आज हम इस आर्टिकल में आपको स्वयं प्रकाश की जीवनी – Swayam Prakash Biography in Hindi के बारे में बताएंगे।
स्वयं प्रकाश की जीवनी – Swayam Prakash Biography in Hindi
Swayam Prakash एक महान लेखकों में से एक माने जाते थे.
ये एक हिन्दी साहित्यकार थे.
इनका जन्म 20 जनवरी 1947 में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था।
इनका पैतृक घर अजमेर (राजस्थान) में था। इनका जन्म इनके नाना के घर
हुआ था.
संक्षिप्त विवरण
नाम | स्वयं प्रकाश |
पूरा नाम | स्वयं प्रकाश जी |
जन्म | 20 जनवरी 1947 |
जन्म स्थान | मध्यप्रदेश के इंदौर शहर |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति | – |
जन्म – स्वयं प्रकाश की जीवनी
स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी 1947 में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था।
इनका पैतृक घर अजमेर (राजस्थान) में था। इनका जन्म इनके नाना के घर हुआ था.
इनका नाना स्वतंत्रता-सेनानी थे और इनके पिता जी अजमेर रहते थे.
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शिक्षा
स्वयं प्रकाश हायर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 1966 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त की.
तथा इन्होंने इसके बाद नौकरी करने लगे कुछ सालों बाद ये स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली।
उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी तथा सन् १९८० में राजस्थान विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में एम॰ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण करके सन् 1982 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से पीएच॰डी॰ की उपाधि भी प्राप्त कर ली थी।
रचनाएँ
इनकी बहुत सी प्रमुख रचनाएँ थी. ये अपने समय के बहुत ही प्रसिद्ध थे. इनके पांच उपन्यास थे-
कहानी संग्रह – स्वयं प्रकाश की जीवनी
‘सूरज कब निकलेगा’ (1981), ‘आसमां कैसे-कैसे’ (1982), ‘अगली किताब’ (1988), ‘आएंगे अच्छे दिन भी’ (1991), ‘आदमी जात का आदमी’ (1994), छोटू उस्ताद.
उपन्यास
इनके पांच उपन्यास थे- जलते जहाज पर -1982, ज्योति रथ के सारथी -1987 (धरती प्रकाशन, बीकानेर, उत्तर जीवन कथा -1993 (परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद), बीच में विनय -1994 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली), ईंधन -2004 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
निबन्ध
स्वान्त: दुःखाय, रंगशाला में एक दोपहर, दूसरा पहलू, एक कहानीकार की नोटबुक एंव क्या आप साम्प्रदायिक हैं?.
भाषा शैली
इनकी भाषा सरल सहज एंव भावात्मक थी. इनकी कहानियों का अनुवाद रुसी भाषा में भी हो चुका है.
इन्होंने अपनी रचनाओं में खड़ी बोली का उपयोग किया है.
इनकी रचनाओं तत्सम, तद्भव, देशज, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी के शब्दों की बहुलता से प्रयोग किया गया है.
पुरस्कार एंव सम्मान
इनकी भाषा सरल एंव सहज थी इसलिए इनकी रचना बहुत ही प्रसिद्ध है. इनकी रचनाएँ बहुत ही पसंद किया जाता है इसलिए इन्हें सम्मानित किया गया था- राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, वनमाली स्मृति, कथाक्रम सम्मान, भवभूति अलंकरण, बाल
निधन – स्वयं प्रकाश की जीवनी
ये फिर भोपाल आ गए जिसे के बाद 7 दिसंबर 2019 को इनका कर्कट रोग के कारण लीलावती हस्पताल में इनका निधन हो गया.
आज इस आर्टिकल में हमने आपको स्वयं प्रकाश की जीवनी के बारे में बताया इसके लेकर अगर आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकत है.
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