आज इस आर्टिकल में हम आपको के. एम. चांडी की जीवनी – K. M. Chandy Biography Hindi के बारे में बताएगे।
के. एम. चांडी की जीवनी – K. M. Chandy Biography Hindi
के. एम. चांडी एक स्वतंत्रता सेनानी तथा भूतपूर्व राज्यपाल थे।
उन्होने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 17 वर्ष की आयु में की थी।
उन्होंने पलई में ‘सेंट थामस कॉलेज’ की स्थापना में काफी योगदान दिया था।
इस कॉलेज में उन्होंने 1950 में अध्यापन कार्य भी किया।
वे 15 मई, 1982 को पांडिचेरी के उप-राज्यपाल बने।
वे 6 अगस्त, 1983 को गुजरात के राज्यपाल बनाये गए।
इसके बाद में उन्होंने 19 मई, 1984 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया।
जन्म
के. एम. चांडी का जन्म 6 अगस्त, 1921 को कोट्टायम ज़िला केरल के पलई नामक नगर में हुआ था।
उनका पूरा नाम Kizhakkayil Mathew Chandy था ।
शिक्षा – के. एम. चांडी की जीवनी
उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गृह नगर में और महाविद्यालय की उच्च शिक्षा ‘सेंट वर्च मेन कॉलेज’ चंगनाचेरी और ‘गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज’, त्रिवेन्द्रम में ग्रहण की थी।
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करियर और योगदान
1941 से 1968 तक
- के. एम. चांडी ने राजनीति में 17 वर्ष की उम्र से ही हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। उस समय वे चंगनाचेरी के ‘सेंट वर्च मेन कॉलेज’ में इन्टमीडिएट के छात्र थे।
- त्रिवेन्द्रम में अध्ययन के दौरान उन्होंने प्रख्यात गांधीवादी जी. रामचन्द्रन के नेतृत्व में ‘टेगौर अकादमी’ के गठन में मुख्य भूमिका निभाई। विद्यार्थियों तथा युवकों के मध्य राष्ट्रवादी आन्दोलन को सक्रिय करने के कारण 1941 में इस अकादमी पर रोक लगा दी गई। 1946 में जब के. एम. चांडी मीनाचिल तालुक कांग्रेस कमेटी के सचिव थे, तब उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते ही रहे। उन्हें जुलाई, 1946 में गिरफ़्तार कर लिया गया। जब उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत मंजूर कर दी तो उन्हें ‘भारत रक्षा क़ानून’ के अन्तर्गत बन्दी बना लिया गया और आज़ादी मिलने के एक माह बाद सितम्बर, 1947 के अन्त में रिहा कर दिया गया। के. एम. चांडी की जीवनी – K. M. Chandy Biography Hindi
- के. एम. चांडी 26 साल की उम्र में ‘युवा तुर्क’ होने के नाते राज्य विधान सभा के लिये निर्विरोध निर्वाचित हुए।
- 1952 और 1954 में वे पुन: विधायक निर्वाचित हुए। वे विधान सभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक थे। वे राज्य के प्रथम योजना मंडल और प्रथम राज्य न्यूनतम वेतन सलाहकार मंडल के भी सदस्य थे।
- के. एम. चांडी ने पलई में ‘सेंट थामस कॉलेज’ की स्थापना में योगदान दिया।
- इस कॉलेज में उन्होंने 1950 में अध्यापन कराना शुरू किया और 1968 तक अंग्रेज़ी के स्नातकोत्तर प्रोफेसर नियुक्त रहे।
1968 से 1976 तक
- 1972 में रबर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त होने पर उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
- के. एम. चांडी ने ‘अखिल केरल निजी महाविद्यालय शिक्षक संघ’ के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी अध्यक्षता के दौरान (1969-1972) निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों के हित में दो समझौते हुए- 1 – अशासकीय महाविद्यालय शिक्षकों को शासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों के बराबर वेतन मिलने लगा। 2 – वेतन का भुगतान शासन द्वारा सीधे किया जाने लगा।
- ‘इन्टक’ के गठन के बाद उन्होंने कई श्रमिक संगठनों का गठन एवं नेतृत्व किया। श्रमिक संघों की गतिविधियों के समर्थन में उन्होंने ‘तोझिलालली’ नामक साप्ताहिक का भी थोड़े समय के लिये सम्पादन तथा प्रकाशन किया था।
- के. एम. चांडी ने 1953 में प्रथम युवक कांग्रेस इकाई की स्थापना की
- उन्होने 1957 में युवक कांग्रेस के प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लिया।
- वे 1949 से बीस वर्ष तक मीनाचिल तालुका सहकारी संघ के अध्यक्ष रहे।
- उन्होंने मीनाचिल सहकारी लैंड मार्टगेज बैंक की स्थापना की।
- 1953 से 1957 तक के. एम. चांडी ज़िला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे ।
- 1958 में वे रबर बोर्ड के सदस्य बने।
- वे 1948 से लागातार राज्य कांग्रेस कमेटी के सदस्य और 1963 से लगातार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे।
- 1963 से 1967 तक केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और 1967 से 1972 तक उसके कोषाध्यक्ष रहे।
- के. एम. चांडी 1974-1976 तक इलायची मंडल के भी अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल में ‘इलायची प्लान्टेशन अनुसंधान’ शुरू हुआ था।
1976 से 1987 तक
- एक किसान परिवार के होने के कारण के. एम. चांडी किसानों की समस्याओं में गहरी रुचि लेते रहे और उनके समस्याओं के समाधान के लिये संघर्ष करते रहे। शासन ने 1962 में उन्हें सरकारी जंगल भूमि में बसने वालों की समस्याओं का परीक्षण करने वाली समिति का सदस्य नियुक्त किया था। उनके प्रतिवेदन की सभी वर्गों ने प्रशंसा की थी।
- 1966 में के. एम. चांडी ने ‘भारतीय रबर उत्पादक संघ’ की स्थापना की। इसके साथ ही वे इसके अध्यक्ष भी रहे।
- 1972 में भारत सरकार ने उन्हें रबर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया। उनके कार्यकाल में रबर प्लान्टेशन और रबर उद्योग के विकास को गति मिली। भारत में रबर के अनुसंधान के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की थी।
- ‘कोचीन विश्वविद्यालय’ में रबर टेक्नोलॉजी में बी.टेक. पाठयक्रम उनकी योजना के अनुसार प्रारम्भ किया गया था। के. एम. चांडी की पहल पर ही भारत ने प्राकृतिक रबर उत्पादक देशों के संघ की सदस्यता ग्रहण की और अंतर्राष्ट्रीय रबर समुदाय में उल्लेखनीय भूमिका निभानी शुरू की। के. एम. चांडी की जीवनी – K. M. Chandy Biography Hindi
- 1978 में राज्य कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद ग्रहण के लिये उन्होंने रबर बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और केरल में कांग्रेस संगठन को सुदृढ़ बनाने का चुनौतीपूर्ण कार्य स्वीकार किया, जबकि अनेक लोगों ने श्रीमती इंदिरा गाँधी का साथ छोड़ दिया था।
- के. एम. चांडी ने 15 मई, 1982 से 5 अगस्त, 1983 तक पांडिचेरी के उप-राज्यपाल रहे।
- वे 6 अगस्त, 1983 से 25 अप्रैल, 1984 तक गुजरात के राज्यपाल रहे।
- उन्होंने 15 मई, 1984 से 30 नवम्बर, 1987 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पदभार सम्भाला था।
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निधन – के. एम. चांडी की जीवनी
के. एम. चांडी का निधन 7 सितम्बर, 1998 को हुआ।