लालजी टंडन की जीवनी – Lalji Tandon Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको लालजी टंडन की जीवनी – Lalji Tandon Biography Hindi के बारे में बताएगे।

लालजी टंडन की जीवनी – Lalji Tandon Biography Hindi

लालजी टंडन की जीवनी
लालजी टंडन की जीवनी

(English –  Lalji Tandon)लालजी टंडन भारतीय वरिष्ठ राजनीतिज्ञ तथा मध्य प्रदेश के 22 वें और वर्तमान राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं।

वे लखनऊ से 14 वी लोक सभाके सदस्य रह चुके हैं।

वे अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी। उन्होने वाजपई जी के चुनाव क्षेत्र लखनऊ की कमान संभाली थी।

2004 में लोक सभा के चुनाव की पूर्व संध्या पर अपने जन्म दिवस के अवसर पर साड़ी बाँट रहे थे जिसमे भगदड़  मच गई और 21 महिलाओं की मौत हो गई।

इसके बाद में उन्हे सभी आरोप से मुक्त कर दिया गया।

21 अगस्त 2018 को बिहार के राज्यपाल बनाया गया।

दिनांक 20 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

संक्षिप्त विवरण

 

नाम लालजी
पूरा नाम लालजी टंडन
जन्म  12 अप्रैल 1935
जन्म स्थान  लखनऊ
पिता का नाम   शिवनारायण टंडन
माता का नाम अन्नपूर्णा देवी
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म – लालजी टंडन की जीवनी

Lalji Tandon का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ था।

उनके पिता का नाम शिवनारायण टंडन तथा उनकी माता का नाम अन्नपूर्णा देवी था।

26 फरवरी 1958 में कृष्णा टंडन से उनका विवाह हुआ। उनके तीन बेटे है।

उनके बेटे गोपाल जी टंडन जोकि इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं।

शिक्षा

Lalji Tandon ने कालीचरण डिग्री कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है।

करियर

अपने शुरुआती जीवन में लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। इसी दौरान वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपर्क में आए। इसके बाद उनका करीब 5 दशकों तक अटल बिहारी वाजपेयी से संबंध कायम रहा।

पिछले दिनों अटल बिहारी वाजपेयी के देहांत पर लालजी टंडन काफी परेशान रहे। लखनऊ की सड़कों पर अटल और लालजी टंडन के साथ के तमाम किस्से लोगों की जुबां पर रहते हैं।

1978 से 1984 तक और 1990 से1996 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद सदस्य रहे।

इस दौरान 1991-92 की यूपी सरकार में वह मंत्री रहे। इसके बाद वह 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।

1997 में में वह नगर विकास मंत्री रहे। यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। मायावती और कल्याण सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे

2004 में लोक सभा के चुनाव की पूर्व संध्या पर अपने जन्म दिवस के अवसर पर साड़ी बाँट रहे थे जिसमे भगदड़  मच गई और 21 महिलाओं की मौत हो गई। इसके बाद में उन्हे सभी आरोप से मुक्त कर दिया गया।

2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति से दूर हुए और उनकी ऐतिहासिक लखनऊ लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन को ही बीजेपी ने उनका उत्तराधिकार सौंपा। लालजी टंडन ने ये चुनाव आसानी से जीता और लोकसभा सदस्य चुने गए।

मई 2009 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी से 40,000 वोटों के अंतर से लखनऊ से 15 वीं लोकसभा के लिए चुने गए। यह सीट 1991 के पूर्व भाजपा अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के पास लगातार चार बार से थी। भारी चुनावी खर्च के बावजूद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अखिलेश दास 70 हजार वोटों से पीछे चल रहे थे।

विवाद – लालजी टंडन की जीवनी

लालजी टंडन ने अपनी किताब ‘अनकहा लखनऊ’ में कई खुलासे किए। इसमें उन्होंने लिखा कि पुराना लखनऊ के लक्ष्मण टीले के पास बसे होने की बात कही।

उनके अनुसार, लक्ष्मण टीला का नाम पूरी तरह से मिटा दिया गया है, अब यह स्थान टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जा रहा है। टंडन के अनुसार, लखनऊ की संस्कृति के साथ भी जबरदस्ती हुई।

अपनी किताब में लालजी टंडन ने पार्षद से लेकर कैबिनेट मंत्री और दो बार सांसद तक का 8 दशक से अधिक का सामाजिक एवं सियासी सफर दर्ज किया है।

लालजी टंडन के अनुसार, लखनऊ के पौराणिक इतिहास को नकार ‘नवाबी कल्चर’ में कैद करने की कुचेष्टा के कारण यह हुआ। लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी, जहां बड़ा मेला लगता था। खिलजी के वक्त यह गुफा ध्वस्त की गई।

बार-बार इसे ध्वस्त किया जाता रहा और यह जगह टीले में तब्दील हो गई।

औरंगजेब ने बाद में यहां एक मस्जिद बनवा दी।

बीमारी

लालजी टंडन की अचानक 13 जून को तबीयत खराब हो गई। जिसके बाद उन्हे राजधानी के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं।

हालांकि उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है।

लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने बताया कि राज्यपाल टंडन को बुखार आ रहा था।

इस कारण उन्हें अस्पताल लाया गया।

डॉक्टरों ने कोविड टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है।

निधन – लालजी टंडन की जीवनी

लालजी टंडन  का निधन 21 जुलाई 2020 को सुबह लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में निधन हो गया।

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