आज इस आर्टिकल में हम आपको भूपेन हज़ारिका की जीवनी – Bhupen Hazarika Biography Hindi के बारे में बताएगे।
भूपेन हज़ारिका की जीवनी – Bhupen Hazarika Biography Hindi
(English – Bhupen Hazarika) भूपेन हज़ारिका गीतकार, संगीतकार और गायक थे।
उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फ़िल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया है।
उन्होने हिंदी फ़िल्म ‘स्वीकृति’, ‘एक पल’, ‘सिराज’, ‘प्रतिमूर्ति’, ‘दो राहें’, ‘साज’, ‘गजगामिनी’, ‘दमन’, ‘क्यों’ और ‘चिंगारी’ जैसी हिंदी फ़िल्मों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा।
भारत सरकार ने 2011 में उन्हें पद्मभूषण सम्मानित किया।
मरणोपरान्त सन् 2019 में उन्हें भारतरत्न से विभूषित किया गया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | भूपेन हज़ारिका |
पूरा नाम | भूपेन हज़ारिका |
जन्म | 8 सितंबर 1926 |
जन्म स्थान | शदिया, असम |
पिता का नाम | नीलकांत हज़ारिका |
माता का नाम | शांतिप्रिया हज़ारिका |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म |
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जन्म
Bhupen Hazarika का जन्म 8 सितंबर 1926 को शदिया,असम में हुआ था। उनके पिता का नाम नीलकांत हज़ारिका था जोकि स्कूल उप–परिदर्शक थे और इसके बाद में वे एस.डी.सी. बने तथा उनकी माता का नाम शांतिप्रिया हज़ारिका था। । भूपेन हज़ारिका के सात भाई और तीन बहने थीं।
भूपेन हज़ारिका की 23 वर्ष की उम्र में ही 1 अगस्त 1950 में को न्यूयार्क शहर में प्रियम पटेल के साथ उनकी शादी होती है।
शिक्षा – भूपेन हज़ारिका की जीवनी
बचपन में भूपेन हज़ारिका की शिक्षा गुवाहाटी के सेणाराम हाईस्कूल में, धुबुरी की एक पाठशाला में, फिर गुवाहाटी के कॉटन कलेजियेट स्कूल में और अंत में 1935 में छठी कक्षा में तेजपुर सरकारी उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में हुई।
1940 में तेजपुर से वे मैट्रिक की परीक्षा पास करते हैं। सन 1941 में कॉटन कॉलेज में (उच्चत्तर माध्यमिक़ कला शाखा में) दाख़िला लिया। 1942 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्नातक में उनका दाखिला होता है। 1944 में सम्मानसह (honours) शिक्षा में स्नातक की उपाधि मिलती है।
1946 में उसी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि मिलती है। 1949 को वे पी.एच.डी. के लिए अमरीका गए और 1952 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय से पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त होती है। उनकी गवेषणा का विषय था– “Roll of Mass Communication in India’s Adult Education”
करियर
Bhupen Hazarika एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार थे। बचपन में ही उन्होंने अपना पहला गीत लिखा और 10 वर्ष की आयु में उसे गाया भी। असमिया भाषा की फ़िल्मों से भी उनका नाता बचपन में ही जुड़ गया था।
उन्होंने असमिया भाषा में निर्मित दूसरी फ़िल्म इंद्रमालती के लिए 1939 में बारह वर्ष की आयु मॆं काम भी किया। सुर सम्राट हज़ारिका ने क़रीब 70 साल तक अपनी आवाज़ से पूर्वोत्तर के साथ बॉलीवुड में भी छाए रहे। हज़ारिका ने अपनी फ़िल्म का निर्देशन 1956 में किया। उन्होंने एरा बतर सुर से अपनी फ़िल्म का पहला निर्देशन किया।
हज़ारिका ने होश संभालते ही गीत संगीत को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बना लिया और 60 साल तक लगातार भारतीय संगीत जगत् में सक्रिय योगदान दिया। उनके गंगा नदी पर लिखे और गाए गीत काफ़ी प्रसिद्ध हुए। हज़ारिका ने बंगाली, असमिया और हिंदी समेत कई भारतीय भाषाओं में गीत गाए हैं।
हज़ारिका ने हिंदी फ़िल्म स्वीकृति, एक पल, सिराज, प्रतिमूर्ति, दो राहें, साज, गजगामिनी, दमन, क्यों और चिंगारी जैसी हिंदी फ़िल्मों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। यही नहीं उन्होंने हिंदी फ़िल्म स्वीकृति और सिराज जैसी फ़िल्मों को निर्देशित कर फ़िल्म निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाया। हज़ारिका ने हिंदी फ़िल्म एक पल में बतौर अभिनेता के तौर पर भी काम किया। हज़ारिका ने 2006 में फ़िल्म ‘चिंगारी’ में भी गाना गाया।
गीत
असोम अमार रूपाहि | ऑटोरिक्शा चलाओ | बिश्टिर्ना पाड़रे |
गजगामिनी (शीर्क गीत) | गंगा | बिस्तीर्ण दुपारे |
आमि एक यायाबर | मानुष मानुषेर जन्ये | प्रतिध्बनि शुनि |
सागर संगमे | आज जीबन खुँजे पाबि | मोइ एटि जजबार |
ओ विदेशी बंधु दुर्भगिया | Saisabate Dhemalite | समोयार अग्रगति |
Sira jugamiya dhou tuli |
- दिल हूम् हूम् करे (हिन्दी फिल्म रुदाली (1993 फिल्म) के लिए)
- मानुहे manuhar babe jodihe okono nabhabe
- समय ओ धीरे चलो (हिन्दी फिल्म रुदाली (1993 फिल्म) के लिए)
चलचित्र
1939 —इन्दुमालती | 1948 —सिराज | 1955—पिओलि फुकान |
1956 —एरा बातोर सुर | 1958 —माहुत बन्धु रे | 1961 —शकुन्तला सुर |
1964—प्रतिध्बनि | 1964 —का स्बरिति | 1966 —लाटि-घाटि |
1969 —चिक मिक बिजुलि | 1973 —तितास एकटि नदीर नाम | 1973—आरोप |
1974 —फर हुम द्य सान शाइनस | 1975 —चामेलि मेमसाहेब | 1976 —रूप कोँय़ार ज्योतिप्रसाद आरु जय़मती |
1976 —मेरा धरम मेरि मा | 1977—थ्रु मेलॉडी ऐण्ड रिदम | 1977 —सीमाना पेरिय़े |
1979 —मन-प्रजापति | 1979 —देबदास | 1982—अपरूपा |
1986 —स्बीकारोक्ति | 1986 —एक पल | 1988 —सिराज |
1993 —रुदाली | 1993 —प्रतिमूर्ति | 1997 —दो राहेँ |
1997 —दर्मिय़ाँ: इन बिटुइन | 1998 —साज | 2000 —गजगामिनी |
2003 —किउँ? | 2006 —चिंगारि | 2001 —दमन: आ भिक्टिम अफ मेट्रिय़ाल भाय़ोलेन्स |
पुरस्कार और सम्मान – भूपेन हज़ारिका की जीवनी
- पद्म विभूषण
- पद्मभूषण
- पद्मश्री
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- असम रत्न (2009)
- राष्ट्रीय पुरस्कार क्षेत्रीय फ़िल्म (1975)
- 1993 में असम साहित्य सभा के अध्यक्ष भी रहे।
- 2004 में उन्हें राजनीति में शिरकत की तथा भाजपा की तरफ से 2004 में चुनाव भी लड़ा।
- हज़ारिका को 2019 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
मृत्यु
भूपेन हज़ारिका की मृत्यु 86 वर्ष की उम्र में 5 नवंबर 2011 को मुम्बई के कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी अस्पताल में हुई थी।
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