आज इस आर्टिकल में हम आपको देविका रानी रोरिक की जीवनी -Devika rani roric Biography Hindi के बारे में बताएंगे ।
देविका रानी रोरिक की जीवनी -Devika rani roric Biography Hindi
भारतीय सिनेमा की प्रथम अभिनेत्री देविका रानी फिल्मी जगत में कदम रखने वाले नायकों के लिए एक मार्गदर्शिका, प्रेरणास्रोत, और मील के पत्थर की तरह थी.
फिल्मी जगत में देविका रानी का स्थान को युगो तक सर्वश्रेष्ठ स्थान ही रहेगा।
उन्होंने फिल्मी दुनिया में नारियों के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए एक सेतु का काम किया।
देविका रानी ने उस दौर में फिल्म जगत में कदम रखा।
जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था।
उस समय पुरुष ही महिलाओं की भूमिका अदा करते थे।
लेकिन देविका रानी संपन्न परिवार से फिल्म जगत में कदम रखने वाली दृढ़ निश्चय, साहसी और सुंदर महिला थी।
जन्म
देविका रानी रोरिक का जन्म 30 मार्च 1908 में वाल्टेयर (विशाखापट्टनम) में हुआ था।
उनके पिता का नाम कर्नल एम.एन. चौधरी था और उनके माता का नाम श्रीमती लीला चौधरी था।
वे विख्यात कवि श्री रविंद्र नाथ टैगोर के वंश से संबंध रखती थी देविका रानी के पिता कर्नल चौधरी मद्रास (चेन्नई) के पहले सर्जन जनरल थे।
शिक्षा – देविका रानी रोरिक की जीवनी
स्कूली शिक्षा खत्म होने के बाद 1920 के दशक के शुरू के वर्षों में देविका रानी नाट्य शिक्षा ग्रहण करने के लिए लंदन चली गई और वहां पर वे ‘रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट’ (RADA) और रॉयल ‘एकेडमी ऑफ म्युजिक’ नाम के संस्थाओं में भर्ती हो गई।
वहां उन्हें स्कॉलरशिप भी प्रदान की गई। उन्होंने आर्किटेक्चर, टेक्सटाइल और डेकोर डिजाइन विधाओं का भी अध्ययन किया और एलिजाबेथ आर्डन में काम करने लगी. पढ़ाई पूरी करने के बाद देविका रानी ने निश्चय किया कि वो फिल्मों में अभिनय करेंगी।
लेकिन परिवार वाले इस बात के खिलाफ थे क्योंकि उन दिनों में संभ्रांत परिवार की लड़कियों को फिल्म में काम करने नहीं दिया जाता था।इंग्लैंड में कुछ वर्ष रहने के बाद देविका रोरिक ने रॉयल अकादमी ऑफ डायमेट्रिक में विविध पढ़ाई की इसके बाद उनकी मुलाकात पर सुप्रसिद्ध निर्माता हिमांशु राय से हुई।
हिमांशु राय मैथ्यू अर्नाल्ड की कविता लाइट ऑफ एशिया के आधार पर इसी नाम से फिल्म बनाकर अपनी पहचान बना चुके थे . हिमांशु राय, देविका रानी की सुंदरता को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होंने देविका रानी को अपने फिल्म ‘कर्मा’ में काम करने के लिए कहा जिसे देविका रानी ने स्वीकार कर लिया.
हिमांशु राय ने देविका रानी से शादी की और वह मुंबई आ गए।
बॉम्बे टॉकीज
मुंबई में आने के बाद हिमांशु राय और देविका रानी ने मिलकर बॉम्बे टॉकीज बैनर की स्थापना की और फिल्म ‘जवानी की हवा’ का निर्माण किया. 1935 में प्रदर्शित देविका रानी द्वाराअभिनय की गई फिल्म काफी सफल रही।
इसके बाद में देविका रानी ने बॉम्बे टॉकीज के बैनर तले बनी कई फिल्मों में अभिनय किया इन फिल्मों में से ‘अछूत कन्या’एक थी. 1936 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म में देविका रानी ने ग्रामीण बाला की मोहक छवि का को रुपहले पर्दे पर साकार किया था।
अशोक कुमार, दिलीप कुमार, मधुबाला जैसे महान कलाकारों ने बांबे टाकीज़ में काम कर चुके है।
अछूत कन्या, किस्मत, शहीद, मेला जैसे अत्यंत लोकप्रिय फिल्मों का निर्माण वहाँ पर हुआ है।
अछूत कन्या उनकी बहुचर्चित फिल्म रही है क्योंकि वह फिल्म एक अछूत कन्या और एक ब्राह्मण युवा के प्रेम प्रसंग पर आधारित थी।
1933 में निर्मित ‘कर्मा’ फिल्म देविका के करियर का मोड़ साबित हुआ।
इस फिल्म में उन्होने अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता हासिल की और उन्हे प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा दिया.
यूरोप में रिलीज होने वाली अंग्रेजी भाषा में बनी पहली भारतीय फिल्म थी।
1933 के बाद
जिसके लंदन में विशेष शो आयोजित किए गए थे और विंडसर प्लेस में शाही परिवार के लिए उसका विशेष प्रदर्शन भी किया गया। इस फिल्म की एक विशेष बात यह थी कि देवीका ने उस दौर में चुंबन दृश्य देने का दुस्साहस किया था।
जब इस बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने अपने पति हिमांशु राय के साथ 4 मिनट लंबा किसिंग सीन किया था। जो भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे लंबे चुंबन दृश्यों में से एक माना जाता है
1940 में देविका रानी के पति की मृत्यु हो गई और बॉम्बे टॉकीज का संपूर्ण संचालन उनके पति हिमांशु रॉय किया करते थे। देविका रानी ने अपने स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज के संचालन के लिए जान लड़ा दी।
लेकिन 1943 में सरधर और अशोक कुमार तथा अन्य विश्वसनीय लोगों के स्टूडियो से नाता तोड़ लेने के वजह से वे हार गई। उन लोगों ने बॉम्बे टॉकीज से संबंध खत्म करके फिल्मीस्तान नामक स्टूडियो बना लिया।
जिसके परिणाम स्वरूप देविका रानी को फिल्मों से अपना नाता तोड़ना पड़ा। उन्होंने रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाव रोरिक के साथ 1945 में शादी की और बेंगलुरु में जाकर बस गई.
प्रसिद्ध फिल्म – देविका रानी रोरिक की जीवनी
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र |
---|---|---|
1943 | हमारी बात | |
1941 | अंजान | इन्दिरा |
1937 | सावित्री | सावित्री |
1937 | इज़्ज़त | |
1936 | अछूत कन्या | कस्तूरी |
1936 | जन्मभूमि | |
1936 | जीवन नैया | लता |
पुरस्कार
- भारत के राष्ट्रपति ने 1958 में देविका रानी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया
- 1970 में पहली बार ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ द्वारा सम्मानित किया गया.
मृत्यु – देविका रानी रोरिक की जीवनी
9 मार्च 1994 में देविका रानी रोरिक का निधन हो गया.
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