कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनेता थे और इसके साथ ही वे एक वरिष्ट कांगेसी नेता भी थे। कमलापति त्रिपाठी संविधान सभा के सदस्य रहे, 1971 से 1973तक वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और इसके बाद भारत के रेल मंत्री रहे। उन्होने 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लिया। और वे कई बार जेल भी गए। कमलापति त्रिपाठी हिन्दी और संस्कृत के विद्वान व ग्रंथकार थे। उन्होने ‘आज’ तथा ‘संसार’ नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। उन्हे गांधी दर्शन से संबंधित पुस्तक पर मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको कमलापति त्रिपाठी की जीवनी -Kamalapati Tripathi Biography Hindi के बारे में बताएगे।
कमलापति त्रिपाठी की जीवनी -Kamalapati Tripathi Biography Hindi
जन्म
कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितंबर , 1905 को हुआ थ। उनके पिता का नाम पंडित नारायणपति त्रिपाठी था। वे मूल रूप से पंडी के त्रिपाठी परिवार के थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पंडी तिवारी कहा जाता था। औरंगज़ेब के समय के दौरान उनके पूर्वज वाराणसी में आकार बस गए थे। उनका विवाह 19 साल की उम्र हो गया था। उनके 5 बच्चे थे, जिनमें उनके तीन बेटे और दो बेटियां थीं। उनके सबसे बड़े बेटे का नाम लोकपति त्रिपाठी था, जो उत्तर प्रदेश में मंत्री रह चुकेहै और उनके दूसरे बेटे का नाम मायापाति त्रिपाठी हैं, जिन्होंने अखिल भारतीय किसान मजदूर वाहिनी के नाम से सामाजिक संगठन की स्थापना की। उनका सबसे छोटा बेटा मंगलापति त्रिपाठी जिन्हे शशिपति त्रिपाठी के नाम से भी जाना जाता है।
शिक्षा
कमलापति त्रिपाठी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि और डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की थी ।
करियर
उन्होंने दैनिक हिंदी अखबार ‘आज’ और बाद में ‘संसार’ के लिए काम किया और एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह दो टैब्लोइड्स के संपादक भी थे।
कमलपति त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने 1921 के दौरान असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। वे सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी सक्रिय भागीदार थे, जिसके लिए उन्हे जेल की सजा भी काटनी पड़ी। 1942 में वे आंदोलन में भाग लेने के लिए मुंबई चले गए थे तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तीन साल तक के लिए जेल भेज दिया गया। कमलपति त्रिपाठी ने 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर कार्य किया। 1973 से 1978, 1978 से 1980 और 1985 से 1986 में वे राज्य सभा के सदस्य भी रहे थे। 1980 से 1984 तक वे लोक सभा के सदस्य थे।कमलापति त्रिपाठी 1975 से 1977 के बीच रेलवे के केंद्रीय मंत्री नियुक्त किए गए और 1980 से कुछ समय पहले भी उन्होंने भारत के रेलवे बजट को 1975 से 1976, 1976 से 1977 और 1980 से 1981 तक पेश किया था । कमलापति त्रिपाठी ने पुणे में डीजल लोको शेड अपने कार्यकाल के दौरान ही शुरू किया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई गाड़ियों की शुरुआत की जिनका नाम इस प्रकार है –
- साबरमती एक्सप्रेस
- गंगा कावेरी एक्सप्रेस
- नीलंबारी एक्सप्रेस
- वाराणसी एक्सप्रेस (दिल्ली-लखनऊ एक्सप्रेस)
- तमिलनाडु एक्सप्रेस
- काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस
साहित्य सेवा
कमलापति त्रिपाठी हिन्दी और संस्कृत के विद्वान् व ग्रंथकार थे। उन्होंने ‘आज’ तथा ‘संसार’ नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। उन्हे गांधी दर्शन से संबंधित पुस्तक पर मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया। वो संसदीय विषयों के अच्छे वक्ता होने के साथ ही एक प्रभावशाली वक्ता भी थे।
मृत्यु
कमलापति त्रिपाठी की 8 अक्टूबर, 1990 को वाराणसी में मृत्यु हो गई ।