अरुण खेत्रपाल की जीवनी – Arun Khetarpal Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको अरुण खेत्रपाल की जीवनी – Arun Khetarpal Biography Hindi के बारे में बताएगे।

अरुण खेत्रपाल की जीवनी – Arun Khetarpal Biography Hindi

अरुण खेत्रपाल की जीवनी - Arun Khetarpal Biography Hindi

अरुण खेत्रपाल भारतीय सेना के एक अधिकारी थे।

1971 भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को उन्होने एक स्क्वाड्रन की कमान संभाल रहे थे
और अपने टैंक से पाकिस्तान के टैंकों को लगातार बर्बाद कर रहे थे।

इसी दौरान उनका टैंक दुश्मन के निशाने पर आ गया और वह बुरी तरह से घायल हो गए, लेकिन इसके बावजूद उन्होने टैंक नहीं छोड़ा और लड़ते रहे।सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्ररपाल के बलिदान व समर्पण के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस 1972 को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

जन्म

अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था।

उनके पिता  का नाम मदन लाल खेत्रपाल था जोकि लेफ्टिनेंट कर्नल (बाद में ब्रिगेडियर)  भारतीय सेना में कोर ऑफ इंजीनियर्स अधिकारी थे।

शिक्षा – अरुण खेत्रपाल की जीवनी

अरुण खेत्रपाल की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा उन अलग-अलग जगहों के स्कूलों में हुई, जहाँ उनके पिता भेजे गए, लेकिन स्कूली शिक्षा के अंतिम पाँच महत्त्वपूर्ण वर्ष अरुण ने लारेंस स्कूल सनावर में गुजारे।

वह जितना पढ़ाई-लिखाई में निपुण थे उतना ही उनका रंग खेल के मैदान में भी जमता था।

वह स्कूल के एक बेहतर क्रिकेट खिलाड़ी थे। एन.डी.ए. (NDA) के दौरान वह ‘स्क्वेड्रन कैडेट’ के रूप में चुने गए।

इण्डियन मिलिट्री अकेडमी देहरादून में वह सीनियर अण्डर ऑफिसर बनाए।

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करियर

खेत्रपाल ने अपना सैन्य जीवन 13 जून 1971 को शुरू किया था और 16 दिसम्बर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 17 पूना हार्स को भारतीय सेना के 47वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड की कमान के अंतर्गत नियुक्त किया गया था।

संघर्ष की अवधि के दौरान 47वीं ब्रिगेड शकगढ़ सेक्टर में ही तैनात थी।

6 माह के अल्प सैन्य जीवन में ही इन्होने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

योगदान

1971 भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को उन्होने एक स्क्वाड्रन की कमान संभाल रहे थे और अपने टैंक से पाकिस्तान के टैंकों को लगातार बर्बाद कर रहे थे। इसी दौरान उनका टैंक दुश्मन के निशाने पर आ गया और वह बुरी तरह से घायल हो गए, लेकिन इसके बावजूद उन्होने टैंक नहीं छोड़ा और लड़ते रहे।

पुरस्कार – अरुण खेत्रपाल की जीवनी

सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्ररपाल के बलिदान व समर्पण के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस 1972 को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया

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मृत्यु

अरुण खेत्ररपाल 16 दिसम्बर 1971 को आयु 21 वर्ष की आयु  में बरपिंड, शकरगढ़ सेक्टर में वीरगति को प्राप्त हो गए।

अरुण के आखिरी शब्द –

” सर, जब तक मेरी गन काम करती रहेगी, मैं फायर करता रहूँगा’।”

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