विजय बहुगुणा की जीवनी – Vijay Bahuguna Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको विजय बहुगुणा की जीवनी – Vijay Bahuguna Biography Hindi के बारे में बताएगे।

विजय बहुगुणा की जीवनी – Vijay Bahuguna Biography Hindi

विजय बहुगुणा की जीवनी
विजय बहुगुणा की जीवनी

(English – Vijay Bahuguna)विजय बहुगुणा भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं।

वह 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक उत्तराखंड राज्य के सातवें मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

उन्होने अपने करियर की शुरुआत अधिवक्ता और न्यायाधीश के रूप में की और इसके बाद उन्होंने राजनीतिक पारी की शुरुआत की।

संक्षिप्त विवरण

नाम विजय बहुगुणा
पूरा नाम, अन्य नाम
विजय बहुगुणा
जन्म 28 फरवरी, 1947
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम हेमवतीनंदन बहुगुणा
माता  का नाम कमला बहुगुणा
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म – विजय बहुगुणा की जीवनी

विजय बहुगुणा का जन्म 28 फरवरी, 1947 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

उनके पिता का नाम हेमवती नंदन बहुगुणा और माता कमला बहुगुणा थीं।

उनकी पत्नी का नाम सुधा बहुगुणा है तथा उनके परिवार में दो पुत्र व एक पुत्री है।

उनकी बहन रीता बहुगुणा जोशी हैं, जो स्वयं भी प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञ हैं।

शिक्षा

विजय बहुगुणा ने बीए तथा एलएलबी की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की है।

करियर – विजय बहुगुणा की जीवनी

वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा मुम्बई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे हैं।

न्यायिक सेवा छोड़कर सक्रिय राजनीति में आए विजय बहुगुणा को साल 2002 में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में उत्तराखंड योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था।

2007 में वह 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुन लिए गए। वह कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं।

महाराष्ट्र में न्यायाधीश रहने के दौरान ही उन्होंने राजनीति में आने का विचार बनाया और त्यागपत्र देकर इलाहाबाद लौट आए और राजनीति में कदम रखा।

उत्तर प्रदेश में वह कुछ असर छोड़ पाने में विफल रहे। इसके बाद वह उत्तराखंड लौट गए और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बन गए।

1997 में उन्हें ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ का सदस्य बनाया गया।

उनके पिता दिवंगत हेमवतीनंदन बहुगुणा कांग्रेस के उन बड़े नेताओं में थे, जिन्होंने कांग्रेस के भीतर रहते हुए भी
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता के समक्ष पूरा समर्पण कभी नहीं किया।

वे उन चंद नेताओं में से थे, जिनका स्वयं बड़ा जनाधार था।

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