आज इस आर्टिकल में हम आपको शकील बदायूँनी की जीवनी – Shakeel Badayuni Biography Hindi के बारे में बताएगे।
शकील बदायूँनी की जीवनी – Shakeel Badayuni Biography Hindi
(English – Shakeel Badayuni)शकील बदायूँनी भारत के महान गीतकार और शायर थे।
1944 में वे मुंबई चले गए । वहाँ पर उन्होने फिल्म निर्माता एआर कादर और संगीताकर नौशाद से मुलाक़ात की।
उन्हे फिल्म दर्द के गीत लिखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। फिल्म के सारे गीत हिट रहे और फिर उन्होने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बैजु बावरा, मदर इंडिया, मुगले आजम, चौदहवी का चाँद , साहब बीवी और गुलाम जैसी फिल्मों के गानों से लोगों को दीवाना बना दिया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | शकील बदायूँनी |
पूरा नाम | शकील अहमद ‘बदायूँनी’ |
जन्म | 3 अगस्त 1916 |
जन्म स्थान | बदायूँ, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | मोहम्मद जमाल अहमद |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | – |
जाति | – |
जन्म
शकील बदायूँनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के शहर बदायूँ में हुआ था। उनका वास्तविक नाम शकील अहमद ‘बदायूँनी’ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद जमाल अहमद था।
शिक्षा – शकील बदायूँनी की जीवनी
अलीगढ़ से बी.ए. पास करने के बाद वर्ष 1942 मे वह दिल्ली पहुंचे जहाँ उन्होंने आपूर्ति विभाग में आपूर्ति अधिकारी के रूप में अपनी पहली नौकरी की। इस बीच वह मुशायरों में भी हिस्सा लेते रहे जिससे उन्हें पूरे देश भर में शोहरत हासिल हुई।
अपनी शायरी की बेपनाह कामयाबी से उत्साहित शकील बदायूँनी ने आपूर्ति विभाग की नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1946 में दिल्ली से मुंबई आ गये।
करियर
मुंबई में उनकी मुलाकात उस समय के मशहूर निर्माता ए.आर.कारदार उर्फ कारदार साहब और महान् संगीतकार नौशाद से हुई। यहाँ उनके कहने पर उन्होंने ‘हम दिल का अफ़साना दुनिया को सुना देंगे, हर दिल में मोहब्बत की आग लगा देंगे…’ गीत लिखा।
यह गीत नौशाद साहब को काफ़ी पसंद आया जिसके बाद उन्हें तुरंत ही कारदार साहब की दर्द के लिये साईन कर लिया गया। उन्हे फिल्म दर्द के गीत लिखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। फिल्म के सारे गीत हिट रहे और फिर उन्होने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बैजु बावरा, मदर इंडिया, मुगले आजम, चौदहवी का चाँद , साहब बीवी और गुलाम जैसी फिल्मों के गानों से लोगों को दीवाना बना दिया।
गीत
- अफ़साना लिख रही हूँ… (दर्द)
- चौदहवीं का चांद हो या आफ़ताब हो… (चौदहवीं का चांद)
- जरा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाये.. (बीस साल बाद, 1962)
- नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं… (सन ऑफ़ इंडिया)
- गाये जा गीत मिलन के.. (मेला)
- सुहानी रात ढल चुकी.. (दुलारी)
- ओ दुनिया के रखवाले.. (बैजू बावरा)
- दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पडे़गा (मदर इंडिया)
- दो सितारों का जमीं पर है मिलन आज की रात.. (कोहिनूर)
- प्यार किया तो डरना क्या…(मुग़ले आज़म)
- ना जाओ सइयां छुड़ा के बहियां.. (साहब बीबी और ग़ुलाम, 1962)
- नैन लड़ जइहें तो मन वा मा कसक होइबे करी.. (गंगा जमुना)
- दिल लगाकर हम ये समझे ज़िंदगी क्या चीज़ है.. (ज़िंदगी और मौत, 1965)
पुरस्कार
शकील बदायूँनी को अपने गीतों के लिये लगातार तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें अपना पहला फ़िल्मफेयर पुरस्कार वर्ष 1960 में प्रदर्शित चौदहवी का चांद फ़िल्म के चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो.. गाने के लिये दिया गया था।
वर्ष 1961 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘घराना’ के गाने हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं.. के लिये भी सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा 1962 में भी शकील बदायूँनी फ़िल्म ‘बीस साल बाद’ में कहीं दीप जले कहीं दिल.. गाने के लिये फ़िल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
मृत्यु – शकील बदायूँनी की जीवनी
शकील बदायूँनी की मृत्यु 54 वर्ष की उम्र मे 20 अप्रैल 1970 को हुई।
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