आज इस आर्टिकल में हम आपको जतीन्द्रनाथ दास की जीवनी – Jatindranath Das Biography Hindi के बारे में बताएगे।
जतीन्द्रनाथ दास की जीवनी – Jatindranath Das Biography Hindi
(English – Jatindranath Das) जतीन्द्रनाथ दास भारत के प्रसिद्ध
क्रान्तिकारियों में से एक थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए जेल में अपने प्राण त्याग दिए और शहादत पाई।
1925 में ‘दक्षिणेश्वर बम कांड’ और ‘काकोरी कांड’ के सिलसिले में और फिर
14 जून, 1929 को ‘केन्द्रीय असेम्बली बमकाण्ड’ के सिलसिले में जतीन्द्रनाथ दास को लाहौर जेल में बंद किया गया।
जहां महज 24 साल की आयु में भारतीय कैदियों जैसी सुविधाएं देने के लिए उन्होने भूख हड़ताल शुरू की थी।
जिसके बाद 13 सितंबर 1929 को 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद उन्होने अपने प्राण त्याग दिए।
संक्षिप्त विवरण
नाम | जतीन्द्रनाथ दास |
पूरा नाम
अन्य नाम |
जतीन्द्रनाथ दास
जतिन दा |
जन्म | 27 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान | कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
पिता का नाम | बंकिम बिहारी दास |
माता का नाम | सुहासिनी देवी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म |
– |
जाति |
– |
जन्म
Jatindranath Das का जन्म 27 अक्टूबर 1904 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता), ब्रिटिश भारत में एक साधारण बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बंकिम बिहारी दास तथा उनकी माता का नाम सुहासिनी देवी था। जब वे नौ वर्ष के थे तब उनकी माता का स्वर्गवास हो गया।
शिक्षा – जतीन्द्रनाथ दास की जीवनी
1920 में उन्होने 16 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास की। क्रांतिकारी गतिविधि जब जतीन्द्रनाथ अपनी आगे की शिक्षा पूर्ण कर रहे थे, तभी महात्मा गाँधी ने ‘असहयोग आन्दोलन’ प्रारम्भ किया।
जतीन्द्र इस आन्दोलन में कूद पड़े। विदेशी कपड़ों की दुकान पर धरना देते हुए वे गिरफ़्तार कर लिये गए। उन्हें 6 महीने की सज़ा हुई। लेकिन जब चौरी-चौरा की घटना के बाद गाँधीजी ने आन्दोलन वापस ले लिया तो निराश जतीन्द्रनाथ फिर कॉलेज में भर्ती हो गए। कॉलेज का यह प्रवेश जतीन्द्र के जीवन में निर्णायक सिद्ध हुआ।
शचीन्द्रनाथ से भेंट
एक युवक के माध्यम से जतीन्द्रनाथ प्रसिद्ध क्रान्तिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल के सम्पर्क में आए और क्रान्तिकारी संस्था ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्य बन गये। अपने सम्पर्कों और साहसपूर्ण कार्यों से उन्होंने दल में महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया और अनेक क्रान्तिकारी कार्यों में भाग लिया। इस बीच जतीन्द्र ने बम बनाना भी सीख लिया था।
नज़रबन्द
1925 में जतीन्द्रनाथ को ‘दक्षिणेश्वर बम कांड’ और ‘काकोरी कांड’ के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया, किन्तु प्रमाणों के अभाव में मुकदमा न चल पाने पर वे नज़रबन्द कर लिये गए। जेल में दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने 21 दिन तक जब भूख हड़ताल कर दी तो बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा।
लाहौर षड़यंत्र केस में गिरफ़्तार
जेल से बाहर आने पर जतीन्द्रनाथ दास ने अपना अध्ययन और राजनीति दोनों काम जारी रखे।
1928 की ‘कोलकाता कांग्रेस’ में वे ‘कांग्रेस सेवादल’ में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सहायक थे।
वहीं उनकी सरदार भगत सिंह से भेंट हुई और उनके अनुरोध पर बम बनाने के लिए आगरा आए।
8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने जो बम केन्द्रीय असेम्बली में फेंके, वे इन्हीं के द्वारा बनाये हुए थे।
14 जून, 1929 को जतीन्द्र गिरफ़्तार कर लिये गए और उन पर ‘लाहौर षड़यंत्र केस’ में मुकदमा चला।
भूख हड़ताल – जतीन्द्रनाथ दास की जीवनी
लाहौर जेल में बंद रहते हुए उन्होने महज 24 साल की आयु में भारतीय कैदियों जैसी सुविधाएं देने के लिए उन्होने भूख हड़ताल शुरू की थी।
मृत्यु
जतीन्द्रनाथ दास का 63 दिन के अनशन के कारण 13 सितंबर 1929 को उन्होने अपने प्राण त्याग दिए।
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