बनारसी दास की जीवनी -Banarasi-das Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपकोबनारसी दास की जीवनी -Banarasi-das Biography Hindi के बारे में बताएगे।

बनारसी दास की जीवनी -Banarasi-das Biography Hindi

बनारसी दास भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के 11वें मुख्यमंत्री थे।

ये जनता पार्टी के सदस्ये थे। बनारसी दास 28 फ़रवरी 1979 से 17 फ़रवरी 1980 तक उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री का पद पर रहे।

वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में विधायक, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री भी रहें।

बाबू बनारसी दास जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होने सरकारी भवन नहीं लिया था। वे सामाजिक विषमताओं को दूर करने और शिक्षा का प्रसार में काफी रुचि लेते थे।बनारसी दास एक स्वतन्त्रता सेनानी भी थे। उन्होने 1930 में असहयोग आन्‍दोलन और 1941 में व्‍यक्तिगत सत्‍याग्रह तथा 1942 के भारत छोड़ो आन्‍दोलन में भाग लिया और वे जेल गये। वे 1972 में दण्‍ड प्रकिया संहिता की धारा- 144 का निषेध करने के कारण 10 दिन जेल में रहे।

जन्म

बनारसी दास का जन्म 8 जुलाई, 1912 को उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले में हुआ था।

उनके पिता का नाम श्री राम जी लाल था। 15 फरवरी, 1936 को उनका विवाह श्रीमती विद्यावती देवी से हुआ।

बनारसी दास के पांच बेटे और छ: बेटियाँ है। उनके दो बेटे उनके ही चरण चिन्हों पर चले और वो राजनीति में सक्रिय भी रहें।

उनके एक बड़े बेटे श्री हरेंद्र अग्रवाल विधायी परिषद के पूर्व सदस्य थे और भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं।

और सबसे छोटे बटे स्वर्गीय अखिलेश दास गुप्ता राज्यसभा सांसद, बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री थे।

एक रोचक बात ये है कि उनको बाबू कहा जाता है।

जो कि राजेंद्र प्रसाद और जगजीवन राम जैसे नेताओं के लिए इस्तेमाल किया गया था।

शिक्षा – बनारसी दास की जीवनी

बनारसी दास ने अपनी शिक्षा गवर्नमेन्‍ट हाईस्‍कूल, बुलन्‍दशहर से ग्रहण थी।

करियर

1946 में बनारसी दास विधान सभा में निर्विरोध सदस्‍य नियुक्त हुए थे।

पहली विधान सभा के सदस्‍य के रूप में वे मार्च, 1952 में पहली बार नियुक्त हुए थे।

10 जुलाई, 1953 से 10 अप्रैल, 1957 तक उन्होने उत्तर प्रदेश सभा सचिव के रूप में कार्य किया। मार्च 1962 में पुन: तीसरी विधान सभा के सदस्‍य के रूप में निर्वाचित हुए।  14 मार्च 162 से 18 जून 1963 तक श्री चन्‍द्र भानु गुप्‍त मंत्रिमण्‍डल में राज्‍यमंत्री, सूचना एवं संसदीय सदस्य के रूप में कार्य किया।  14 अक्टूबर 1963 से 13 मार्च 1967 तक श्रीमती सुचेता कृपलानी मंत्रिमण्‍डल में मंत्री, सहकारिता, श्रम एवं संसदीय सदस्य के रूप में कार्य किया।

मार्च 1967 में चौथी विधान सभा मे सदस्य के रूप में तीसरी बार निर्वाचित हुए।

1967 में वे मंत्री, सिंचाई, विद्युत, श्रम और संसदीय कार्यों के लिए चुने गए। 3 अप्रैल 1972 से  28 जून 1977 तक राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। 24 मार्च, 1977 से 30 मार्च 1977 तक अस्‍थायी सभापति, राज्‍य सभापति रहे। जून 1977 में सातवी विधान सभा के सदस्‍य के रूप में चौथी बार निर्वाचित हुए। 12 जुलाई,1977 से 26 फरवरी,1979 तक उत्‍तर प्रदेश विधान सभा में अध्यक्ष के रूप में काम किया। 1979, 28 फरवरी, 1979 से 17 फरवरी, 1980 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1983 में एक बार फिर सातवीं लोक सभा (उप चुनाव) में सदस्य के रूप में चुने गए। वे अमेरिका, इंग्लैंड, जमैका, इटली, कैरो, रोम जैसी जगह घूम चुके थे और वहाँ के प्रशासन के तरीके को अपने यहां अपनाने का सुझाव भी देते थे

योगदान – बनारसी दास की जीवनी

  • 1946 में सदस्‍य, कार्यकारिणी उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में
  • सदस्‍य, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में 30 वर्षों तक
  • अध्‍यक्ष, उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (संगठन) (1970- 1973)
  •   वे ‘हमारा संघर्ष’साप्‍ताहिक पत्र के संस्‍थापक थे
  • अध्‍यक्ष, उत्‍तर प्रदेश ‘हरिजन सेवक संघ’ (1979- 1983)
  • संस्‍थापक व अध्‍यक्ष (आजीवन), खादी ग्रामोद्योग चिकन संस्‍थान
  • उन्होने 1930 में असहयोग आन्‍दोलन और 1941 में व्‍यक्तिगत सत्‍याग्रह तथा 1942 के भारत छोड़ो आन्‍दोलन में भाग लिया और वे जेल गये। वे 1972 में दण्‍ड प्रकिया संहिता की धारा- 144 का निषेध करने के कारण 10 दिन जेल में रहे।
  • वे सामाजिक विषमताओं को दूर करने और शिक्षा का प्रसार में काफी रुचि लेते थे।

मृत्यु

03 अगस्‍त, 1985 को बनारसी दास की मृत्यु हो गई।

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