आज इस आर्टिकल में हम आपको एम. करुणानिधि की जीवनी – M. Karunanidhi Biography Hindi के बारे में बताएगे।
एम. करुणानिधि की जीवनी – M. Karunanidhi Biography Hindi
(English – M. Karunanidhi)एम. करुणानिधि भारतीय राजनेता और तमिलनाडु
के पूर्व मुख्यमंत्री थे।
वे तमिलनाडु के द्रविड़ राजनीतिक दल ‘द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम’ (डीएमके) के प्रमुख
थे।
संक्षिप्त विवरण
नाम | एम. करुणानिधि |
पूरा नाम, अन्य नाम |
मुथूवेल करुणानिधि |
जन्म | 3 जून, 1924 |
जन्म स्थान | नागपट्टिनम के तिरुक्कुवलई |
पिता का नाम | मुत्तुवेल |
माता का नाम | अंजुगम |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जाति |
इसाई वेल्ललर |
धर्म |
हिंदू |
जन्म – एम. करुणानिधि की जीवनी
एम. करुणानिधि का जन्म 3 जून, 1924 को नागपट्टिनम के तिरुक्कुवलई में दक्षिणमूर्ति में हुआ था।
उनका पूरा नाम मुथूवेल करुणानिधि था।
उनके पिता का नाम मुत्तुवेल था और माता अंजुगम थीं।
वे ईसाई धर्म के वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते थे।
एम. करुणानिधि ने अपने जीवन की शुरुआत तमिल फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में की। अपनी बुद्धि और भाषण के माध्यम से वे बहुत काम समय में एक महान राजनेता बन गए। एम. करुणानिधि द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे और समाजवादी और बुद्ध के आदर्शों को बढ़ाबा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक कहानियाँ लिखने के लिए मशहूर थे।
उन्होंने तमिल सिनेमा जगत का इस्तेमाल करके अपनी ‘पराशक्ति’ नामक फिल्म के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार किया। ‘पराशक्ति’ फिल्म तमिल सिनेमा जगत के लिए एक महत्तपूर्ण मोड़ साबित हुई, क्यूकि इसने द्रविड़ आंदोलन की विचारधाराओं का समर्थन किया और इसने तमिल फिल्म जगत के दो मशहूर अभिनेताओं शिवाजी गणेशन और एस.एस. राजेंद्रन से दुनिया को परिचित करवाया।
शुरू में इस फिल्म पर प्रतिबन्द लगा दिया गया था, लेकिन बाद में इसे 1952 में रिलीज कर दिया गया।
ये बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही बड़ी फिल्म के रूप में साबित हुई। इसी तरह करुणानिधि की दो और फिल्में थीं- ‘पनाम’ और ‘थंगारथनम’। सन 1950 के दशक में उनके दो नाटकों को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। विवाह एम. करुणानिधि ने तीन विवाह किये थे। उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती अम्माल था, जिनसे उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम एम.के. मुथू है।
पद्मावती का निधन मुथु के जन्म के आसपास ही हो गया था। इसके बाद उनकी शादी दयालु अम्मा से हुई, जिनसे इस दम्पत्ति को चार बच्चे हुए- एम.के. अलागिरि, एम.के. स्टालिन, एम.के. तमिलारसु और सेल्वी।
उनकी तीसरी पत्नी का नाम राजाथिअम्माल हैं, जिनसे उन्हें एक बेटी कनिमोझी हैं।
राजनीतिक करियर
एम. करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया।
उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय युवाओं के लिए एक संगठन की स्थापना की।
उन्होंने इसके सदस्यों को ‘मनावर नेसन’ नामक एक हस्तलिखित अखबार परिचालित किया।
बाद में उन्होंने ‘तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम’ नामक एक छात्र संगठन की स्थापना की, जो द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था। करुणानिधि ने अन्य सदस्यों के साथ छात्र समुदाय और खुद को भी सामाजिक कार्य में शामिल कर लिया। यहां उन्होंने इसके सदस्यों के लिए एक अखबार चालू किया, जो डीएमके दल के आधिकारिक अखबार मुरासोली के रूप में सामने आया। M. Karunanidhi Biography Hindi
कल्लाकुडी में हिंदी विरोधी विरोध प्रदर्शन में उनकी भागीदारी, तमिल राजनीति में अपनी जड़ मजबूत करने में करुणानिधि के लिए मददगार साबित होने वाला पहला प्रमुख कदम था। इस औद्योगिक नगर को उस समय उत्तर भारत के एक शक्तिशाली मुग़ल के नाम पर ‘डालमियापुरम’ कहा जाता था।
विरोध प्रदर्शन में एम. करुणानिधि और उनके साथियों ने रेलवे स्टेशन से हिंदी नाम को मिटा दिया और रेलगाड़ियों के
मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए पटरी पर लेट गए।
इस विरोध प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई और करुणानिधि को गिरफ्तार कर लिया गया।
एम. करुणानिधि को तिरुचिरापल्ली ज़िले के कुलिथालाई विधानसभा से 1957 में तमिलनाडु विधानसभा के लिए पहली बार चुना गया। वे 1961 में डीएमके कोषाध्यक्ष बने और 1962 में राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता बने और 1967 में जब डीएमके सत्ता में आई,
तब वे सार्वजनिक कार्य मंत्री बने।
जब 1969 में सी. एन. अन्नादुराई की मौत हो गई, तब करुणानिधि को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बना दिया गया।
तमिलनाडु में राजनीतिक क्षेत्र में अपने लंबे करियर के दौरान वे पार्टी और सरकार में विभिन्न पदों पर रह चुके थे।
साहित्य – एम. करुणानिधि की जीवनी
तमिल साहित्य में अपने योगदान के लिए भी एम. करुणानिधि मशहूर हैं।
उनके योगदान में कविताएं, चिट्ठियां, पटकथाएं, उपन्यास, जीवनी, ऐतिहासिक उपन्यास, मंच नाटक, संवाद, गाने इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने तिरुक्कुरल, थोल्काप्पिया पूंगा, पूम्बुकर के लिए कुरालोवियम के साथ-साथ कई कविताएं, निबंध और किताबें लिखी हैं।
साहित्य के अलावा करुणानिधि ने कला एवं स्थापत्य कला के माध्यम से तमिल भाषा में भी योगदान दिया है।
कुरालोवियम की तरह, जिसमें कलाईनार ने तिरुक्कुरल के बारे में लिखा था, वल्लुवर कोट्टम के निर्माण के माध्यम से उन्होंने तिरुवल्लुवर, चेन्नई, तमिलनाडु
में अपनी स्थापत्य उपस्थिति का परिचय दिया है।
कन्याकुमारी में एम. करुणानिधि ने तिरुवल्लुवर की एक 133 फुट ऊंची मूर्ति का निर्माण करवाया था, जो उस विद्वान के प्रति
उनकी भावनाओं का चित्रण करता है।
पुस्तकें
एम. करुणानिधि द्वारा लिखित पुस्तकों में शामिल हैं- रोमपुरी पांडियन, तेनपांडि सिंगम, वेल्लीकिलमई, नेंजुकू नीदि,इनियावई
इरुपद, संग तमिल, कुरालोवियम, पोन्नर शंकर और तिरुक्कुरल उरई।
उनकी गद्य और पद्य की प्स्तकों की संख्या 100 से भी अधिक है।
मंचकला
करुणानिधि के नाटकों में शामिल हैं- मनिमागुडम, ओरे रदम, पालानीअप्पन, तुक्कु मेडइ, कागिदप्पू, नाने एरिवाली,
वेल्लिक्किलमई, उद्यासूरियन और सिलप्पदिकारम आदि।
पटकथाएँ
एम. करुणानिधि ने 20 वर्ष की आयु में ज्यूपिटर पिक्चर्स के लिए पटकथा लेखक के रूप में कार्य शुरू किया था।
उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘राजकुमारी’ से लोकप्रियता हासिल की।
पटकथा लेखक के रूप में उनके हुनर में यहीं से निखार आना शुरू हुआ।
उनके द्वारा लिखी गई 75 पटकथाओं में शामिल हैं- राजकुमारी, अभिमन्यु, मंदिरी कुमारी, मरुद नाट्टू इलवरसी, मनामगन, देवकी, पराशक्ति, पनम, तिरुम्बिपार, नाम, मनोहरा, अम्मियापन, मलाई कल्लन, रंगून राधा, राजा रानी, पुदैयाल, पुदुमइ पित्तन, एल्लोरुम इन्नाट्टु मन्नर, कुरावांजी, ताइलापिल्लई, कांची तलैवन, पूम्बुहार, पूमालई, मनी मगुड्म, मारक्क मुडियुमा?, अवन पित्तना?, पूक्कारी, निदिक्कु दंडानई, पालईवना रोजाक्कल, पासा परावाईकल, पाड़ाद थेनीक्कल, नियाय तरासु, पासाकिलिग्ल, कन्नम्मा, यूलियिन
ओसई, पेन सिन्गम और इलइज्ञइन।
विवाद
- सरकारिया आयोग ने वीरानम परियोजना के अंतर्गत निविदाओं के आवंटन में भ्रष्टाचार में शामिल होने के कारण करुणानिधि पर आरोप लगाए गए, जिसके चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी सरकार को खारिज कर दिया था।
- वर्ष 2001 में, करुणानिधि, पूर्व मुख्य सचिव के.ए. नंबियार को चेन्नई में फ्लाईओवर के निर्माण में भ्रष्टाचार में संलिप्त पाते हुए गिरफ्तार किया गया था। आईपीसी की कई धाराओं के तहत उन पर और उनकी पार्टी के सदस्यों पर आरोप लगाए गए थे। हालांकि, उनके खिलाफ कोई कठोर साक्ष्य नहीं मिला सका था।
- वर्ष 2012 में, पार्टी के स्थापना दिवस का जश्न मनाते हुए करुणानिधि और पार्टी कार्यकर्ताओं का स्वागत करने के लिए हिंदू देवताओं की वेशभूषा में थे। जो उनके लिए अपमानजनक था।
- उन पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई), एक आतंकवादी समूह के साथ संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अंत में उनके खिलाफ साक्ष्य नहीं मिलने पर आरोपों से बरी कर दिया गया था। एम. करुणानिधि की जीवनी – M. Karunanidhi Biography Hindi
पुरस्कार – एम. करुणानिधि की जीवनी
- एम. करुणानिधि को कभी-कभी प्यार से “कलाईनार” और “मुथामिझ कविनार” भी कहा जाता है।
- अन्नामलई विश्वविद्यालय ने 1971 में उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था।
- ‘थेनपंदी सिंगम’ नामक किताब के लिए उन्हें तमिल विश्वविद्यालय, तंजावुर द्वारा “राजा राजन पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
- 15 दिसंबर, 2006 को तमिलनाडु के राज्यपाल और मदुराई कामराज विश्वविद्यालय के चांसलर महामहिम थिरु सुरजीत
सिंह बरनाला ने 40वें वार्षिक समारोह के अवसर पर उनको मानद डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया था। - जून 2007 में तमिलनाडु मुस्लिम मक्कल काची ने घोषणा की थी कि वह एम. करूणानिधि को ‘मुस्लिम समुदाय के दोस्त’ (यारां-ए-मिल्लाथ’) प्रदान करेगा।
मृत्यु
एम. करुणानिधि की मृत्यु 94वर्ष की आयु में 7 अगस्त, 2018 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ।
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