आज इस आर्टिकल में हम आपको विवेकी राय की जीवनी – Viveki Rai Biography Hindi के बारे में बताएगे।
विवेकी राय की जीवनी – Viveki Rai Biography Hindi
(English – Viveki Rai)विवेकी राय हिन्दी और भोजपुरी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्होने 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी।
उनकी रचनाएं गंवाई मन और मिज़ाज़ से सम्पृक्त हैं।
विवेकी राय का रचना कर्म नगरीय जीवन के ताप से तपाई हुई मनोभूमि पर ग्रामीण जीवन के प्रति सहज राग की रस वर्षा के सामान है जिसमें भींग कर उनके द्वारा रचा गया परिवेश गंवाई गंध की सोन्हाई में डूब जाता है।
[1] गाँव की माटी की सोंधी महक उनकी खास पहचान है
संक्षिप्त विवरण
नाम | विवेकी राय |
पूरा नाम | विवेकी राय |
जन्म | 19 नवंबर 1924 |
जन्म स्थान | ज़िला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | शिवपाल राय |
माता का नाम | जविता देवी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म |
हिन्दू |
जाति |
जन्म – विवेकी राय की जीवनी
Viveki Rai का जन्म 19 नवंबर 1924 को अपने ननिहाल भरौली (बलिया) ज़िला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे मूल रूप से मुहम्मदाबदा तहसील के सोनवानी गांव के रहने वाले थे।
उनके पिता का नाम शिवपाल राय तथा उनकी माता का नाम जविता देवी था। विवेकी राय के जन्म से डेढ़ माह पहले पिता शिवपाल राय का प्लेग की महामारी में निधन हो गया था।
शिक्षा
विवेकी राय की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव सोनवानी के लोअर प्राइमरी स्कूल (गाजीपुर) से शुरू हुई थी। मिडिल की पढ़ाई 1940 में निकटवर्ती गांव महेंद में हुई। उर्दू मिडिल भी 1941 में उन्होंने महेंद से ही पढ़े। आगे की पढ़ाई उन्होंने व्यक्तिगत छात्र के रूप में पूरी की। हिंदी विशेष योग्यता 1943 में, विशारद 1944 में, साहित्यरत्न 1946 में, साहित्यालंकार 1951 में, हाईस्कूल 1953 में नरहीं (बलिया) से किया था, इंटर 1958 में, बीए 1961 में और एम.ए. की डिग्री श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज खरडीहां (गाज़ीपुर) 1964 में ली थी। उसी क्रम में वह 1948 में नार्मल स्कूल, गोरखपुर से हिंदुस्तानी टीचर्स सर्टिफेकेट भी प्राप्त किया।
सन 1970 ई. में स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथा साहित्य और ग्राम जीवन विषय पर काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पी. एच. डी. की उपाधि मिली थी। स्नातकोत्तर परीक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। यह अपने आप में शैक्षिक मूल्यों की प्राप्ति और प्रदेय का अनूठा उदाहरण है।
जब विवेकी राय 7वीं कक्षा में अध्यन कर रहे थे उसी समय से डॉ.विवेकी राय जी ने लिखना शुरू किया। गाजीपुर के एक कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव के किसान बने रहे थे। डॉ. विवेकी राय गाँव की बनती-बिगड़ती जिंदगी के बीच जीते हुए और उसे पहचानते हुए चलते रहे थे। इसलिए गाँव के जीवन से सम्बंधित उनके अनुभवों का खजाना चुका नहीं, नित भरता ही गया।
लेखन कार्य – विवेकी राय की जीवनी
1945 में विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद उनकी लेखनी हर विधा पर चलने लगी जो कभी थमनें का नाम ही नहीं ले सकी। उनका रचना कार्य कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, समीक्षा, सम्पादन एवं पत्रकारिता आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। अब तक उन सभी विधाओं से सम्बन्धित लगभग 60 कृतियाँ आपकी प्रकाशित हो चुकी हैं और लगभग 10 प्रकाशनाधीन हैं।
साहित्यिक सफरनामा
Viveki Rai साहित्यिक सफर मिडिल स्कूल की पढ़ाई के वक्त ही शुरू हो गया था लेकिन लेखन का प्रामाणिक शुरुआत 1945 से माना जाता है। 1947 से 1970 तक उसी समाचार पत्र में उन्होंने नियमित स्तंभ मनबोध मास्टर की डायरी लिखी थी। उस में ललित निबंध, रेखाचित्र और रिपोर्ताज समाहित रहते थे। फिर तो विवेकी राय लेखन में प्रतिष्ठापित हो गए।
तब की हिंदी की चोटी की पत्रिकाएं धर्मयुग, कल्पना, ज्ञानोदय, कहानी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नवनीत और कादंबिनी आदि पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं नियमित प्रकाशित होती रहीं थी। समीक्षा और प्रकर में विवेकी राय की रचनाओं की समीक्षाएं आतीं थी। रविवार में उनका स्तंभ गांव काफ़ी लोकप्रिय हुआ। ज्योत्सना, शिखरवार्ता तथा जनसत्ता में भी डॉ. राय के स्तंभ आते थे। ललित निबंध में हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ. विद्या निवास मिश्र जैसे महान् रचानकार के समकक्ष उन्हें मान मिला था। वर्ष 2004 तक उनके लेखन पर देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों में कुल 61 शोध कार्य हो चुके थे।
डॉ.राय आकाशवाणी, दूरदर्शन से भी जुड़े थे। डॉ. विवेकी राय ने 5 भोजपुरी ग्रन्थों का सम्पादन भी किया था। सर्वप्रथम इन्होंने अपना लेखन कार्य कविता से शुरू किया था। विवेकी राय विशुद्ध भोजपुरी अंचल के महान् साहित्यकार थे। सत्पथ पर दृढ़ निश्चय के साथ बढ़ते रहने का सतत प्रेरणा देने वाले डॉ. विवेकी राय मूलतः गँवई सरोकार के रचनाकार थे। बदलते समय के साथ गाँवों में होने वाले परिवर्तनों एवं आँचलिक चेतना विवेकी राय के कथा साहित्य की एव विशेषता थी।
इन्होंने अपने उपन्यासों एवं कहानियों में किसानों, मज़दूरों, स्त्रियों तथा उपेक्षितों की पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान की थी। अपनी रचनाधार्मिता के कारण डॉ. विवेकी राय को हम प्रेमचन्द और फणीश्वर नाथ रेणु के बीच का स्थान दे सकते हैं।
रचनाएँ – विवेकी राय की जीवनी
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सम्मान एवं पुरस्कार
- हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए 2001 में उन्हें महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार
- 2006 में Viveki Rai को यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महात्मा गांधी सम्मान से भी पुरस्कृत किया गया।
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘प्रेमचन्द पुरस्कार’ , साहित्य भूषण सम्मान,
- मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’,
- बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ‘आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार’
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा ‘विद्यावाचस्पति’ और ‘साहित्य महोपाध्याय’ सम्मान।
- 2016 में शार्परिपोर्टर आंचलिक पत्रकारिता युगपुरूष सम्मान, आजमगढ
निधन – विवेकी राय की जीवनी
विवेकी राय की 1 नवंबर को अचानक तबीयत गंभीर होने के बाद उन्हें वाराणसी के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। डॉ. विवेकी राय का 22 नवंबर, 2016 वाराणसी में निधन हो गया। उनका वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार हुआ था।
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