel Biography Hindi

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल की जीवनी - Tribhuvandas Kishibhai Patel Biography Hindi

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल दुग्ध क्रान्ति (श्वेत क्रान्ति) के जनक माने जाते हैं।

वर्गीज़ कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने मिलकर दूध के पाउडर, कंडेस्ड मिल्क
तथा बच्चों के लिए मिल्क फूड का भारत में पहला प्लांट खड़ा किया था।

यह दुनिया में एक अनोखा अकेला प्लांट था, जो भैंस के दूध को पाउडर में बदल सकता था।

सामुदायिक नेतृत्व के लिए त्रिभुवनदास पटेल को 1963 मेंं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।

1964 में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

जन्म

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल का जन्म 22 अक्टूबर 1903 को गुजरात में हुआ था।

उनके पिता का नाम के. बी. पटेल था।

उनका विवाह श्रीमति मणि लक्ष्मी से हुआ था और उनकी एक बेटी और छह बेटे थे।

करियर

त्रिभुवनदास पटेल ने अपनी जीविका अपने देशबंधु प्रिटिंग प्रेस से शुरू की, लेकिन उनका प्रारम्भिक जीवन गाँधी जी तथा सरदार  वल्लभ भाई पटेल के साथ स्वतंत्रता आन्दोलनों में बीता।

वर्ष 1930, 1935 तथा 1942 में पटेल तीन बार जेल गए।

वह गाँधीवादी होने के नाते काँग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे और वह दो बार 1967 से 1968 और 1968 से 1974 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। श्वेत क्रांति के मूल प्रोजक्ट के अलावा उन्होंने काइरा जिले में सात सामुदायिक निवास के प्रोजेक्ट चलाए तथा उनसे सक्रियता से जुड़े रहे।

अमूल की स्थापना

वर्गीज़ कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने दूध के उत्पादन का प्लांट लगाया और इस तरह ‘अमूल’ की स्थापना हुई। इस व्यवस्था से गुजरात में पूरे साल दूध का उत्पादन होने लगा और इसका जुड़ाव मुम्बई की आरे कॉलोनी के संयंत्र से हो गया, जहाँ पूरे वर्ष दूध की खपत होती रहती है।

इससे काइरा यूनियन की स्थापना को मुम्बई सरकार, यूनीसेफ (UNICEF) तथा बहुत से देशों से आर्थिक सहायता मिलनी शुरू हुई। विकास के अगले क्रम में कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने मिलकर दूध के पाउडर, कंडेस्ड मिल्क तथा बच्चों के लिए मिल्क फूड का भारत में पहला प्लांट खड़ा किया।

यह दुनिया में एक अनोखा अकेला प्लांट बना, जो भैंस के दूध को पाउडर में बदल सकता था।

उत्पादन के बाद त्रिभुवनदास पटेल तथा कुरियन के उद्यम ने गुजरात को-अपारेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की स्थापना की, जो काइरा यूनियन के उत्पादों की वितरण व्यवस्था सम्भालने लगा और आज भी ‘अमूल’ के उत्पादों की बिक्री और वितरण-विस्तार का काम सम्भाल रहा है।

पुरस्कार

  • सामुदायिक नेतृत्व के लिए त्रिभुवनदास पटेल को 1963 मेंं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला
  • 1964 में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

मृत्यु – त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल की जीवनी

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल  की 3 जून 1994 की मृत्यु हुई।

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