नारायण दत्त तिवारी की जीवनी -Narayan Dutt Tiwari Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको नारायण दत्त तिवारी की जीवनी -Narayan Dutt Tiwari Biography Hindi के बारे में बताएगे।

नारायण दत्त तिवारी की जीवनी -Narayan Dutt Tiwari Biography Hindi

नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे।

1986 और 1988 के बीच में उन्होंने प्रधान मंत्री राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में पहली बार विदेश मामलों के मंत्री और फिर वित्त मंत्री के रूप में भी कार्य किया था।

उन्होंने 2007 से 2009 तक आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी रहें।

वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे।

जन्म

नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्टूबर 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था।

उनके पिता का नाम पूर्णानंद तिवारी था। वे वन विभाग में अधिकारी थे।

इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति  काफी अच्छी थी। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पूर्णानंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।1 954 में उन्होंने सुशीला से शादी की और 1991 में उनकी पत्नि की मृत्यु हो गई। इसके बाद 14 मई 2014 को, 88 साल की उम्र में उन्होंने अपने जैविक पुत्र रोहित शेखर की मां उज्ज्ववाला तिवारी से विवाह किया।

शिक्षा

नारायण दत्त तिवारी की शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल से हुई थी ।

अपने पिता के तबादले की वजह से उन्हें दूसरे शहर में रहते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी।

अपने पिता की तरह वे भी स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हुए।

1942 में वे ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने और उसमें सहयोग के आरोप में पकड़े गए। उन्हें गिरफ्तार करके नैनीताल जेल में डाल दिया गया। उस जेल में उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे। 15 महीने की जेल की सजा काटने के बाद वे 1944 में रिहा हुए।इसके बाद में तिवारी जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एमए किया। वे एमए की परीक्षा में विश्वविद्याल में पहले स्थान पर आये। इसके बाद में उन्होंने  उसी विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की। 1947 में आजादी के साल ही वे इस विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए।

ये उनके राजनैतिक जीवन की पहली सीढ़ी थी।

करियर

आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल सीट से प्रजा समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौरभाग लिया। कांग्रेस की हवा के बावजूद वे चुनाव जीते और पहली विधानसभा के सदस्य के तौर पर सदन में नियुक्त हुए। कांग्रेस के साथ तिवारी का संबंध 1963 से शुरू हुआ। 1965 में वे कांग्रेस के टिकट से काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें स्थान मिला।

कांग्रेस के साथ उनकी पारी कई सालों तक चली।

1968 में जवाहरलाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना में उनका बड़ा योगदान था।

1969 से 1971 तक उन्होने कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

1 जनवरी 1976 कोवे पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए ।

1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।

नारायण दत्त तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ।

वह अकेले  ऐसे राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होने कम किया। 1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई। पर आखिरकार कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लगा दी गई । इसके बाद में उन्होंने 2002 से 2007 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिसे उत्तर प्रदेश से विभाजित कर बनाया गया था।

19 अगस्त 2007 को तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन यहां उनका कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा।

विवाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा, जब दिल्ली हाईकोर्ट में उनके खून के नमूने संबंधी डीएनए रिपोर्ट सार्वजनिक किया गया और उस रिपोर्ट के अनुसार पितृत्च वाद दायर करने वाले रोहित शेखर तिवारी ही नारायण दत्त तिवारी के बेटे हैं।

दिल्ली में रहने वाले 32 साल के रोहित शेखर तिवारी का दावा था कि एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं और इसी दावे को सच साबित करने के लिए रोहित और उसकी मां उज्ज्वला तिवारी ने 2008 में अदालत में एन डी तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस दाखिल किया था।अदालत ने मामले की सुनवाई की और अदालत के ही आदेश पर पिछले 29 मई 2011 को डीएनए जांच के लिए नारायण दत्त तिवारी को अपना खून देना पड़ा था।

इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई।

लेकिन तिवारी की ओर से कोर्ट में यह अपील भी दायर की गई कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न की जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी यह अपील नहीं मानी और रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला उनकी जैविक माता।खास बात यह है कि जब तिवारी डीएनए टेस्ट देने से कतरा गए तो रोहित के कानूनी पिता बीएल शर्मा अपना डीएनए सैंपल 2010 में अदालत में देने को तैयार हो गए।

जबकि शर्मा से उज्‍द्गवला पहले ही तलाक ले चुकी थीं।

टेस्ट के नतीजे से  भी यह प्रमाणित हो गया था कि वे रोहित के पिता नहीं हैं।

मृत्यु – नारायण दत्त तिवारी की जीवनी

नारायण दत्त तिवारी की लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के साकेत में स्थित मैक्स अस्पताल में 18 अक्टूबर 2018 को उनकी मृत्यु हो गई थी।

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