आज इस आर्टिकल में हम आपको सुखराम की जीवनी – Sukhram Biography Hindi के बारे में बताएगे।
सुखराम की जीवनी – Sukhram Biography Hindi
सुखराम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार में पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री हैं।
वे हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य रहे थे।
उन्होंने पांच बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोक सभा चुनाव जीता है।
1991 से लेकर 1996 तक वे पीवी नरसिंह राव सरकार में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहे थे
उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोप लगे लेकिन हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में उन्हें संचार क्रांति के जनक के तौर पर जाना जाता है।
जन्म
सुखराम का जन्म 27 जुलाई, 1927 मंडी, हिमाचल प्रदेश के कोटली में एक गरीब परिवार में हुआ था।
उनके बेटे का नाम अनिल शर्मा है।
वे वीरभद्र सिंह की सरकार 2012से 2017 में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे अनिल शर्मा अब भाजपा में हैं
शिक्षा और करियर – सुखराम की जीवनी
1953 से 1996 तक
सुखराम जी ने दिल्ली लॉ स्कूल में भाग लिया और 1953 में मंडी जिला कानून अदालतों में एक वकील के रूप में अभ्यास किया। 1962 में वे हिमाचल प्रदेश में प्रादेशिक परिषद के सदस्य बने, इसके बाद में उन्होने 1963 से 1984 तक मंडी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह लोकसभा के लिए चुने गए। 1984 में उन्होने सभा की और राजीव गांधी सरकार में एक कनिष्ठ(पद में छोटा) मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने रक्षा उत्पादन और आपूर्ति, योजना और खाद्य और नागरिक आपूर्ति के लिए राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 1991 में, सुख राम संचार विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
जबकि सुखराम जी ने मंडी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
उनके बेटे ने 1993 में विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और उसमे जीत भी हासिल की ।
सुख राम ने 1996 में मंडी लोकसभा सीट जीती, लेकिन दूरसंचार घोटाले के बाद दोनों को कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया, भाजपा के साथ चुनाव के बाद गठबंधन किया और सरकार में शामिल हुए।
1996 से 2012 तक
सुख राम 1998 में लोकसभा चुनाव हार गए, लेकिन वे विधानसभा सीट जीत गए।
उनके बेटे अनिल शर्मा 1998 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
2003 के विधानसभा चुनाव में सुख राम ने मंडी विधानसभा सीट को बरकरार रखा, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में शामिल हो गए। अनिल शर्मा ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 2007 और 2012 में मंडी विधानसभा सीट जीती थी। हिमाचल के ब्राह्मणों के बीच परिवार का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है, जिनमें राज्य के मतदाताओं का लगभग 20 प्रतिशत या पांचवा हिस्सा शामिल है (भारत में किसी भी राज्य के लिए दूसरा, उत्तराखंड से आगे)। उनके पोते की शादी सलमान खान की बहन से हुई है।
सुखराम अब भारतीय जनता पार्टी से अलग हो चुके हैं।
विवाद
पूर्व संचार मंत्री सुखराम को वर्ष 1996 में एक कंपनी को ठेका देने के बदले तीन लाख रूपए की घूस लेने के आरोप में 5 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है। दिल्ली की एक अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि उन्हें सज़ा के साथ चार लाख रुपए का जुर्माना भी देना होगा।
इससे पहले अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया था।
जाँच एजेंसी सीबीआई ने उन्हें आदतन अपराधी क़रार देते हुए उन्हें सख़्त से सख़्त सज़ा देने की अपील की थी।
चूंकि तीन साल से अधिक की सज़ा होने पर तत्काल ज़मानत नहीं मिल सकती इसलिए उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया है।
मामला – सुखराम की जीवनी
सुखराम ने संचार राज्य मंत्री के पद पर रहते हुए एक कंपनी को ग़लत तरीके से फ़ायदा पहुचाने के उद्देश्य से दूरसंचार विभाग के लिए ऊंचे दाम पर तार ख़रीदे। इस मामले में नवंबर 1996 में प्राथमिकी दायर की गई थी। 1998 में सीबीआई की तरफ़ से दायर किए गए आरोप पत्र में सुखराम और उनके एक सहयोगी पर तीन लाख रुपए की रिश्वत लेने और तार ख़रीदने में धांधली करनेके आरोप लगाए गए थे। विशेष सीबीआई जज आरपी पांडे ने पूर्व मंत्री सुख राम को भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम और आपराधिक षड़यंत्र करने का दोषी पाया था। सुखराम की जीवनी – Sukhram Biography Hindi
यह सुखराम के खिलाफ़ पहला मामला नही है।
इससे पहले भी उन्हें दो अन्य मामलों में दोषी पाया गया था।
2009 फ़रवरी में उन्हें आय से अधिक चार करोड़ 25 लाख रुपए की संपत्ति होने का दोषी पाया गया था।
इसी प्रकार 2002 में दूरसंचार विभाग के लिए यंत्रों की खरीददारी में सरकार को एक करोड़ 66 लाख का नुक़सान पहुँचाने के लिए उन्हें भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था।
इस मामले में सुखराम को तीन साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी।
हिमाचल प्रदेश के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले सुखराम 1991 से लेकर 1996 तक वे पीवी नरसिंह राव सरकार में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहे थे।उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोप लगे लेकिन हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में उन्हें संचार क्रांति के जनक के तौर पर जाना जाता है।
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