शकुन्तला देवी की जीवनी – Shakuntala Devi Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको शकुन्तला देवी की जीवनी – Shakuntala Devi Biography Hindi के बारे में बताएगे।

शकुन्तला देवी की जीवनी – Shakuntala Devi Biography Hindi

शकुन्तला देवी की जीवनी
शकुन्तला देवी की जीवनी

(English – Shakuntala Devi) शकुन्तला देवी  एक भारतीय वैज्ञानिक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता थी।

उन्हे “मानव कम्प्यूटर” के रूप में जाना जाता है।

उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।

संक्षिप्त विवरण

 

नाम मानव कम्प्यूटर, मेंटल कैलकुलेटर
पूरा नाम शकुन्तला देवी
जन्म 4 नवंबर 1929
जन्म स्थान बैंगलोर, मैसूर राज्य, ब्रिटिश भारत
पिता का नाम  –
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू

जन्म  –  शकुन्तला देवी की जीवनी

Shakuntala Devi का जन्म 4 नवंबर 1929 को भारत के बंगलौर नामक महानगर में एक रुढ़ीवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

उन्होने 1960 में परितोष बनर्जी से विवाह किया जोकि एक आईएएस अधिकारीहै। इसके बाद 1979 में उनका तलाक हो गया।

उनकी बेटी का नाम अनुपमा बनर्जी है।

शकुन्तला देवी के पिता सर्कस में करतब दिखाते थे। वह 3 वर्ष की उम्र में जब अपने पिता के साथ ताश खेल रही थीं तभी उनके पिता ने पाया कि उनकी बेटी में मानसिक योग्यता के सवालों को हल करने की क्षमता है।

6 वर्ष की आयु में उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में एक गणित प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

करियर

जब वो 10 वर्ष की थी, तब उन्होंने एक कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला लिया था, लेकिन दाखिला लेने के 3 महीने के भीतर ही उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि उनके माता-पिता स्कूल की फीस देने में असमर्थ थे।

1977 में Shakuntala Devi ने 201 अंकों की संख्या का 23वां वर्गमूल बिना कागज़ कलम के निकाल दिया।

उन्होने 13 अंकों वाली 2 संख्याओं का गुणनफल 26 सेकंड बता दिया था।

आर्थिक तंगी के चलते उन्हें दस साला होने पर ही संत थेरेसा कोंवेंट चमाराजपेट में कक्षा 1 में भर्ती किया जा सका।

माँ बाप के पास स्कूल की फीस (शुल्क मात्र दो रुपया प्रति माह) देने के लिए भी पैसे नहीं थे
लिहाजा तीन माह के बाद ही उन्हें स्कूल से चलता कर दिया गया।

तकरीबन गुट्टाहल्ली का झोंपड पट्टी नुमा इलाका ही था गाविपुरम जहां आपका लालन पालन हुआ।

एक गणित विश्वविद्यालय और शोध एवं विकास केंद्र खोलना आपका स्वप्न था जहां अभिनव तकनीकों के ज़रिये जनमानस को पेचीला गणीतिय सवालों के हल करने के शोर्टकट्स और प्रभावशाली स्मार्ट तरीकों में प्रवीण बनाया जा सके।

टाइम्स आफ इंडिया के साथ एक बात चीत में आपने कहा था -मैं अपनी क्षमता तो लोगों को अंतरित नहीं कर सकती है

लेकिन एक संख्यात्मक रुझान तेज़ी से विकसित कर लेने में मैं जनसामान्य की मदद ज़रूर कर सकती हूँ।

बड़ी संख्या है ऐसे लोगों की जिनकी तर्क शक्ति का दोहन नहीं किया जा सका है।

आप इस मिथक को तोड़के महाप्रयाण यात्रा पर निकल गईं हैं कि लड़कियों का हाथ गणित में तंग होता है।

पुस्तकें

  • फन विद नंबर्स
  • एस्ट्रोलॉजी फॉर यू
  • पजल्स टू पजल्स यू
  • मैथब्लीट

पुरस्कार

  • उनको 1969 में  फिलीपींस विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ ‘Distinguished Woman of the Year Award’ से सम्मानित किया गया।
  • उन्हे 1988 में वाशिंगटन डी.सी. में ‘रामानुजन गणितीय जीनियस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया, जिसे अमेरिका के तत्कालीन भारतीय राजदूत द्वारा दिया गया था।
  • Shakuntala Devi का नाम ‘1995 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स‘ के संस्करण में उत्कृष्ट गणितीय कार्यों के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जहां उन्होंने दो सौ तेरह अंकों की संख्या को गुणा करने के लिए दुनिया के सबसे तेज़ कंप्यूटर को हराया था।
  • 2013 में, मृत्यु से एक महीने पहले, उन्हें मुंबई में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
  • 4 नवंबर 2013 को Shakuntala Devi के 84 वें जन्मदिन पर गूगल द्वारा एक “गूगल डूडल” जारी किया गया।

मृत्यु – शकुन्तला देवी की जीवनी

Shakuntala Devi  की मृत्यु 83 वर्ष की उम्र में 21 अप्रैल 2013 को बंगलौर, कर्नाटक, भारत में श्वसन और हृदय की समस्या के कारण हुआ था।

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