कुंदन लाल सहगल की जीवनी – Kundan Lal Sehgal Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको कुंदन लाल सहगल की जीवनी – Kundan Lal Sehgal Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

कुंदन लाल सहगल की जीवनी – Kundan Lal Sehgal Biography Hindi

कुंदन लाल सहगल की जीवनी

कुंदन लाल सहगल हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार रह चुके हैं।

इसके साथ ही वे एक अच्छे गायक और अभिनेता भी थे।

1932 में उन्होने कोलकाता में स्थित फिल्म इंडस्ट्री से फिल्मों में अभिनय करना
शुरू किया।

तब तक इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने उनके गानों को रिकॉर्ड करना जारी कर चुके थे ।

1935 में उन्होंने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर बनी फिल्म में ‘देवदास’ के किरदार और अपने गीतों से अपार लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने ख्याल, बंदिश, गजल समेत कई विधियों और हिंदी, उर्दू, बंगाली समेत कई भाषाओं में अपना संगीत लोगों तक पहुंचाया। अपने छोटे से जीवन और फिल्मी करियर में उन्होंने लगभग छत्तीस फिल्मों में काम किया था। 1930 और 40 के दशक की संगीतमयी फ़िल्मों की ओर दर्शक उनके भावप्रवण अभिनय और दिलकश गायकी के कारण खिंचे चले आते थे।

कुंदन लाल सहगल को के० एल० सहगल के नाम से जाना जाता था।

हिंदी फिल्म उद्योग जो तत्कालीन समय के दौरान कोलकाता में केंद्रित था, का पहला सुपरस्टार माना जाता था।

वर्ष 2018 में उनके 114वें जन्मदिन के अवसर को गूगल ने डूडल बना कर मनाया।

जन्म

कुंदन लाल सहगल का जन्म 11 अप्रैल, 1904 को जम्मू – कश्मीर के नवाशहर में हुआ था।

उनके पिता का नाम अमरचंद सहगल था, जो कि जम्मू शहर में न्यायालय के तहसीलदार थे।

उनकी मां का नाम केसरी बाई था और वह धार्मिक क्रिया-कलापों के साथ संगीत में भी काफी रुचि रखती थी।

कुंदन लाल सहगल का बचपन से ही गीत संगीत की ओर रुझान था।

अमरचंद और केसर बाई के कुल 5 बच्चे थे जिनमे से चौथे नंबर पर कुंदन थे

1935 में उन्होंने आशा रानी के साथ विवाह किया। शादी के बाद उनके 3 बच्चे हुए जिनमे से 2 बेटियाँ और एक बेटा था। उनकी पहली बेटी नीना का जन्म 1937 में जबकि उनकी दूसरी बेटी बीना का जन्म 1941 में हुआ ,इसके अलावा उनके एक और पुत्र भी हुआ जिसका नाम मदन मोहन रखा गया।

शिक्षा – कुंदन लाल सहगल की जीवनी

कुंदन लाल सहगल ने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा लेने के बजाय सबसे पहले उन्होंने संगीत के गुर एक सूफी संत सलमान यूसुफ से सीखे। के० एल० सहगल की प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण तरीके से हुई उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी और जीवन यापन के लिए उन्होंने रेलवे में टाइम कीपर के मामूली नौकरी भी की।

इसकेबाद में उन्होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइटिंग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की।कहा जाता हैं कि – वे एक बार उस्ताद फैयाज ख़ाँ के पास तालीम हासिल करने की गरज से गए, तो उस्ताद ने उनसे कुछ गाने के लिए कहा।

उन्होंने राग दरबारी में खयाल गाया, जिसे सुनकर उस्ताद ने गद्‌गद्‌ भाव से कहा कि बेटे मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं है कि
जिसे सीखकर तुम और बड़े गायक बन सको।

करियर

1930 में कोलकाता के न्यू थियेटर के बी. एन. सरकार ने उन्हें 200 रूपए मासिक पर अपने यहां काम करने का मौक़ा दिया।

यहां उनकी मुलाकात संगीतकार आर.सी.बोराल से हुई, जो सहगल की प्रतिभा से काफ़ी प्रभावित हुए।

शुरुआती दौर में बतौर अभिनेता 1932 में प्रदर्शित एक उर्दू फ़िल्म ‘मोहब्बत के आंसू’ में उन्हें काम करने का मौक़ा मिला। 1932 में ही बतौर कलाकार उनकी दो और फ़िल्में ‘सुबह का सितारा’ और ‘जिंदा लाश’ भी प्रदर्शित हुई, लेकिन इन फ़िल्मों से उन्हें कोई ख़ास पहचान नहीं मिली।

 अभिनेता और गायक के रूप में प्रसिद्धि

  •  1933 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘पुराण भगत’ की कामयाबी के बाद बतौर गायक सहगल कुछ हद तक फ़िल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।
  • वर्ष 1933 में ही प्रदर्शित फ़िल्म ‘यहूदी की लड़की’, ‘चंडीदास’ और ‘रूपलेखा’ जैसी फ़िल्मों की कामयाबी से उन्होंने दर्शकों का ध्यान अपनी गायकी और अदाकारी की ओर आकर्षित किया।
  • 1935 में शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित पी.सी.बरूआ निर्देशित फ़िल्म ‘देवदास’ की कामयाबी के बाद बतौर गायक-अभिनेता सहगल शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचे।
  • कई बंगाली फ़िल्मों के साथ-साथ न्यू थियेटर के लिए उन्होंने 1937 में ‘प्रेंसिडेंट’, 1938 में ‘साथी’ और ‘स्ट्रीट सिंगर’ तथा वर्ष 1940 में ‘ज़िंदगी’ जैसी कामयाब फ़िल्मों को अपनी गायिकी और अदाकारी से सजाया।
  • वर्ष 1941 में कुंदन लाल सहगल  मुंबई के रणजीत स्टूडियो से जुड़ गए। वर्ष 1942 में प्रदर्शित उनकी ‘सूरदास’ और 1943 में ‘तानसेन’ ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का नया इतिहास रचा।
  • वर्ष 1944 में उन्होंने न्यू थियेटर की ही निर्मित फ़िल्म ‘मेरी बहन’ में भी काम किया

प्रसिद्ध फिल्म

1932- मोहब्बत के आँसू  (पहली फिल्म) 1932-जिंदा लाश 1932 -सुबह का सितारा
1933 -राजरानी मीरा 1933 -पुराण भगत 1933- दुलारी बीबी
1934 – डाकू मंसूर 1934 -चंडीदास 1935 – कारवां
1935 -देवदास (बंगाली) 1935 -देवदास (हिंदी)  (पहली सुपरहिट) 1936 -पुजारिन
1936 -करोडपति 1937 – दीदी (बंगाली) 1937 – राष्ट्रपति उर्फ बादी बाहेन
1938 – स्ट्रीट सिंगर 1938 – धरती माता 1938 – देसर माती  (बंगाली)
1939 – दुश्मन 1940 –  जिंदगी 1941 – डूबा हुआ जहाज़
1943 –  तानसेन 1944 – मेरी बहन 1944 – भँवरा
1945 – तदबीर 1945 -कुरुक्षेत्र 1946 – शाहजहां सोहेल
1946 -उमर खैय्याम 1947 -परवाना 1934 -मोहब्बत की कसौटी (हिंदी संस्करण में)

 

  •  1933 – यहूदी की लड़की (के एल सहगल की पहली हिट फिल्म )
  • 1938 – साथी (स्ट्रीट सिंगर की बंगाली संस्करण)
  • 1938 – जीवन मारन  (दुश्मन के बंगाली संस्करण)
  • 1941- परिचय (लैगान का बंगाली संस्करण)
  •  1942 – भक्त सूरदास (के एल सहगल के रूप में पहली फिल्म बॉलीवुड फिल्म)

अपने दो दशक के सिने करियर में सहगल जी ने 36 फ़िल्मों में अभिनय भी किया।

हिंदी फ़िल्मों के अलावा उन्होंने उर्दू, बंगाली और तमिल फ़िल्मों में भी अभिनय किया।

सहगल ने अपने संपूर्ण सिने करियर के दौरान लगभग 185 गीत गाए,

जिनमें 142 फ़िल्मी और 43 गैर-फ़िल्मी गीत शामिल हैं।

अन्य जानकारी – कुंदन लाल सहगल की जीवनी

  • सहगल की उदारता के कई क़िस्से सुनने को मिलते हैं। कहते हैं कि न्यू थिएटर्स के ऑफिस से उनकी सैलरी सीधे उनके घर पहुंचाई जाती थी, क्योंकि अगर उनके हाथ में पैसे होते, तो आधा वह शराब में उड़ा देते, बाक़ी ज़रूरतमंदों में बांट देते। एक बार उन्होंने पुणे में एक विधवा को हीरे की अंगूठी दे दी थी।
  • सहगल बिना शराब पिए नहीं गाते थे। ‘शाहजहां’ के दौरान नौशाद ने उनसे बिना शराब पिए गवाया, और उसके बाद सहगल की ज़िद पर वही गाना शराब पिलाकर गवाया। बिना पिए वह ज़्यादा अच्छा गा रहे थे। उन्होंने नौशाद से कहा, ‘आप मेरी ज़िंदगी में पहले क्यों नहीं आए? अब तो बहुत देर हो गई।
  • सहगल को खाना बनाने का काफी शौक़ था। मुग़लई मीट डिश वह बहुत चाव से बनाते थे और स्टूडियो में ले जाकर साथियों को भी खिलाते थे। यही नहीं, आवाज़ की चिंता किए बग़ैर वह अचार, पकोड़ा और तैलीय चीज़ें भी ख़ूब खाते थे। सिगरेट के भी ज़बर्दस्त शौक़ीन थे।
  • सहगल ने ग़ालिब की क़रीब बीस ग़ज़लों को अपनी आवाज़ का सोज़ दिया।
  • ग़ालिब से इसी मुहब्बत के कारण उन्होंने एक बार उनके मज़ार की मरम्मत करवाई थी।

सहगल पहले ऐसे गायक थे

  • , जिन्होंने गानों पर रॉयल्टी शुरू की। उस वक़्त प्रचार और प्रसार की दिक्कतों के बावजूद श्रीलंका, ईरान, इराक़, इंडोनेशिया, अफ़ग़ानिस्तान और फिजी में सुने जाते थे। आज भी 18 जनवरी को कई देशों में सहगल की याद में संगीत जलसे होते हैं।
  • वह विग लगाकर अभिनय करते थे। अभिनेत्री कानन देवी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘साथी की शूटिंग के दौरान हवा के झोंके से उनकी विग उड़ गई और उनका गंजा सिर दिखने लगा। लेकिन सहगल अपनी धुन में मगन शॉट देते रहे। इस पर दर्शक हंस पड़े। सहगल झेंपने की जगह लोगों के ठहाकों में शामिल हो गए।
  • सहगल की क़द्र भारत से ज़्यादा पाकिस्तान में नज़र आती है। वहाँ ज़िला स्तर पर सहगल यादगार कमेटियां बनी हैं। सहगल की बरसी पर आमजन प्रशंसा में बाक़ायदा लंगर लगाते हैं।
  • भारत रत्न सम्मानित लता मंगेशकर सहगल की बड़ी भक्त हैं। वह चाहती थीं कि सहगल की कोई निशानी उनके पास हो। वह उनकी स्केल चेंजर हारमोनियम अपने पास रखना चाहती थीं, पर सहगल की बेटी ने उसे अपने पास रखते हुए सहगल की रतन जड़ी अंगूठी लता को दी। लता के पास आज भी वह निशानी है। कहते हैं कि कम उम्र में लता ने सहगल की एक फ़िल्म देखने के बाद उनसे शादी करने का ख्‍याल ज़ाहिर किया था।

सम्मान और पुरस्कार

  • पहले गैर बंगाली जिन्हें रविन्द्र नाथ टैगोर की रचना गाने का मौका मिला। इनके नाम से कई सम्मान अब भी मिलते हैं.
  • 20 जून 2009 को सिरफोर्ट ऑडिटोरियम खेल गाँव, न्यू दिल्ली में सावित्री विकास समिति की अध्यक्ष डॉक्टर अनीता श्रीवास्तव द्वारा साज़ और आवाज के एल सहगल नाईट के के.एल सहगल मेमोरियल अवार्ड सरेमनी में के.एल सहगल अवार्डस की घोषणा की गई. इन अवार्ड्स के नाम थे दी के.एल सैगल “शिखर” अवार्ड, अवार्ड फॉर लाइफ टाइम अचिवमेंट, स्थापित कलाकारों के लिए के.एल.सहगल “स्मृति” अवार्ड, और युवा स्टार के लिए के.एल सहगल प्रतिभा अवार्ड के नामो की घोषणा की गयी.
  • कुंदनलाल सहगल के सम्मान में भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट किया गया था।
  • 11 अप्रैल , 2018 को भारत के प्रसिद्ध गायक और अभिनेता के.एल. सहगल के 114वें जन्मदिन पर गूगल ने उन्हें अपने डूडल के माध्यम से उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। गूगल ने डूडल के जरिए के.एल. सहगल को अपने खास अंदाज में याद किया। गूडल ने सहगल के कैरिकेचर के जरिए उन्हें माइक के सामने गाते हुए दिखाया है। कुंदन लाल सहगल भारतीय हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार माने जाते हैं।

मृत्यु – कुंदन लाल सहगल की जीवनी

के.एल.सहगल को शारब की लत लग जाने के कारण उनका लिवर ख़राब हो गया जिसके चलते 18 जनवरी, 1947 को केवल 43 वर्ष की उम्र में ही वे इस संसार को अलविदा कह गए।

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1 thought on “कुंदन लाल सहगल की जीवनी – Kundan Lal Sehgal Biography Hindi”

  1. के एल सहगल का जन्म 1950 में लिखा है, जो गलत है, कृपया उसे सुधार लें.

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