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डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी – Dr Yashwant Singh Parmar Biography

आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी – Dr Yashwant Singh Parmar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी – Dr Yashwant Singh Parmar Biography Hindi

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार भारत के राजनेता और एक स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे।

वे हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने।

उन्हे ‘हिमाचल निर्माता’ के नाम से जाना जाता है।

उन्होने हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में लाने तथा विकास की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिये है।

लगभग 3 दशकों तक कुशल प्रशासक के रूप में जन-जन की भावनाओं संवेदनाओं को समझते हुए उन्होने प्रगति के पथ पर चलते हुए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नई दिशाएं पेश की।

उन्होने अपना सारा जीवन प्रदेश की जनता के लिए समर्पित कर दिया।

वे गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।

जन्म

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को सिरमौर जिला के चनालग गांव में हुआ था।

हिमाचल निर्माता डॉ. वाई.एस. परमार के पोते व पूर्व कांग्रेसी विधायक कुश परमार के बेटे चेतन परमार बीजेपी में शामिल हो गए हैं. जिससे राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है.

दरअसल चेतन, नाहन सीट से कांग्रेस के टिकट की मांग कर रहे थे.

टिकट ना मिलने से नाराज चेतन परमार भाजपा  में शामिल हो गए।

शिक्षा

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार ने 1928 में बी.ए. आनर्स किया और इसके बाद उन्होने लखनऊ से एम.ए. और एल.एल.बी. तथा 1944 में समाजशास्त्र में पी एच डी की उपाधि ग्रहण की।

1929 से 1930 तक वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य रहे।

करियर – डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी

  • डॉ॰ यशवंत सिंह परमार ने सिरमौर रियासत में 11 सालों तक सब जज और 1930से 1937 तक मैजिसट्रेट के बाद जिला और 1938 से 1941तक सत्र न्यायधीश के रूप में अपनी सेवाए दी।
  • उन्होने अपनी नौकरी की परवाह किए बिना ही सुकेत सत्याग्रह प्रजामण्डल से जुड़े गए और  उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हो पाया था।
  • 1943 से 1946 तक वे सिरमौर एसोसिएशन के सचिव,
  • 1946 से 1947 तक हिमाचल हिल स्टेट कांउसिल के प्रधान,
  • 1947 से 1948 तक सदस्य आल इन्डिया पीपुलस कान्फ्रेस एवं प्रधान प्रजामण्डल सिरमौर संचालक सुकेत आन्दोलन से जुड़े रहे।
  • डॉ॰ परमार के प्र्यत्त्न से ही 15 अप्रैल 1948 को 30 सियासतों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश बन पाया और 25 जनवरी 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
  • 1948 से 1952 सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाजरी काउंसिल,
  • 1948 से 1964 अध्यक्ष हिमाचल कांग्रेस कमेटी,
  • 1952 से 1956 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ;
  • 1957 सांसद बने और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री पद पर कार्य करते किया

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पुस्तक

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार सिंह एक अच्छे लेखक भी थे।

उन्होने ने पालियेन्डरी इन द हिमालयाज, हिमाचल पालियेन्डरी इटस शेप एण्ड स्टेटस, हिमाचल प्रदेश केस फार स्टेटहुड और हिमाचल प्रदे्श एरिया एण्ड लेगुएजिज नामक शोध आधारित पुस्तके भी लिखी।

मृत्यु – डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की जीवनी

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की 2 मई 1981 में उनकी मृत्यु हो गई थी।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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