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राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जीवनी – Vijaya Raje Scindia Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जीवनी – Vijaya Raje Scindia Biography Hindi के बारे मे बताएगे।

 विजयाराजे सिंधिया की जीवनी – Vijaya Raje Scindia Biography Hindi

 विजयाराजे सिंधिया की जीवनी
Vijaya Raje Scindia Biography Hindi

विजया राजे सिंधिया (Eng – Vijaya Raje Scindia ) ‘भारतीय जनता पार्टी’
की प्रसिद्ध नेता थीं।

इन्हें “ग्वालियर की राजमाता” के रूप में जाना जाता था।

राजमाता त्याग एवं समर्पण की प्रति मूर्ति थी।

उन्होंने राजसी ठाठ-बाट का मोह त्यागकर जनसेवा को अपनाया तथा सत्ता
के शिखर पर पहुँचने के बाद भी उन्होंने जनसेवा से कभी अपना मुख नहीं मोड़ा।

जन्म

विजयाराजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को सागर, मध्य प्रदेश के राणा परिवार में हुआ था।

इनके पिता नाम श्री महेन्द्रसिंह ठाकुर था और विजयाराजे सिंधिया की माता नाम श्रीमती विंदेश्वरी देवी थीं।

उनके पिता जालौन ज़िला के डिप्टी कलैक्टर थे।

विजयाराजे सिंधिया का विवाह के पहले का नाम ‘लेखा दिव्येश्वरी’ था।

इनका विवाह 21 फ़रवरी, 1941 में ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया से हुआ था।

विजयाराजे के बेटे नाम माधवराव सिंधिया, बेटी का नाम वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया हैं।

करियर – विजयाराजे सिंधिया की जीवनी

  • ग्वालियर, भारत के विशाल और संपन्न राजे – रजवाड़ों में से एक है। विजया राजे सिंधिया अपने पति जीवाजी राव सिंधिया की मृत्यु के बाद कांग्रेस के टिकट पर संसद सदस्य बनीं थीं। अपने सैध्दांतिक मूल्यों के दिशा निर्देश के कारण विजया राजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं। विजया राजे सिंधिया का रिश्ता एक राजपरिवार से होते हुए भी वे अपनी ईमानदारी, सादगी और प्रतिबद्धता के कारण पार्टी में सबसे प्रिय बन गईं। और जल्द ही वे पार्टी में शक्ति स्तंभ के रूप में सामने आईं।
  • 1957 में विजया राजे सिंधिया ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और उन्होंने दो कोणीय मुक़ाबले में हिन्दू महासभा’ के देशपांडे को 60 हज़ार 57 मतों से पराजित किया।
  • 1967 का चुनाव विजया राजे सिंधिया ने स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर लड़ा और कांग्रेस के डी. के. जाधव को एक लाख 86 हज़ार 189 मतों से पराजित किया।
  •  1989 के आम चुनाव में विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर गुना से भाजपा प्रत्याशी थीं। इससे पहले 22 साल पहले 1967 में राजमाता वहाँ से जीती थीं। उनके साथ मुक़ाबले में कांग्रेस ने महेंद्रसिंह कालूखेड़ा को मैदान में उतारा। कालूखेड़ा राजमाता से 1 लाख 46 हज़ार 290 वोटों से परास्त हो गए।
  • 1991 के चुनाव में दोबारा विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के शशिभूषण वाजपेयी को 55 हज़ार 52 मतों से हराया।
  • विजयाराजे सिंधिया 1996 के चुनाव में फिर उम्मीदवार बनीं और उन्होंने भाजपा के टिकट पर अपनी जीत की हैट्रिक क़ायम करते हुए कांग्रेस के के. पी. सिंह को एक लाख 30 हज़ार 824 मतों से पराजित किया।
  • 1998 के चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने अपनी जीत का सिलसिला चौथी बार भी लगातार जारी रखा। और उन्होंने तब कांग्रेस के देवेंद्र सिंह रघुवंशी को एक लाख 29 हज़ार 82 मतों से पराजित किया ।

पद

वर्षपद
1957दूसरी लोकसभा के लिए निर्वाचित किया गया
1962तीसरी लोकसभा के लिए दोबारा निर्वाचित किया गया
1967मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित किया गया
1971नौंवी लोकसभा  के लिए तीसरी बार निर्वाचित किया गया
1978राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया
1989नौंवी लोकसभा के लिए चौथी बार निर्वाचित किया गया
1990सदस्य, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति
1991दसवी लोकसभा के लिए पाँचवी बार निर्वाचित किया गया

मृत्यु –  विजयाराजे सिंधिया की जीवनी

1998 से राजमाता का स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा और 25 जनवरी,
2001
में राजमाता विजया राजे सिंधिया का निधन हो गया।

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