कर्ण सिंह की जीवनी – Karan Singh Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको कर्ण सिंह की जीवनी – Karan Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

कर्ण सिंह की जीवनी – Karan Singh Biography Hindi

कर्ण सिंह की जीवनी
कर्ण सिंह की जीवनी

(English – Karan Singh)कर्ण सिंह भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं।

उन्होने कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल – प्रोजेक्ट टाइगर – के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।

2005 में भारत सरकार ने कर्ण सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।

 

संक्षिप्त विवरण

नाम कर्ण सिंह
पूरा नाम, अन्य नाम
कर्ण सिंह
जन्म 9 मार्च, 1931
जन्म स्थान  फ़्रांस
पिता का नाम महाराजा हरि सिंह
माता  का नाम तारा देवी
राष्ट्रीयता भारतीय
जाति
धर्म

जन्म – कर्ण सिंह की जीवनी

कर्ण सिंह का जन्म 9 मार्च, 1931 को फ़्रांस में हुआ।

उनके पिता का नाम महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे
डॉ. कर्ण सिंह ने 18 वर्ष की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था।

उन्होने 5 मार्च, 1950 में राजकुमारी यशो राज्यलक्ष्मी से विवाह किया जो नेपाल के अंतिम राणा प्रधानमंत्री
‘मोहन शमशेर जंग बहादुर राणा’ की पोती थी।

इनके एक पुत्री ज्योत्सना और दो पुत्र विक्रमादित्य व अजातशत्रु हैं।

शिक्षा

कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित दून स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और इसके बाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय के श्री प्रताप सिंह कॉलेज से स्नातक उपाधि प्राप्त की। वे इसी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रह चुके हैं।

वर्ष 1957 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में एम.ए. उपाधि हासिल की।

उन्होंने श्री अरविन्द की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबन्ध लिख कर दिल्ली विश्वविद्यालय से डाक्टरेट उपाधि
(पी.एच.डी) का अलंकरण प्राप्त किया।

करियर

Karan Singh कर्ण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से जीतकर लोकसभा के सदस्य बनकर संसद में प्रवेश हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में दोबारा चुने गए।

डॉ. कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे 6 वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में कर्ण सिंह शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।

डॉ. कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित ‘हरि-तारा धर्मार्थ न्यास’ को दे दी।

उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया।

इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा 20 हज़ार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है।डॉ. कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।

कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएँ अंग्रेज़ी में लिखी हैं। उनके महत्त्वपूर्ण संग्रह “वन मैन्स वर्ल्ड” (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफ़ी सराहना हुई।

उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है।

विभिन्न पदों पर आसीन

  • कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुल अधिपति भी रहे हैं।
  • कर्ण सिंह केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं।
  • कर्ण सिंह जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि के उपाध्यक्ष, टेम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एक प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्विश्वास संगठन) के अध्यक्ष, भारत पर्यावरण और विकास जनायोग के अध्यक्ष, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और विराट हिन्दू समाज के सभापति हैं।
  • कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल – प्रोजेक्ट टाइगर – के अध्यक्ष रहने के कारण
    उसके आजीवन संरक्षक हैं।

पुरस्कार – कर्ण सिंह की जीवनी

  •  बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, टोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद
    उपाधियाँ उल्लेखनीय हैं।
  • 2005 में भारत सरकार ने कर्ण सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।

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