गोकुलभाई भट्ट की जीवनी – Gokulbhai Bhatt Biography Hindi

 आज इस आर्टिकल में हम आपको गोकुलभाई भट्ट की जीवनी – Gokulbhai Bhatt Biography Hindi के बारे में बताएगे।

गोकुलभाई भट्ट की जीवनी – Gokulbhai Bhatt Biography Hindi

गोकुलभाई भट्ट की जीवनी

गोकुलभाई भट्ट भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।

वे एक सच्चे समाज सेवक के रूप में भी जाने जाते है।

इसके साथ ही वे एक कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक भी थे।

1939 में गोकुलभाई की प्रेरणा से ही लोग झण्डे वाली टोपियाँ पहनने लगे थे।

गोकुलभाई भट्ट 1948 में जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष रहे थे।

जन्म

गोकुलभाई भट्ट का जन्म 19 फ़रवरी, 1898, सिरोही, राजस्थान में हुआ था।

उनका पूरा नाम गोकुलभाई दौलतराम भट्ट था। कुछ बाद के समय बाद उनका परिवार मुम्बई चला आया।

वे कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक थे। उन्हें ‘राजस्थान का गाँधी’  भी कहा जाता था।

उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया।

शिक्षा – गोकुलभाई भट्ट की जीवनी

गोकुलभाई भट्ट ने मुम्बई से ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया ।उन्हें मराठी, गुजराती, हिन्दी, बंगाली, सिन्धी और अंग्रेज़ी भाषा का कुशल ज्ञान था।

गोकुलभाई भट्ट ने गुजराती, मराठी में कई भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद भी किया था।

वे सामाजिक दृष्टि से ऊंच-नीच में विश्वास नहीं करते थे और महिलाओं की समानता के पक्षधर थे।

गोकुलभाई भट्ट अभी शिक्षा प्राप्त कर ही रहे थे, तभी महात्मा गाँधी द्वारा ‘असहयोग आन्दोलन’ शुरू किया गया।

उस समय में गोकुलभाई भट्ट ने स्कूल छोड़ दिया और समाज सेवा के कार्य में जुट गये। उनका लगभग 50 वर्ष की सेवा का जीवन बहुत घटनापूर्ण रहा था।

शुरू में गोकुलभाई भट्ट मुम्बई में ही समाज सेवा का कार्य करते रहे। बाद में अपने मूल स्थान सिरोही आकर लोगों को देशी रियासत के अन्दर लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने के संघर्ष में जुट गये।

कांग्रेस ने अपने 1938 के ‘हरिपुरा अधिवेशन’ में देशी रियासतों के अन्दर के लोगों को संगठित करने का निश्चय किया था। इसके बाद ही गोकुलभाई ने अपनी अध्यक्षता में ‘सिरोही प्रज्ञा मण्डल’ की स्थापना की। उन्होंने लोगों को राजा के द्वारा किए जा रहे शोषण के विरुद्ध संगठित किया। इस लिए उन्हें 1939 में गिरफ़्तार भी कर लिया गया था। जब राजा ने झण्डे पर रोक लगाई तो गोकुलभाई की प्रेरणा से लोग झण्डे वाली टोपियां पहनने लगे। उनका कार्य क्षेत्र पूरा राजस्थान बन गया था। वे ‘राजस्थान लोक परिषद‘ के अध्यक्ष  भी चुने गये थे।

प्रधानमंत्री का पद – गोकुलभाई भट्ट की जीवनी

1947 में जब सिरोही रियासत की पहली लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके प्रधानमंत्री गोकुलभाई भट्ट ही बने। ‘राजस्थान प्रदेश कांग्रेस’ का अध्यक्ष और ‘कांग्रेस कार्य समिति’ का सदस्य बनने का भी सम्मान उन्हें मिला। 1948 की जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी वही थे। सरदार पटेल जिस समय राजस्थान की रियासतों के एकीकरण की वार्ता चला रहे थे, उसमें गोकुलभाई भट्ट जनता के प्रतिनिधि के रूप में बराबर भाग लेते रहे।

पुरस्कार

गोकुलभाई भट्ट ने अपने विविध गुणों से सम्पूर्ण राजस्थान के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके लिए 1971 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया था।

गोकुलभाई भट्ट की मृत्यु 6 अक्टूबर, 1986 को हुई थी ।

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