रामकृष्ण शिंदे की जीवनी – Ramkrishna Shinde Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको रामकृष्ण शिंदे की जीवनी – Ramkrishna Shinde Biography Hindi के बारे में बताएगे।

रामकृष्ण शिंदे की जीवनी – Ramkrishna Shinde Biography Hindi

रामकृष्ण शिंदे की जीवनी
रामकृष्ण शिंदे की जीवनी

(English – Ramkrishna Shinde)रामकृष्ण शिंदे सिनेमा के जाने – माने संगीतकार थे।

हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसे बहुत से गुणी संगीतकारों के नाम मौजूद हैं, जिन्होंने मौक़ा मिलते ही बेहद मधुर धुनें रचीं; लेकिन तमाम काबिलियत और संगीत का भरपूर ज्ञान होने के बावजूद सिनेजगत में उन्हें वह जगह नहीं मिल पायी, जिसके वह हक़दार थे।

इसकी एकमात्र वजह यही थी कि उनमें इस चकाचौंध भरी दुनिया में ख़ुद को बनाए रखने
के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी, ख़ुद को बेच पाने का गुण नहीं था।

ऐसे ही संगीतकारों में रामकृष्ण शिंदे भी शामिल थे, जिन्होंने 1947 में बनी फ़िल्म ‘मैनेजर’ से अपना कॅरियर शुरू किया था।

संक्षिप्त विवरण

नाम रामकृष्ण शिंदे
पूरा नाम, अन्य नाम
रामकृष्ण
जन्म 1918 को
जन्म स्थान पश्चिमी महाराष्ट्र
पिता का नाम  –
माता  का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
मृत्यु
14 सितंबर, 1985
मृत्यु कारण
हार्ट अटैक

जन्म – रामकृष्ण शिंदे की जीवनी

रामकृष्ण शिंदे  का जन्म 1918 को पश्चिमी महाराष्ट्र के मालवण इलाक़े के एक मराठा परिवार में हुआ था
दो भाई और दो बहनों में रामकृष्ण सबसे बड़े थे।

वे नौ-दस बरस के हुए कि उनके पिता का देहांत हो गया।

ऐसे में उनके मामा और मौसी अपनी विधवा बहन और उनके चारों बच्चों को साथ लेकर मुम्बई चले आए,
जहां नानाचौक के इलाक़े में रामकृष्ण का बचपन ग़ुज़रा।

उनकी पत्नी का नाम नलिनी  देवी है। उनकी दो बेटियाँ है।

करियर

शुरूआत में रामकृष्ण शिंदे ने मराठी नाटकों में संगीत देना शुरू किया।

उनकी बनायी बंदिशें बेहद मशहूर होने लगीं और बहुत जल्द वह मराठी नाटकों के दर्शकों के बीच एक जाना-पहचाना नाम बन गए।

अपनी बनाई कर्णप्रिय धुनों की वजह से ही उन्हें फ़िल्म ‘मैनेजर’ मिली थी।

‘तिवारी प्रोडक्शंस’ के बैनर में 1947 में बनी इस फ़िल्म के निर्देशक थे आई.पी.तिवारी और मुख्य कलाकार थे- जयप्रकाश, पूर्णिमा, गोबिंद, सरला, अज़ीज़, अमीना और तिवारी। उसी दौरान उन्हें फ़िल्म ‘बिहारी’ का संगीत तैयार करने का भी मौक़ा मिला, जिसमें उनके अलावा एक अन्य संगीतकार नरेश भट्टाचार्य भी काम कर रहे थे।

‘समाज चित्र, बम्बई’ के बैनर में बनी इस फ़िल्म का निर्देशन के.डी. काटकर और ए.आर. ज़मींदार की जोड़ी ने किया था, कलाकार थे बी.नान्द्रेकर, सुरेखा, एच. प्रकाश, फ़ैयाजबाई, निम्बालकर, सैम्सन और शबनम, और मुंशी फरोग़ का लिखा और लता का गाया गीत ‘सब्ज़े की दुर्फ़िशानी, फूलों का शामियाना’ उस दौर में ख़ासा मशहूर हुआ था।

बाक़ी नौ गीत अमीरबाई कर्नाटकी, एन.सी. भट्टाचार्य और ए.आर. ओझा के स्वरों में थे। फ़िल्म ‘बिहारी’ साल 1948 में प्रदर्शित हुई थी। 1948 में ही उनकी एक और फ़िल्म ‘किसकी जीत’ प्रदर्शित हुई थी। इस फ़िल्म का निर्माण भी तिवारी प्रोडक्शन के बैनर में ही हुआ था, निर्देशक थे सफदर मिर्ज़ा और मुख्य कलाकार सादिक़, इंदु कुलकर्णी, पुष्पा, मक़बूल, अमीना बाई, चन्द्रिका और तिवारी। गीतकार थे कुमार शर्मा। फ़िल्म ‘मैनेजर’ के सात में से छ: गीत फ़िल्म ‘किसकी जीत’ में इस्तेमाल किए गए थे।

रामकृष्ण शिंदे ने दो मराठी फ़िल्मों में भी संगीत दिया था। ये फ़िल्में थीं साल 1966 में बनी ‘तोची साधु ओळाखावा’ और 1970 में बनी ‘आई आहे शेतात’, जिसका निर्माण भी शिंदे ने ही किया था।

मृत्यु – रामकृष्ण शिंदे की जीवनी

रामकृष्ण शिंदे का निधन 14 सितंबर, 1985 को हार्ट अटैक के कारण हुआ

इसे भी पढ़े – 14 सितंबर का इतिहास -14 September History Hindi

Leave a Comment