आज इस आर्टिकल में हम आपको बाणभट्ट की जीवनी – Banabhatta Biography Hindi के बारे में बताएगे।
बाणभट्ट की जीवनी – Banabhatta Biography Hindi
Banabhatta 7वीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और एक कवि थे।
वे राजा हर्षवर्धन के आस्थान कवि थे।
हर्षचरितम् और कादम्बरी उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं।
हर्षचरितम्, राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र था और कादंबरी विश्व का पहला उपन्यास था।
कादंबरी के पूरा होने से पहले ही बाणभट्ट जी की मृत्यु हो गई तो इस को उपन्यास पूरा करने का
काम उनके बेटे भूषणभट्ट ने अपने हाथ में लिया।
ये दोनों ही ग्रंथ संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माने जाते है।
जन्म
Banabhatta का जन्म चंंदरेह (सीधी जिला ) मध्य प्रदेश में हुआ था।
महाकवि बाणभट्ट ने गद्यरचना के क्षेत्र में वही स्थान प्राप्त किया है जो कि कालिदास ने संस्कृत काव्य क्षेत्र में प्राप्त किया था। बाणभट्ट संस्कृत साहित्य में ही एक ऐसे महाकवि हैं जिनके जीवन चरित के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है।
कन्नौज और स्थान्वीश्वर के प्रसिद्ध हिन्दू सम्राट हर्षवर्धन के समसायिक सभापण्डित होने के कारण उनका समय बिना किसी विवाद का है। 21वीं शती के आलंकारिक रुय्यक से लेकर आठवीं शती के वामन ने अपने-अपने ग्रन्थों में बाणभट्ट और उनकी रचनाओं के बारे में लिखा है इसलिए अन्त: बाह्य साक्ष्यों के आधार पर बाणभट्ट का समय सप्त शती पूर्वार्ध और थोड़ा सा उत्तरार्ध सिद्ध होता है।
हर्षचरित-वर्णन के आधार पर बाणभट्ट हर्षवर्धन (606-648 ई.) के राज्य के उत्तरकाल में उनके सभाकवि माने जाते हैं,
क्योंकि उन्होंने हर्षवर्धन के प्रारंभिक दिग्विजय का उल्लेख नहीं किया है।
कृतियाँ – बाणभट्ट की जीवनी
Banabhatta की लेखनी से कई ग्रन्थ रत्नों का लेखन हुआ है लेकिन बाणभट्ट का महाकवित्व केवल ‘हर्षचरित‘ और ‘कादम्बरी’ पर प्रधानतया आश्रित है।
इन दोनों गद्य काव्यों के अलावा मुकुटताडितक, चण्डीशतक और पार्वती-परिणय भी बाणभट्ट की रचनाओं में परिगणित हैं। इनमें ‘पार्वतीपरिणय’ को ए.बी. कीथ ने बाणभट्ट की रचना न मानकर उसे वामनभट्टबाण (17 वीं शती) नामक किसी दाक्षिणात्य वत्सगोत्रीय ब्राह्मण की रचना माना है।
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