आज इस आर्टिकल में हम आपको विष्णु दिगंबर पलुस्कर की जीवनी – Vishnu Digambar Paluskar Biography Hindi के बारे में बताएगे।
विष्णु दिगंबर पलुस्कर की जीवनी – Vishnu Digambar Paluskar Biography Hindi
(English – Vishnu Digambar Paluskar)विष्णु दिगंबर पलुस्कर प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे।
उन्होंने भारतीय संगीत में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
संक्षिप्त विवरण
नाम | विष्णु दिगम्बर पलुस्कर |
पूरा नाम | विष्णु दिगम्बर पलुस्कर |
जन्म | 18 अगस्त, 1872 |
जन्म स्थान | कुरुन्दवाड़ (बेलगाँव), बंबई |
पिता का नाम | दिगम्बर गोपाल पलुस्कर |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म |
हिन्दू |
जाति |
– |
जन्म – विष्णु दिगंबर पलुस्कर की जीवनी
Vishnu Digambar Paluskar का जन्म 18 अगस्त 1872 को अंग्रेज़ी शासन वाले बंबई प्रेसीडेंसी के कुरूंदवाड़ (बेलगाँव) में हुआ था।
उनके पिता का नाम दिगम्बर गोपाल पलुस्कर था जोकि धार्मिक भजन और कीर्तन गाते थे।
पलुस्कर को घर में संगीत का माहौल मिला था।
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर को बचपन में एक भीषण त्रासदी से गुजरना पड़ा।
समीपवर्ती एक कस्बे में दत्तात्रेय जयंती के दौरान उनकी आंख के समीप पटाखा फटने के कारण उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी।
आंखों की रोशनी जाने के बाद उपचार के लिए वह समीप के मिरज राज्य चले गए।
संगीत शिक्षा
संगीत की शिक्षा ग्वालियर घराने में शिक्षित पं. बालकृष्ण बुवा इचलकरंजीकर से मिरज में संगीत की शिक्षा आरंभ की।
बारह वर्ष तक संगीत की विधिवत तालीम हासिल करने के बाद पलुस्कर के अपने गुरु से संबंध खराब हो गए।
बारह वर्ष कठोर तप:साधना से संगीत शिक्षाक्रम पूर्ण करके 1896 में समाज की कुत्या और अवहेलना एवं संगीत गुरुओं की संकीर्णता से भारतीय संगीत के उद्धार के लिए दृढ़ संकल्प सहित यात्रा आरंभ की। इस दौरान उन्होंने बड़ौदा और ग्वालियर की यात्रा की।गिरनार में दत्तशिखर पर एक अलौकिक पुरुष के संकेतानुसार लाहौर को सर्वप्रथम कार्यक्षेत्र चुना।
ब्रजभूमि भ्रमण – विष्णु दिगंबर पलुस्कर की जीवनी
धनार्जन के लिए उन्होंने संगीत के सार्वजनिक कार्यक्रम भी किए।
पलुस्कर संभवत: पहले ऐसे शास्त्रीय गायक हैं, जिन्होंने संगीत के सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए।
इसके बाद में वे मथुरा आए और उन्होंने शास्त्रीय संगीत की बंदिशें समझने के लिए ब्रज भाषा सीखी।
बंदिशें अधिकतर ब्रजभाषा में ही लिखी गई हैं। इसके अलावा उन्होंने मथुरा में ध्रुपद शैली का गायन भी सीखा।
गंधर्व महाविद्यालय की स्थापना
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर मथुरा के बाद पंजाब घूमते हुए लाहौर पहुंचे और 1901 में उन्होंने गंधर्व महाविद्यालय की स्थापना की। इस स्कूल के जरिए उन्होंने कई संगीत विभूतियों को तैयार किया।
हालांकि स्कूल चलाने के लिए उन्हें बाज़ार से कर्ज़ लेना पड़ा। बाद में उन्होंने मुंबई में अपना स्कूल स्थापित किया। कुछ वर्ष बाद आर्थिक कारणों से यह स्कूल नहीं चल पाया और इसके कारण विष्णु दिगम्बर पलुस्कर की संपत्ति भी जब्त हो गई।
समान्य विद्यार्थी वर्ग के अतिरिक्त उत्तम शिक्षकों और निर्व्यसन श्रेष्ठ कलाकारों के निर्माणार्थ ‘उपदेशक वर्ग’ नाम से अंतेवासी विद्यार्थियों का विशिष्ट वर्ग बनाया, जिसमें विपुल संख्यक शिष्यों के भोजन, बल, निवासादि का संपूर्ण व्ययभार स्वयं वहन किया। 1909 के आसपास बंबई में गांधर्व महाविद्यालय की स्थापना की। इसके बाद में नासिक जाकर वहाँ श्री रामनाम-आधार-आश्रम की स्थापना एवं शिक्षाकार्य का संचालन किया।
पलुस्कर के शिष्य – विष्णु दिगंबर पलुस्कर की जीवनी
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर के शिष्यों में पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, पंडित विनायकराव पटवर्धन, पंडित नारायण
राव और उनके पुत्र डी. वी. पलुस्कर जैसे दिग्गज गायक शामिल थे।
जनसमूह में संगीतप्रचार
‘रघुपति राघव राजा राम’ का सामूहिक कीर्तन, रामचरितमानस का संगीतमय प्रवचन, कांग्रेस अधिवेशनों में ‘वंदेमातरम्’ एवं राष्ट्रीय भावनात्मक अन्य गीतों का गायन, धार्मिक तथा सामाजिक मेलों, उत्सवों में विशेष संगीत कार्यक्रमों की प्रस्तुति, सशुल्क एवं नि:शुल्क (उदा. जालंधर का हरवल्लभ मेला) संगीत परिषदों का आयोजन इत्यादि द्वारा विभिन्न प्रदेशों में शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का सफल अभियान चलाया।
तुलसी, कबीर, सूर आदि भक्त कवियों के पदों को विभिन्न रागों में कर श्रृंगार-रस-प्रधान ठुमरी शैली के समकक्ष भजन शैली की शास्त्रीय संगीत में प्रतिष्ठा की।
रचनाएँ
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने तीन खंडों में ‘संगीत बाल-बोध’ नामक पुस्तक लिखी और 18 खंडों में रागों की स्वरलिपियों को संग्रहित किया। इसके अतिरिक्त पं. पलुस्कर ने ‘स्वल्पालाप-गायन’, ‘संगीत-तत्त्वदर्शक’, ‘राग-प्रवेश’ तथा ‘भजनामृत लहरी’ इत्यादि नामक पुस्तकों की रचना की।
मृत्यु
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर की मृत्यु 21 अगस्त 1931 को हुई थी।
इसे भी पढ़े – रणदीप हुड्डा की जीवनी – Randeep Hooda Biography Hindi