आज इस आर्टिकल में हम आपको शरद जोशी की जीवनी – Sharad Joshi Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
शरद जोशी की जीवनी – Sharad Joshi Biography Hindi
व्यंग्य विद्या को नया नाम देने वाले शरद जोशी ही थी।
वे भारत के पहले व्यंग्यकार थे।
जिन्होंने 1968 में पहली बार मुंबई के चकल्लस के मंच पर, जहां हास्य कविताएं पढ़ी जाती थी, गद्य पाठ और हास्य-व्यंग्य में अपना लोहा मनवाया।
प्रतिदिन,परिक्रमा और किसी बहाने उनकी प्रमुख व्यंग्य कृतियाँ है।
उन्होंने क्षितिज, छोटी सी बात और उत्सव जैसी फिल्मों की पटकथा भी लिखी।
ये जो जिंदगी है, विक्रम बेताल और लापतागंज ऐसे कई उपन्यास लिखे, जिन पर कई धारावाहिक भी बने।
जन्म
शरद कुमार जोशी का जन्म 21 मई, 1931 को उज्जैन में हुआ था।
उनका विवाह इरफाना सिद्धकी के साथ हुआ था।
बिहारी के दोहे की तरह शरद अपने व्यंग्य का विस्तार पाठक पर छोड़ देते हैं।
एक बार शरद जोशी ने लिखा था कि ‘’लिखना मेरे लिए जीवन जीने की तरक़ीब है। इतना लिख लेने के बाद अपने लिखे को देख मैं सिर्फ यही कह पाता हूँ कि चलो, इतने बरस जी लिया। यह न होता तो इसका क्या विकल्प होता, अब सोचना कठिन है। लेखन मेरा निजी उद्देश्य है।”
शिक्षा – शरद जोशी की जीवनी
शरद जोशी जी ने होल्कर कॉलेज, इंदौर से स्नातक की शिक्षा ग्रहण की।
करियर
शरद जोशी ने मध्य प्रदेश सरकार के सूचना एवं प्रकाशन विभाग ने काम किया।
लेकिन अपने लेखन के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और लेखन को ही पूरी तरह से अपना लिया।
इंदौर में रहते हुए समाचार पत्रों और रेडियो के लिए लेखन किया।
इंदौर में ही उनकी मुलाकात सिद्धकी से हुई जिनसे उन्होंने बाद में शादी की।
आरम्भ में कुछ कहानियाँ लिखीं, फिर पूरी तरह व्यंग्य-लेखन ही करने लगे।
प्रसिद्धि
उन्होंने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य कॉलम के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे। हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलाने प्रमुख व्यंग्यकारों में शरद जोशी भी एक हैं।
इनकी रचनाओं में समाज में पाई जाने वाली सभी विसंगतियों का बेबाक चित्रण मिलता है। शरद जोशी के व्यंग्य में हास्य, कड़वाहट, मनोविनोद और चुटीलापन दिखाई देता है, जो उन्हें जनप्रिय और लोकप्रिय रचनाकार बनाता है।
उन्होंने टेलीविज़न के लिए ‘ये जो है ज़िंदगी’, ‘विक्रम बेताल’, ‘सिंहासन बत्तीसी’, ‘वाह जनाब’, ‘देवी जी’, ‘प्याले में तूफान’, ‘दाने अनार के’ और ‘ये दुनिया गजब की’ आदि धारावाहिक लिखे।
इन दिनों ‘सब’ चैनल पर उनकी कहानियों और व्यंग्य पर आधारित ‘लापतागंज शरद जोशी की कहानियों का पता’ बहुत पसंद किया जा रहा है।
शरद जोशी की रचनाएं
व्यंग्य संग्रह
परिक्रमा | किसी बहाने | तिलिस्म |
रहा किनारे बैठ | मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ | दूसरी सतह |
हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे | यथासम्भव | जीप पर सवार इल्लियाँ। |
नाटक
- अंधों का हाथी
- एक गधा उर्फ अलादाद ख़ाँ
फ़िल्म लेखन
- क्षितिज
- छोटी सी बात
- सांच को आंच नही
- गोधूलि
- उत्सव
दूरदर्शन धारावाहिक
ये जो है जिन्दगी | विक्रम बेताल | सिंहासन बत्तीसी |
वाह जनाब | देवी जी | प्याले में तूफान |
दाने अनार के | ये दुनिया गजब की |
पुरस्कार – शरद जोशी की जीवनी
- चकल्लस पुरस्कार से नवाजा गया।
- काका हाथरसी पुरस्कार से सम्मानित किया।
- श्री महाभारत हिन्दी सहित्य समिति इन्दौर द्वारा ‘सारस्वत मार्तण्ड’ की उपाधि परिवार पुरस्कार से सम्मानित।
- 1990 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित।
मृत्यु
5 सितंबर 1991 में मुंबई में शरद जोशी की मृत्यु हो गई।
‘’लिखना मेरे लिए जीवन जीने की तरकीब है। इतना लिख लेने के बाद अपने लिखे को देख मैं सिर्फ यही कह पाता हूँ कि चलो, इतने बरस जी लिया। यह न होता तो इसका क्या विकल्प होता, अब सोचना कठिन है। लेखन मेरा निजी उद्देश्य है।’ – शरद जोशी
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