आज इस आर्टिकल में हम आपको मनमोहन देसाई की जीवनी – Manmohan Desai Biography Hindi के बारे में बताएगे।
मनमोहन देसाई की जीवनी – Manmohan Desai Biography Hindi
Manmohan Desai हिन्दी सिनेमा की मुख्यधारा को नई दिशा देने वाले निर्माता निर्देशक थे।
पर्दे पर सपनों की दुनिया बुनने वाले मनमोहन देसाई की फिल्मों से दो भाइयों
या परिवार के अन्य सदस्यों के बिछुड़ने और आखिरकार उनके नाटकीय ढंग से मिलने का फॉर्मूला खूब चर्चित हुआ।
उनकी पहली बनाई फिल्म छलिया बनाई थी।
पिछली सदी के आठवें और नवें दशक की शुरुआत में अमिताभ बच्चन के साथ अमर अकबर एंथोनी, कुली, मर्द, सुहाग जैसी कई हिट फिल्में बनाई।
जन्म
मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था।
उनके पिता का नाम किक्कू देसाई था जोकि एक फिल्म प्रोड्यसर थे और उन्होंने पारामांउट स्टूडियो की स्थापना की थी। उनके छोटे भाई सुभाष देसाई भी फिल्म निर्माता बने यानि पूरा परिवार फिल्म उद्योग को समर्पित रहा। अपने पिता के स्टुडियो से बहुत कुछ सीखने के बाद मनमोहन देसाई ने पचास के दशक में बाबुभाई मिस्त्री के सहायक बन गये।
इस दौरान उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियाँ सीखी।
इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण में कदम रखा।
मनमोहन देसाई की पहली पत्नी का नाम जीवनप्रभा था जिनका देहांत 1979 में हो गया था
इसके बाद वो 1992 से उनकी मृत्यु तक अभिनेत्री नंदा से भी जुड़े रहे ।
मनमोहन देसाई का एक पुत्र केतन देसाई है जो भी अपने पिता की तरह संवेदनशील फिल्मो के लिए जाने जाते ।
केतन देसाई का विवाह कंचन कपूर से हुआ है जो शम्मी कपूर और गीता बाली की बेटी है
करियर – मनमोहन देसाई की जीवनी
बॉलीवुड की सफल केमिस्ट्री का जब भी विश्लेषण किया जाता है तो उनके महान पारिवारिक मनोरंजक मसाला
की चर्चा जरूर की जाती है।
उनकी एक भी फिल्म में व्यावसायिक घाटा नही हुआ।
वह अत्यंत सफल फिल्मकार साबित हुए। उनका सिनेमा पुरे परिवार को समेट कर और पुरे समाज को एक सूत्र में पिरोकर चलने वाला सिनेमा है। “अमर अकबर एन्थोनी” जैसा सर्व-धर्म समभाव, “देश-प्रेमी” जैसी सामाजिकता और राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाली फिल्मे गिनी-चुनी है।
Manmohan Desai ने “मर्द” जैसी फिल्म भी बनाई जिसमे गम्भीरता नही थी लेकिन “किस्मत” और “रोटी” जैसी कालजयी फिल्मे उन्ही की सोच की देन है । “खोया-पाया” की जिस आवधारणा का बीज एस.मुखर्जी ने 1943 में “किस्मत” फिल्म से किया था उसे व्यावसायिक तौर पर पल्लवित मनमोहन देसाई ने सत्तर और अस्सी के दशक में किया ।
मिलने-बिछड़ने के सारे खेल देखते हुए दर्शको की आँखों का भर जाना ।
तालियों की गडगडाहट से हॉल गूंज जाना – मनमोहन देसाई की सिनेमा का यही रचना संसार है
रिश्तो की भावुक संवेदना है जहा मानवतावादी विचारों का स्प्रहुर्नीय दर्शन है ।
1970 में “सच्चा-झूठा” (राजेश खन्ना) और सन 1971 में “भाई हो तो ऐसा” (जितेन्द्र) की सफलता के बाद उन्हें पारिवारिक जज्बातों से भरपूर मनोरंजक फिल्मकार की संज्ञा दी गयी। मनमोहन देसाई अपनी फिल्मो में ज्यादातर दो भाइयो या माँ-बेटे के मिलने-बिछड़ने की कहानी कहते रहे है मसलन धर्मवीर(1977) , अमर अकबर एन्थोनी (1978), नसीब (1981) या फिर गंगा-जमुना-सरस्वती (1988)। मनमोहन देसाई ने सबसे ज्यादा फिल्मे अमिताभ बच्चन के साथ बनाई।
प्रमुख फिल्में
1988 – गंगा जमुना सरस्वती | 1985 – मर्द | 1982 – देश प्रेमी |
1981 – नसीब | 1979 – सुहाग | 1977 – धरम वीर |
1977 – अमर अकबर एन्थोनी | 1977 – परवरिश | 1977 – चाचा भतीजा |
1974 – रोटी | 1973 – आ गले लग जा | 1972 – भाई हो तो ऐसा |
1970 – सच्चा झूठा | 1960 – छलिया |
मृत्यु – मनमोहन देसाई की जीवनी
मनमोहन देसाई 1 मार्च 1994 को गिरगांव में बालकनी से झुकते समय नीचे गिर गये , जिसकी वजह से उनकी मृत्यु
हो गई और फिल्म इंडस्ट्री का एक चमकता हुआ निर्माता इस दुनिया से चला गया।
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